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06 मार्च 2009

अब बहुर रहे हैं आलू के दिन

लखनऊ March 05, 2009
लगातार चढ़ते पारे और पड़ोसी राज्यों से बढ़ी मांग के चलते आलू के दिन बहुर रहे हैं। इस सीजन की शुरुआत में जिस तरह से आलू के दाम दिन ब दिन गिर रहे थे उससे ऐसा लग रहा था कि किसानों के लिए लागत निकाल पाना भी मुश्किल होगा।
फरवरी के पहले सप्ताह से लगातार चढ़ते जा रहे पारे के चलते आलू की खासी फसल बरबाद होने लगी। कृषि विभाग के अनुमानों के मुताबिक फरवरी में दूसरे सप्ताह में बेसमय हुई बारिश और उसके बाद बढ़े तापमान के बाद आलू की 25 फीसदी फसल खराब हो गयी।
आलू की निकासी कम होने से जहां घरेलू बाजार में इसके दाम बढ़ने लगे वहीं पड़ोसी राज्यों मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान से भी मांग बढ़ने लगी है। बीते महीनो में जहां थोक बाजारों में आलू के दाम गिर कर 2 रुपये किलो तक जा पहंचे थे वहीं इस समय इसकी कीमत थोक बाजार में 3.50 रुपये तक आ गयी है।
उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बीते साल आलू की पैदावार रिकार्ड तोड़ 130 लाख टन हुई थी और इस साल भी पैदावार इसी आंकड़े के आस-पास रहने की आशा थी। अधिकारियों का कहना है कि आलू की फसल के पूरे आंकड़े अभी आ नही सके हैं पर तापमान के बढ़ने के चलते आशा है कि इस साल घटकर 100 से 105 लाख टन की पैदावार रह जाएगी।
गौरतलब है कि बीते साल आलू की कीमतों थोक बाजारों गिरकर 2 रुपये किलो तक आ गयी थीं। उत्तर प्रदेश फल सब्जी विक्रेता संघ के सचिव फैज अहमद के मुताबिक आलू की कीमत पड़ोसी राज्यों में उत्तर प्रदेश के मुकाबले कहीं ज्यादा है जिसकी वजह से संपन्न किसान अपना माल बाहर भेज रहे हैं।
उनका कहना है कि इन दिनों जहां उत्तर प्रदेश के थोक बाजारों में आलू की कीमत जहां 4 रुपये है वहीं बाकी के राज्यों में 5 रुपये से ज्यादा कीमत पर बिक रहा है। सबसे ज्यादा 6 रुपये किलो आलू तो राजस्थान में चल रहा है। अब बड़े किसानों ने खुद अपना माल बाह भेजना शुरु किया है। भाड़े पर मिलने वाली सब्सिडी ने किसानों को प्रोत्साहित किया है।
लखनऊ March 05, 2009
लगातार चढ़ते पारे और पड़ोसी राज्यों से बढ़ी मांग के चलते आलू के दिन बहुर रहे हैं। इस सीजन की शुरुआत में जिस तरह से आलू के दाम दिन ब दिन गिर रहे थे उससे ऐसा लग रहा था कि किसानों के लिए लागत निकाल पाना भी मुश्किल होगा।
फरवरी के पहले सप्ताह से लगातार चढ़ते जा रहे पारे के चलते आलू की खासी फसल बरबाद होने लगी। कृषि विभाग के अनुमानों के मुताबिक फरवरी में दूसरे सप्ताह में बेसमय हुई बारिश और उसके बाद बढ़े तापमान के बाद आलू की 25 फीसदी फसल खराब हो गयी।
आलू की निकासी कम होने से जहां घरेलू बाजार में इसके दाम बढ़ने लगे वहीं पड़ोसी राज्यों मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान से भी मांग बढ़ने लगी है। बीते महीनो में जहां थोक बाजारों में आलू के दाम गिर कर 2 रुपये किलो तक जा पहंचे थे वहीं इस समय इसकी कीमत थोक बाजार में 3.50 रुपये तक आ गयी है।
उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बीते साल आलू की पैदावार रिकार्ड तोड़ 130 लाख टन हुई थी और इस साल भी पैदावार इसी आंकड़े के आस-पास रहने की आशा थी। अधिकारियों का कहना है कि आलू की फसल के पूरे आंकड़े अभी आ नही सके हैं पर तापमान के बढ़ने के चलते आशा है कि इस साल घटकर 100 से 105 लाख टन की पैदावार रह जाएगी।
गौरतलब है कि बीते साल आलू की कीमतों थोक बाजारों गिरकर 2 रुपये किलो तक आ गयी थीं। उत्तर प्रदेश फल सब्जी विक्रेता संघ के सचिव फैज अहमद के मुताबिक आलू की कीमत पड़ोसी राज्यों में उत्तर प्रदेश के मुकाबले कहीं ज्यादा है जिसकी वजह से संपन्न किसान अपना माल बाहर भेज रहे हैं।
उनका कहना है कि इन दिनों जहां उत्तर प्रदेश के थोक बाजारों में आलू की कीमत जहां 4 रुपये है वहीं बाकी के राज्यों में 5 रुपये से ज्यादा कीमत पर बिक रहा है। सबसे ज्यादा 6 रुपये किलो आलू तो राजस्थान में चल रहा है। अब बड़े किसानों ने खुद अपना माल बाह भेजना शुरु किया है। भाड़े पर मिलने वाली सब्सिडी ने किसानों को प्रोत्साहित किया है। (BS Hindi)

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