07 मार्च 2009
वायदा में नेचुरल रबर का कारोबार ठंडा
विश्व स्तर पर छाई आर्थिक मंद गति का असर नेचुरल रबर की खपत और उत्पादन पर पड़ रहा है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और टायर आयात में बढ़ोतरी होने से भी देश में नेचुरल रबर की खपत के साथ ही निर्यात में भी खासी गिरावट देखने को मिली है। पिछले तीन महीनों (दिसंबर, जनवरी और फरवरी) में नेचुरल रबर की खपत में भारी गिरावट आई है। मांग में आई कमी की वजह से ही उत्पादकों को उत्पादन में कटौती करनी पड़ी है। हाजिर बाजार में गिरावट के कारण ही मल्टी कमोडिटी एक्सजेंच (एमसीएक्स) वायदा पर कारोबर सीमित मात्रा में ही हो रहा है। वायदा पर भावों में इस समय सीमित उठा-पटक ही चल रही है। हालात को देखते हुए आगे भी वायदा में नेचुरल रबर सुस्त रह सकती है।खपत में कमीरबर बोर्ड के सूत्रों के अनुसार चालू वर्ष के फरवरी में नेचुरल रबर की खपत 67,000 टन की ही हुई है। जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में खपत 73,870 टन की हुई थी। इसी तरह से जनवरी में इसकी खपत में 5.7 फीसदी की कमी आकर कुल खपत 67,000 टन की ही हो पाई। पिछले वर्ष जनवरी में नेचुरल रबर की कुल खपत 71,010 टन की हुई थी। इसी तरह से दिसंबर 08 में खपत घटकर 66,000 टन की रह गई। जबकि 2007 में दिसंबर में इसकी खपत 73,100 टन की हुई थी।स्टॉक में बढ़ोतरीरबर बोर्ड के अध्यक्ष साजन पीटर के मुताबिक रबर की खपत में आई कमी के कारण 31 जनवरी को नेचुरल रबर का कुल स्टॉक बढ़कर 2,41,000 टन का हो गया जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका स्टॉक 2,25,000 टन का था। यह हाल के वर्षे में रबर का सबसे ज्यादा स्टॉक है।टायर निर्माताओं की मांग घटीरबर व्यापारी सुभाष जैन ने बताया कि घरेलू और निर्यात मांग कम होने से टायर निर्माता कंपनियां संकट के दौर से गुजर रही है। पिछले करीब छह महीनों में तैयार माल की बिक्री में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर के बीच पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले टायर निर्यात में करीब 16 प्रतिशत की गिरावट आई है।रबर उत्पादन में कटौती कोच्चि रबर एसोसिशन के सचिव जैसन जोहन ने बताया कि कीमतों में गिरावट और मौसम प्रतिकूल होने से फरवरी में नेचुरल रबर के उत्पादन में 16 फीसदी की कमी आकर कुल उत्पादन 47,000 टन का ही हुआ है। पिछले साल की समान अवधि में इसका उत्पादन 54,520 टन का हुआ था। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से फरवरी तक देश में नेचुरल रबर का उत्पादन 8,14,505 टन का हुआ है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में इसका उत्पादन 7,78,095 टन का हुआ था। घरेलू बाजार में भावकोट्टायम में नेचुरल आरएसएस-5 रबर के भाव 71 रुपये और आरएसएस-4 के भाव 72 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। सिथेंटिक रबर का उत्पादन कच्चे तेल से होता है इसलिए कच्चे तेल की कीमतों में उठा-पटक का असर नेचुरल रबर की कीमतों पर पड़ता है। पिछले साल अगस्त में कच्चे तेल की कीमतें बढ़कर 147 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी। इससे घरेलू बाजार में आरएसएस-4 की कीमतें बढ़कर 142 रुपये प्रति किलो के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई थी। इस समय कच्चे तेल के भाव 42-43 डॉलर प्रति बैरल चल रहे हैं। माना जा रहा है कि जब तक कच्चे तेल की कीमतों में सुधार नहीं आता तब तक नेचुरल रबर की कीमतों में भी तेजी के आसार नहीं है।विश्व बाजार में मांग और उत्पादनअंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंदी के माहौल की वजह से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में रबर उत्पादन पर असर पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय रबर स्टडी सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल विश्व में रबर की खपत में 3.3 फीसदी की गिरावट आ सकती है। हालांकि इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगले साल रबर की खपत में 7.7 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। जनवरी महीने में चीन के रबर आयात में करीब 65 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की वजह से सिंथेटिक रबर की उत्पादन लागत में कमी आई है। इस वजह से नेचुरल रबर की मांग में कमी आई है। पिछले छह महीनों में भारत समेत पूरी दूनिया में ऑटो सेक्टर में मांग घटी है। जिसका असर घरेलू और विश्व बाजार में नेचुरल रबर की कीमतों पर पड़ा है।वायदा में कारोबारमल्टी कमोडिटी एक्सजेंच (एमसीएक्स) में रबर के अप्रैल महीने के वायदा में 20 फरवरी को भाव 6833 रुपये प्रति क्विंटल थे। पिछले दस-पंद्रह दिनों से कच्चे तेल की कीमतों में तीन-चार डॉलर का सुधार आया है। जिससे वायदा में अप्रैल महीने में इसके भाव बढ़कर 7106 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। (Business Bhaskar....R S Rana)
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