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06 मार्च 2009

आम चुनाव के बाद गेहूं निर्यात की मिलेगी इजाजत

नई दिल्ली: गेहूं के निर्यात पर पाबंदी हटाने के लिए केंद्र सरकार सैद्धांतिक तौर पर राजी हो गई है। हालांकि, लोकसभा चुनाव के पूरा होने के बाद ही इस पर अमल हो सकेगा। पिछले दो साल से गेहूं और इससे बने उत्पादों के निर्यात पर रोक लगी हुई है। हालांकि, सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात से पाबंदी हटाने का कोई संकेत नहीं दिया। एक अधिकारी के मुताबिक, 'विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह ने गुरुवार को गेहूं और इसके उत्पादों के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने का सैद्धांतिक फैसला लिया। चुनावों के बाद 20 लाख टन गेहूं के निर्यात को मंजूरी दे दी जाएगी।' उन्होंने कहा कि कैबिनेट सचिव के एम चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली सचिवों की समिति निर्यात से संबंधित मामले को देखेगी। गेहूं के निर्यात पर लगी पाबंदी को हटाने के संबंध में अधिसूचना लोकसभा चुनावों के बाद जारी की जाएगी। मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह ने हालांकि गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने से इनकार कर दिया। इसी तरह चावल निर्यात इंडस्ट्री की बासमती चावल की न्यूनतम निर्यात कीमत को मौजूदा 1,100 डॉलर प्रति टन से घटाने की मांग पर भी कोई फैसला नहीं लिया गया। फरवरी 2007 में सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। इसके अलावा सरकार ने घरेलू मांग को पूरा करने और कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए अप्रैल 2008 में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर भी पाबंदी लगाई थी। सरकार का गेहूं के निर्यात पर लगी रोक को हटाने का फैसले की कई वजहें हैं। पिछले साल सरकार ने गेहूं की बंपर खरीदारी की थी और इस साल की खरीदारी के लिए भंडारण की कमी की चिंता निर्यात को मंजूरी देने की बड़ी वजह है। उम्मीद है कि इस साल भी सरकार गेहूं की रिकॉर्ड खरीदारी करेगी। इसके अलावा इस साल गेहूं का बेहतर उत्पादन होने की भी उम्मीद है। खाद्य और कृषि मंत्री शरद पवार ने पिछले महीने कहा था कि पिछले साल सरकार के गेहूं की रिकॉर्ड 226.82 लाख टन खरीदारी करने से इसके भंडारण की समस्या पैदा हो गई थी और इस साल सरकार की खरीद का आंकड़ा इससे भी ऊपर जा सकता है। इससे पहले हालांकि सरकार मित्र देशों को मानवीय आधार पर 20 लाख टन गेहूं के निर्यात का फैसला ले चुकी है लेकिन वाणिज्यिक आधार पर गेहूं के निर्यात को मंजूरी मिलना बाकी है। शरद पवार ने हालांकि गेहूं निर्यात के फैसले पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, 'चुनाव आयोग ने हमें मीडिया में जाने से मना किया है। उन्होंने कहा है कि हम फैसला ले सकते हैं लेकिन उसका एलान नहीं कर सकते।' (ET Hindi)

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