05 मार्च 2009
दलहन निर्यात पर रोक मार्च के बाद भी जारी रहने की उम्मीद
दालों के निर्यात पर लगी रोक अगली 31 मार्च के बाद भी जारी रहने की पूरी संभावना है। चुनावी सीजन में सरकार ऐसा कदम नहीं उठाना चाहेगी। 31 मार्च को निर्यात रोक हटने से पहले सरकार चुनाव आयोग की अनुमति लेकर चार माह के लिए इस व्यवस्था को जारी रख सकती है।घरेलू बाजारों में दलहन कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने जून 2006 से ही निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। निर्यात पर रोक की अवधि 31 मार्च 2009 को समाप्त हो रही है। सरकारी सूत्रों के अनुसार चालू सप्ताह में दलहन निर्यात पर प्रतिबंध को अगले चार महीने तक बढ़ाए जाने का फैसला लिया जा सकता है। हालांकि चुनाव आचार संहिता चालू होने के कारण निर्वाचन आयोग से इसकी मंजूरी लेनी पड़ेगी। चूंकि दालों के निर्यात पर पांबदी पहले से ही लगी हुई है इसलिए निर्वाचन आयोग को इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।जलगांव दाल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कोगता ने बताया कि वर्ष 2005-06 में देश में प्रतिकूल मौसम से दलहन उत्पादन में भारी गिरावट आई थी जिसकी वजह से घरेलू बाजारों में भाव काफी तेज हो गए थे। इसलिए केंद्र सरकार को निर्यात पर रोक लगानी पड़ी थी। सामान्यत: देश से दालों का सालाना निर्यात ढ़ाई से तीन लाख टन का होता है तथा निर्यात होने वाली दालों में मुख्यत: मसूर और चना है। मसूर और चने में खाड़ी देशों की अच्छी मांग रहती है। उत्पादक मंडियों में उड़द के भाव 2875 से 2900 रुपये, अरहर के भाव 3200 से 3300 रुपये, मूंग के भाव 3450 रुपये और मसूर के भाव 3500 रुपये, चने के भाव फ्ख्म्क् रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं।केंद्र सरकार द्वारा जारी दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक वर्ष 2008-09 में देश में दालों की पैदावार घटकर 142 लाख टन रहने की संभावना है। जबकि वर्ष 2007-08 में इसकी पैदावार 147 लाख टन की हुई थी। दालों की देश में सालाना खपत 170 से 180 लाख टन की होती है। ऐसे में घरेलू आवश्यकताओं की पूति के लिए हमें हर साल करीब 25 से 28 लाख टन दालों का आयात करना पड़ता है। दलहन आयातक संतोष उपाध्याय ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में प्राइवेट आयातकों ने अभी तक तीन से साढ़े लाख टन दलहन आयात के सौदे किए हैं। जबकि सरकारी एजेंसियों ने अभी तक 10.25 लाख टन दलहन आयात के सौदे किए हैं। चालू वित्त वर्ष में सरकारी एजेंसियों ने 15 लाख टन दलहन आयात का लक्ष्य रखा था। देश में रबी दलहनों चना, मसूर और मटर की पैदावार में तो पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी होने की संभावना है लेकिन खरीफ दलहनों उड़द, मूंग और अरहर की पैदावार में गिरावट आई है। (Business Bhaskar...R S Rana)
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