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06 मार्च 2009

चुनाव बाद गेहूं निर्यात से हटेगी रोक!

केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर लगा प्रतिबंध आम चुनाव बाद हटाने पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है। गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगे हुए दो साल से ज्यादा समय हो चुका है। अगले दो-तीन माह में गेहूं की नई फसल आने के बाद देश में उपलब्धता की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। इसके नई सरकार ही निर्यात हटाने के बारे में अंतिम फैसला करेगी लेकिन मौजूदा सरकार ने एक तरह से सैद्धांतिक सहमति देकर अपनी ओर से अनापत्ति जाहिर की है।विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में अधिकार प्राप्त मंत्री समूह की बैठक में इस मुद्दे पर विचार किया गया। जिसमें सरकार ने निर्यात हटाने की सैद्धांतिक सहमति दे दी है। सूत्रों के मुताबिक नई सरकार लोकसभा चुनावों के बाद गेहूं के निर्यात को खोल सकती है। कैबिनेट सचिव के. एम. चंद्रशेखर की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति गेहूं निर्यात खोलने के मसले पर काम करगी। उम्मीद की जा रही है कि चुनावों के बाद सरकार निर्यात प्रतिबंध हटाने संबंधी अधिसूचना जारी कर देगी। हालांकि इस बैठक में ईजीओएम ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर छूट देने से इंकार कर दिया। निर्यातकों ने सरकार से बासमती के एमईपी को 1,100 डॉलर प्रति टन से घटाने की भी मांग की थी।सूत्रों के मुताबिक फिलहाल गैर बासमती चावल के निर्यात पर रियायत देने की सरकार की कोई योजना नहीं है। बासमती चावल का एमईपी पूर्व स्तर पर बना रहेगा। घरलू बाजारों में बढ़ती कीमतों पर नकेल के लिए फरवरी 2007 में केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। साथ ही पिछले साल अप्रैल में सरकार ने गैर बासमती चावल के निर्यात को भी रोक दिया था। इस साल देश में गेहूं के बंपर उत्पादन को देखते हुए केंद्र सरकार निर्यात प्रतिबंध को हटाने जा रही है। पिछले साल के दौरान केंद्र ने रिकार्ड गेहूं की खरीद की थी। साथ ही इस साल भी रिकार्ड खरीद होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में सरकार के सामने गेहूं की भंडारण की समस्या आने की आशंका जताई जा रही है। इससे पहले केंद्र सरकार मित्र देशों को करीब बीस लाख टन गेहूं निर्यात को मंजूरी दे चुकी है। (Business Bhaskar)

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