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07 मार्च 2009

कृषि में ढाई प्रतिशत विकास दर पाना भी मुश्किल

मुंबई March 07, 2009
केंद्र सरकार द्वारा जारी दूसरे अग्रिम अनुमान में चालू रबी सीजन में अनाज, दलहन, तिलहन, कपास और चीनी का उत्पादन पिछले साल के उत्पादन से भी कम होने की बात कही गई है।
इस साल के सरकारी लक्ष्य से काफी कम उत्पादन होने की आशंका से कृषि की अनुमानित विकास दर 2.6 फीसदी को प्राप्त करना अब असंभव लगने लगा है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दूसरे अग्रिम अनुमान में लगभग सभी फसलों का उत्पादन अनुमान से कम आंका गया है।
रिपोर्ट में सिर्फ चावल की पैदावार लक्ष्य से ज्यादा है। अनुमान के मुताबिक इस बार चावाल का उत्पादन 988.90 लाख टन होने की उम्मीद जताई गई है। चावल का उत्पादन पिछले साल 966.90 लाख टन हुआ था, जबकि इस बार 970.00 लाख टन चावल के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था।
तिलहन में सरसों का उत्पादन पिछले साल की अपेक्षा ज्यादा होने का अनुमान व्यक्त किया गया है लेकिन अनुमान से सरसों का उत्पादन भी 9.03 फीसदी कम रहने की बात कही गई है।
सरसों का पिछले साल उत्पादन 58.33 लाख टन हुआ था इस बार सरसों की बुआई क्षेत्र में बढ़ोतरी होने और फसल अच्छी होने के कारण 76.69 लाख टन सरसों उत्पादन होने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन कृषि मंत्रालय के ताजा अनुमान में सरसों का उत्पादन 90.45 लाख टन ही होने की बात कही गई है।
कपास का उत्पादन पिछले साल से भी कम होने की बात कही गई है जबकि कपास का उत्पादन पिछले साल भी काफी कम रहा है। एनसीडीईएक्स में कार्यरत अर्थशास्त्री श्रध्दा उमरजी कहती हैं कि तीसरी तिमाही के नतीजों में कृषि की विकास दर निगेटिव थी। फसल कमजोर होने और उत्पादन कम होने से तीसरी तिमाही में कृषि की विकास दर -2.2 फीसदी रही है।
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किये गए दूसरे अग्रिम अनुमान में कृषि उत्पादन इस साल कम होने का अनुमान व्यक्त किया गया है। जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इस वर्ष 2008-09 के लिए कृषि की अनुमानित विकास दर 2.6 फीसदी पाना अब मुश्किल होगा।
शेयर खान के कमोडिटी हेड मेहुल अग्रवाल के अनुसार कुल अनाज की पैदावार भले कम हुई हो लेकिन चावल और गेहूं की पैदावार सही है। दूसरी बात की वैश्विक स्तर पर भी इन फसलों की पैदावार पिछले साल की अपेक्षा 8 फीसदी ज्यादा है जिससे इनकी कीमतों में कोई खास फर्क नहीं आने वाला है, लेकिन दलहन की पैदावार भारत के साथ साथ कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और म्यांमार में भी कम हुई है जिसका फर्क इनकी कीमतों पर पड़ेगा।
दलहन की कीमतें जून तक 10 फीसदी तक ऊपर चढ़ सकती हैं। तिलहन का उत्पादन भी वैश्विक स्तर पर लगभग 8 फीसदी कम है। ब्राजील और अर्जेंटीना में सूखे की वजह से वहां पर फसल कमजोर रही है। जिसके वजह से अनाज की कीमतें तो स्थिर रहा सकती है लेकिन दलहन और तिलहन की कीमतों में इजाफा होने की उम्मीद है। (BS Hindi)

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