02 मार्च 2009
जहाज तोड़ने की गतिविधियों में तेजी से सस्ता होगा स्टील
मुंबई: अलंग स्थित देश के सबसे बड़े शिपब्रेकिंग यार्ड (जहां पानी के जहाज को तोड़ा जाता है) में जहाज तोड़ने की गतिविधियों में भारी तेजी आई है। इससे स्टील की कीमतों में कमी आ सकती है। इस यार्ड से कई हजार टन स्क्रैप स्टील की आपूर्ति भारतीय बाजार में हो रही है। पिछले साल स्क्रैप स्टील 34,000 रुपए प्रति टन पर उपलब्ध था, लेकिन अब इसकी मौजूदा कीमत घटकर 16,500 रुपए से 17,000 रुपए पर आ गई है। जहाज तोड़ने की गतिविधियों में आई तेजी से अलंग से रोजाना करीब 6,500 टन स्क्रैप स्टील की आपूर्ति भारतीय बाजार में हो रही है। हालांकि कुछ समय पहले तक महज 1600 टन स्क्रैप की ही आपूर्ति हो रही थी। शिप रिसाइक्लिंग इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (इंडिया) के प्रेसिडेंट विष्णु गुप्ता ने ईटी को बताया, 'वैश्विक मंदी और कारोबार में कमी आने से माल भाड़ा की दरों में कमी आई है। इससे अलंग पर जहाजों को तोड़ने का काम बढ़ गया है। इस साल शिपब्रेकिंग यार्ड से करीब 10-12 लाख टन स्क्रैप स्टील की आपूर्ति होगी, यह पिछले साल से लगभग दोगुनी है।' मुंबई के एक एनालिस्ट ने बताया, 'हां, स्टील की कीमतों और स्क्रैप स्टील की कीमतों में संबंध है। अगर इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में स्टील की मांग कम रहती है तब स्क्रैप स्टील की मांग भी घटेगी। हालांकि अलंग से स्क्रैप स्टील की अधिक आपूर्ति होने से स्टील बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।' इंडस्ट्री पर नजर रखने वालों का मानना है कि भारतीय स्टील इंडस्ट्री में स्क्रैप स्टील की हिस्सेदारी करीब 2-3 फीसदी है। यहां सालाना 10 लाख टन के करीब उत्पादन होता है। अगर मौजूदा स्थितियां एक साल भी बरकरार रही तो इसमें दो से तीन गुना की बढ़ोतरी हो सकती है। समझा जाता है कि आयात-निर्यात कारोबार के सिकुड़ने और माल भाड़ा की दरों में कमी आने से जहाज तोड़ने की गतिविधियों में तेजी आई है। अलंग के पोर्ट ऑफिसर ए के राठौड़ ने बताया, 'इस काम के लिए जनवरी में करीब 48 जहाज लाए गए थे। चालू महीने में इसमें और 25 जहाजों के जुड़ने की संभावना है। हालांकि पिछले साल कुल 136 जहाज ही तोड़े गए थे।' इस्पात मंत्रालय के हालिया आंकड़ों के मुताबिक भारत में अप्रैल 2008 से जनवरी 2009 के बीच फिनिश्ड स्टील की कुल खपत 4.232 करोड़ टन ही रही है। इसमें साल दर साल दो फीसदी की गिरावट देखी गई है।' (ET Hindi)
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