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12 मार्च 2009

घरेलू खरीद से सस्ता है एल्कोहल का आयात

नई दिल्ली March 12, 2009
एल्कोहल पर निर्भर घरेलू केमिकल उत्पादक, जैसे जुबिलेंट ऑर्गेनोसिस और इंडिया ग्लाइकॉल ने भारतीय चीनी कंपनियों से एल्कोहल मंगाना बंद कर दिया है।
अब वे ब्राजील से सस्ता आयात कर रही हैं। हालांकि चीनी मिलों के लिए यह अच्छी खबर नहीं है, लेकिन शराब उद्योग के लिए यह मुनाफे का सौदा हो गया है क्योंकि सस्ते आयात के चलते उन्हें भारत में एल्कोहल की कमी को देखते हुए कीमतों के मामले में प्रतिस्पर्धा नहीं करना पड़ रहा है।
उद्योग जगत से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, 'रुपये के कमजोर होने और 7.5 प्रतिशत आयात शुल्क देने के बाद भी आयातित एल्कोहल, घरेलू एल्कोहल की तुलना में 4-5 रुपये प्रति लीटर सस्ता पड़ रहा है। बहरहाल गन्ने की पैदावार कम होने की वजह से घरेलू उत्पादन में 30 प्रतिशत के करीब गिरावट आई है।'
चालू वर्ष में चीनी मिलों, खासकर उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों की पेराई में एक दशक की तुलना में सबसे अधिक कमी आई है और ज्यादातर मिलें अपनी क्षमता की तुलना में 40 से 50 प्रतिशत पेराई ही कर पाईं। इसकी वजह से शीरे का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है, जो एल्कोहल के उत्पादन में कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होता है।
एल्कोहल का इस्तेमाल तमाम केमिकल्स जैसे एसिटिक एसिड, एसिटिक एनहाइड्राइड, एथाइल एसीटेट, एक्टोन, एमईजी आदि बनाने में होता है। एल्कोहल पर निर्भर इन केमिकल्स का प्रयोग सिंथेटिक फाइबर, कीटनाशकों, दवा उद्योग, पेंट उद्योग, डाईस्टफ आदि में होता है।
एल्कोहल की केमिकल उद्योगों में वार्षिक मांग करीब 100 करोड़ लीटर है। बहरहाल मांग लगातार कम हुई है क्योंकि टेक्सटाइल और सिंथेटिक पेंट उद्योग की ओर से मांग में कमी आई है। केमिकल इंडस्ट्री की ओर से मांग कम होने की वजह से शीरे की कमी होने के बावजूद कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई। इसका फायदा शीरे की खपत वाले सबसे बड़े उपभोक्ता- शराब उद्योग को मिला है।
अधिकारी ने कहा कि हमें केमिकल्स का उत्पादन करने वाले वैश्विक उत्पादकों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है, जो कच्चे तेल से इसी तरह के केमिकल्स तैयार करते हैं और कच्चे तेल की कीमतें गिर जाने की वजह से वे सस्ते दामों में रसायनों को बेच रहे हैं।
यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और बिड़ला ग्रुप आफ शुगर कंपनीज के सलाहकार सीबी पैत्रोदा ने कहा, 'उत्तर प्रदेश की बात करें तो केमिकल क्षेत्र से मांग में 70 प्रतिशत की कमी आई है। यही वजह है कि शीरे का उत्पादन कम होने के बावजूद कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ा है। नए साल में हो सकता है कि संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाए।'
प्रमुख केमिकल उत्पादक इंडिया ग्लाइकॉल के मुख्य वित्त अधिकारी आनंद सिंघल ने कहा कि इस साल घरेलू उपलब्धता सीमित रहेगी। इसको देखते हुए चीनी मिलें, जितने शीरे को इकट्ठा कर सकती हैं, रोकने की कोशिश कर रही हैं जिससे बेहतर दाम मिल सके।
भारत में शीरे का उत्पादन 30 प्रतिशत गिरा
विदेशी एल्कोहल पड़ रहा है भारतीय की तुलना में 4-5 रुपये लीटर सस्ताभारत में प्रति वर्ष 100 करोड़ लीटर एल्कोहल की मांगएल्कोहल से बनते हैं एसिटिक एसिड, एसिटिक एनहाइड्राइड, एथिल एसीटेट जैसे कई केमिकलइन केमिकल्स का इस्तेमाल शराब, फाइबर, पेंट, दवा आदि उद्योगों मेंटेक्सटाइल और पेंट उद्योग में मांग में कमी (BS Hindi)

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