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05 मार्च 2009

पुराने सुनार की दुकान के आगे फीके पड़े ब्रांडेड शोरूम

मुंबई : सोने की कीमतें इन दिनों रेकॉर्ड स्तरों के आसपास हैं। ऐसे में कीमत को लेकर संजीदा रहने वाले भारतीय ग्राहक अपने आभूषणों की बेहतर रिसेल वैल्यू हासिल करने के लिए ब्रांडेड शोरूम के बजाय पुराने सुनारों पर ज्यादा भरोसा करते दिख रहे हैं। चमचमाते ज्वेलरी शोरूम उन ग्राहकों के स्वागत में काफी उत्साह दिखा रहे हैं जो आभूषण बेचना चाहते हैं लेकिन वे बाजार की मौजूदा दरों से 5-12 फीसदी कम दाम दे रहे हैं। दूसरी ओर, छोटे सुनारों का कारोबार आपसी विश्वास पर टिका होता है और इस्तेमालशुदा गहनों की वे बेहतर कीमत लगा रहे हैं। ऑल इंडिया जेम एंड ज्वेलरी टेड फेडरेशन के चेयरमैन अशोक मीनावाला ने कहा, 'वफादारी छोटे कारोबारियों की खासियत रही है। निम्न, मध्य और उच्च आय वर्ग के ज्यादातर ग्राहक अब भी उनके पास पहुंच रहे हैं।' इंदौर के प्रमुख ज्वेलर पंजाबी सर्राफ के सुमित आनंद ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि मुश्किल वक्त में इन लोगों को पैसे और आसान रिसेल की जरूरत होती है जिसमें पास-पड़ोस के छोटे सुनार मददगार साबित होते हैं। आनंद ने कहा, 'मंदी में लोगों को पैसे की काफी जरूरत है और सोने को भुनाकर पैसा हासिल करना बढि़या विकल्प है। बड़े ज्वेलरी शोरूम मौजूदा भाव में 5 से 10 फीसदी कमी कर लेते हैं। यही कारण है कि लोग इनके बजाय पारंपरिक छोटे सुनारों के पास जाना पसंद कर रहे हैं।' सोने की कीमतों में भारी बढ़ोतरी और आर्थिक मंदी के कारण छोटे से लेकर बड़े ज्वेलर तक, सबकी आभूषण बिक्री प्रभावित हुई है। 20 फरवरी को सोने के दाम 16,000 रुपए प्रति 10 ग्राम थे। मासिक किराए और कर्मचारियों के वेतन सहित अन्य खर्चों ने इस कारोबार में बड़ा नाम रखने वाले खिलाड़ियों का खेल बिगाड़ दिया है। नतीजतन, उद्योग के जानकारों का कहना है कि ब्रांडेड ज्वेलरों ने विस्तार योजनाओं पर धीमी चाल से बढ़ने का फैसला किया है या फिर वे इन्हें खत्म ही कर रहे हैं। बड़े एकीकृत ज्वेलरों में से एक गीतांजलि ग्रुप के चेयरमैन मेहुल चोकसी ने बताया कि बीते डेढ़ साल में बिक्री और निर्यात में कमी ने विस्तार की गति घटाने का काम किया है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि जिन कारोबारियों ने हीरे, चांदी या दूसरे लग्जरी उत्पादों में डायवर्सिफाइड कर लिया था, उनकी रफ्तार बरकरार है। तनिष्क की वृद्धि दर दिसंबर 2008 और फरवरी 2009 के बीच कुछ मंद पड़ी और उसने अपने कारोबार का खाका दोबारा खींचने का फैसला किया। (ET Hindi)

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