मुंबई March 04, 2009
तिलहन की फसल खराब होने की वजह से इस बार इसके उत्पादन लक्ष्य में 18 फीसदी की गिरावट होने की अंशका व्यक्त की गई है।
उत्पादन कम होने से तिलहन का आयात तो बढ़ेगा, लेकिन मंदी के चलते खाद्य तेलों की कीमतों में कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। तिलहन में सबसे ज्यादा कमी मूंगफली के उत्पादन में होने वाली है। मूंगफली का उत्पादन लक्ष्य से 36 फीसदी तक कम हो सकता है।
कृषि मंत्रालय द्वारा प्रमुख फसलों के उत्पादन पर जारी दूसरे अग्रमी अनुमान में तिलहन फसल के उत्पादन काफी कम होने की आशंका व्यक्त की गई है। मंत्रालय रिपोर्ट के अनुसार तिलहन का कुल उत्पादन पिछले साल से 18.23 फीसदी कम हो सकता है।
वर्ष 2007-08 के दौरान देश में कुल तिलहन का उत्पादन 297.55 लाख टन हुआ था। तिलहन के रकबे में बढ़ोतरी को देखते हुए कृषि मंत्रालय ने वर्ष 2008-09 में तिलहन का कुल उत्पादन का लक्ष्य 317.50 लाख टन रखा था लेकिन मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट में तिलहन का उत्पादन इस साल कम होकर 259.60 लाख टन ही रहने की बात कही है।
तिलहन की तीनों प्रमुख फसलें मूंगफली, सरसों और सोयाबीन के उत्पादन में कमी की आशंका व्यक्त की गई है। सबसे ज्यादा कमी सोयाबीन के उत्पादन में हो सकती है। पिछले साल की अपेक्षा इस बार सोयाबीन का उत्पादन 17.53 फीसदी कम होने की बात रिपोर्ट में दिखाई गई है।
पिछले साल सोयाबीन का उत्पादन 109.68 लाख टन हुआ था। सोयाबीन की फसल कमजोर होने की वजह से इस बार 96.54 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन होने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट में इस बार सोयाबीन का उत्पादन सिर्फ 90.45 लाख टन रहने की बात कही गई है।
तिलहन का उत्पादन कम होने के कारण खाद्य तेल की कीमतों में वृध्दि होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। क्योंकि मांग और आपूर्ति में ज्यादा फर्क होने के कारण कीमतों को बल मिल सकता है। सॉलवेंट एक्सट्रैक्टस एसोसिएशन के अध्यक्ष भरत मेहता कहते हैं कि तिलहन का उत्पादन कम होने की वजह से निर्यात ज्यादा करना पड़ेगा।
निर्यात ज्यादा होने का यह मतलब निकालना कि कीमतों में बढ़ोतरी होगी, गलत होगा। मेहता के अनुसार इस बार तेल की कीमतों में वृध्दि नहीं होने वाली है क्योंकि मंदी के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खाद्य तेल की कीमतें ज्यादा ऊपर नहीं जाने वाली हैं।
पिछले साल कुल 63 लाख टन तेल का आयात किया गया था जिसमें 56 लाख टन खाद्य तेल और 7 लाख टन गैरखाद्य तेल का निर्यात किया गया था। इस बार उत्पादन कम होने की वजह से 65 लाख टन से भी ज्यादा तेल का आयात करना पड़ सकता है। (BS Hindi)
04 मार्च 2009
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