05 मार्च 2009
औद्योगिक मंदी से अरंडी तेल के भाव तीन माह में 30 फीसदी गिरे
देश में अरंडी (कैस्टर सीड) की पैदावार बढ़ने का अनुमान तथा आर्थिक सुस्ती के चलते मांग में कमी के कारण पिछले तीन महीने के दौरान अरंडी तेल की कीमतों में तीस फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है। राजस्थान स्थित जोधपुर के अरंडी तेल उत्पादक सुरश संकलेचा ने बताया कि वैश्विक मंदी के कारण अक्टूबर के बाद मांग में कमी के कारण तीन महीने के दौरान अरंडी तेल की कीमतों में तीस फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ गई है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान निर्यात में लगातार बढ़ोतरी के चलते अक्टूबर में जोधपुर मंडी में अरंडी तेल 6800 रुपये क्विंटल के भाव बिक गया था जो अब 4600 रुपए क्विंटल रह गया है। इस साल जनवरी से अब तक अरंडी तेल के भाव 18 से 19 फीसदी गिर चुके हैं। कांडला में जनवरी में अरंडी तेल की कीमत 5600 रुपए क्विंटल थी जो घटकर अब 4550 रुपए क्विंटल रह गई है। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सितंबर तक पिछले वर्ष की समानावधि की तुलना में अरंडी तेल निर्यात करीब 138 फीसदी बढ़कर 87135 टन से 2.05 लाख टन हो गया था। इस कारण अक्टूबर में अरंडी तेल के भाव 6800 रुपए क्विंटल तक पहुंच गए थे। लेकिन दुनियाभर में मंदी गहराने से दूसरी छमाही में अक्टूबर से जनवरी तक चार महीनों के दौरान निर्यात करीब ग्यारह फीसदी ही बढ़ा। इससे निर्यात की मांग कम निकलने से अरंडी तेल व सीड दोनों में ही गिरावट देखने को मिली है। इस साल जनवरी में तो निर्यात पिछले वर्ष की समानावधि के मुकाबले करीब बीस फीसदी घटकर 8354 टन ही रह गया है। फरवरी में भी निर्यात मांग में काफी गिरावट दर्ज की गई है। गौरतलब है कि अरंडी तेल के वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 50 फीसदी से ज्यादा होने से घरलू कीमतों पर निर्यात मांग का काफी असर पड़ता है। वहीं घरलू स्तर पर अरंडी तेल का सौंदर्य प्रसाधन, पेंट, रसायन, फार्मास्युटिकल, रबर, परफ्यूम, ल्यूब्रिकेंट और साबुन समेत कई उद्योगों में बतौर कच्चे माल उपयोग किया जाता है लेकिन मंदी के कारण इन उद्योगों में भी अरंडी तेल की मांग में कमी आई है। यह देखते हुए व्यापारी अप्रैल-मई तक अरंडी तेल की कीमतों में सुधार होने से इंकार कर रहे हैं। इस समय उत्पादक मंडियों में नई फसल की आवकों का दबाव तो बना ही हुआ है साथ ही निर्यात मांग कमजोर होने से भावों में गिरावट देखने को मिल रही है। जानकारों के मुताबिक होली के बाद आवकों में और भी बढ़ोतरी की संभावना है जिससे मौजूदा भावों में और भी गिरावट की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008-09 (अक्टूबर से सितंबर) में अरंडी सीड उत्पादन करीब 21 फीसदी बढ़कर 11 लाख टन होने की संभावना है। इससे भी अरंडी सीड और अरंडी तेल की कीमतों में नरमी की धारणा को बल मिला है। पिछले वर्ष देश मे 9.10 लाख टन अरंडी सीड की पैदावार हुई थी। (Business Bhaskar)
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