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09 मार्च 2009

मानवीय आधार पर 20 लाख टन गैर बासमती चावल निर्यात होगा

केंद्र सरकार ने कूटनीतिक व मानवीय आधार पर करीब बीस लाख टन गैर-बासमती चावल निर्यात करने की अनुमति दे दी है। साथ ही राज्यों को आवंटित होने वाली गेहूं-चावल की मात्रा बढ़ा दी है। राज्य इस बढ़ी हुई मात्रा को राशन की दुकानों के माध्यम से जनता के बीच वितरित करेंगे। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार खाद्य मामलों पर गठित मंत्रियों के एक अधिकार संपन्न समूह ने गुरुवार को गैर-बासमती चावल के निर्यात को हरी झंडी दे दी है। हालांकि ऐसा राजनयिक माध्यम से ही संभव हो पाएगा। भारत ने इस वित्त वर्ष में करीब त्त.भ्भ् लाख टन गैर-बासमती चावल का निर्यात राजनयिक माध्यम से किया है। पिछले वर्ष अप्रैल में घरेलू मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए इसके व्यावसायिक निर्यात पर रोक लगा दिया गया था। मंत्री समूह द्वारा लिए गए फैसले के अनुसार अतिरिक्त गेहूं-चावल गरीबी रेखा के ऊपर (एपीएल) गुजर-बसर करने वाले उपभोक्ताओं को ही दिया जाएगा।राज्य सरकारें लंबे समय से इसका आवंटन बढ़ाने की मांग करती आ रही हैं। तीन साल बाद केंद्र सरकार ने निजी कंपनियों को गेहूं खरीदारी की छूट दे दी है। निजी कंपनियों को अब गेहूं खरीदारी का कोई रिटर्न नहीं दाखिल करना होगा। साथ ही गेहूं की अंतरराज्यीय खरीद पर लगे प्रतिबंध को भी खत्म कर दिया है। इस साल गेहूं की बंपर फसल के मद्देनजर स्टोरज के लिए निजी कंपनियों का सहयोग लेने पर जोर दिया गया है। प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में हुई मंत्रियों की बैठक में तय किया गया है कि निजी कंपनियों को 50 हजार टन से अधिक गेहूं की खरीद करने पर रिटर्न दाखिल करने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया जाए। इससे मंडियों से निजी कंपनियां आसानी से गेहूं खरीद सकती है। (Business Bhaskar)

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