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10 दिसंबर 2008

अगले साल भी घटेगा पंजाब में कपास का रकबा

चंडीगढ़ December 09, 2008
कपास के प्रमुख उत्पादक राज्यों में से एक पंजाब में कपास का रकबा अगले साल घटने की उम्मीद है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, राज्य में इस साल कपास के रकबे में खासी कमी हुई है और अनुमान है कि यह प्रवृत्ति आगे भी जारी रहेगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य में कपास का रकबा पिछले साल (2007-08) जहां 6,04,000 हेक्टेयर था, वहीं इस बार यह घटकर महज 5.35 लाख हेक्टेयर रह जाने का अनुमान है। इस तरह केवल एक साल में ही कपास के रकबे में 70 हजार हेक्टेयर की कमी हो गई है।इससे पहले, 2006-07 में कपास का रकबा 6,14,000 हेक्टेयर था। जानकारों की राय में यह गिरावट अगले साल भी जारी रहने वाली है और कुल रकबे में अभी और 5 से 10 फीसदी की कमी होगी। इस साल अनुमान है कि कपास की उत्पादकता 7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहेगी और इसका कुल उत्पादन 22 लाख गांठें (1 गांठ=170 किलोग्राम) रहेगा। मालूम हो कि 2007-08 में इसका कुल उत्पादन 23.55 लाख गांठें रहा था। इस साल उत्पादन क्षेत्र में कमी की बात है तो इसकी मुख्य वजह किसानों में व्याप्त भय है। गौरतलब है कि पिछले साल कपास की फसल पर 'मिली बग' नामक कीड़ों का बड़े पैमाने पर हमला हुआ था। इसके कारण पिछले साल कपास के उत्पादन में जबरदस्त गिरावट हुई थी। यह एक ऐसा फसल है जिसमें कई रोग लगते हैं।इसके चलते किसानों ने इस बार कपास की कम बुआई की। इतना ही नहीं, राज्य में इस बार मजूदरों की भी काफी किल्लत रही, जबकि कपास की खेती में मजदूरों की जरूरत बड़े पैमाने पर होती है।एक अन्य कारण की कपास साल में एक बार ही उपज देती है जबकि धान और गेहूं जैसे अनाज एक साल में कम से कम दो फसल तो दे ही देते हैं। धान की उत्पादकता भी कपास से कहीं ज्यादा है। इन सभी बातों को देखते हुए किसानों ने महसूस किया कि कपास की बजाय अन्य किसी फसल की खेती करना ज्यादा फायदेमंद है। ऐसे में राज्य के कपास उत्पादक दूसरे फसलों का रुख कर रहे हैं। भटिंडा के किसान हरविंदर सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ''कपास की खेती में मजदूरों का जबरदस्त इस्तेमाल होता है। इस बार राजस्थान में मानसून काफी बेहतर रहा, लिहाजा मजदूरों का पलायन पंजाब में नहीं हो सका। चूंकि हमलोग राजस्थान के मजदूरों पर काफी हद तक निर्भर होते हैं, इसलिए पंजाब में कपास की खेती पर इसका असर पड़ रहा है। हाल यह है कि कपास के फूल चुनवाने के लिए हमलोग मजदूरों को ऊंचा भुगतान कर रहे हैं।मौजूदा हालात को देखते हुए तो कपास की खेती करना छोड़ देना ही बेहतर है।'' दूसरे किसान शेर सिंह फरमाते हैं, ''इस बार कपास के फूल की चुनवाई जनवरी तक खिंचने का अनुमान है। इतने समय में तो हमलोग आराम से दो फसल ले लेते हैं।'' (BS Hindi)

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