07 दिसंबर 2008
सरकारी खरीद के बावजूद मक्के के दामों में गिरावट
निर्यात मांग में कमी और बढ़ती आवक के दबाव में सरकारी खरीद जारी रहने के बावजूद मक्के के दामों में गिरावट लगातार जारी है। पिछले एक महीने में मक्के के दाम आठ फीसदी तक गिर गए हैं। सभी उत्पादक राज्यों में दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के नीचे बने हुए हैं। सरकारी एजेंसियों द्वारा इनकी खरीद शुरु होने के बावजूद मक्के के दामों में सुधार नहीं हो रहा है। केन्द्र सरकार ने इस साल के लिए मक्के का एमएसपी 840 रुपये तय किया है। मक्के के दाम एमएसपी के नीचे जाने के चलते राज्य की एजेंसियों ने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश,छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में खरीद शुरु कर दी है। फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) द्वारा प्राप्त आंकड़ो के अनुसार, सरकारी एजेंसियों ने इन राज्यों में पांच दिसंबर तक 27,079 टन मक्के की खरीद कर ली है। मक्के के प्रमुख उत्पादन राज्य आंध्रप्रदेश सहित कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में इसके दाम एमएसपी के नीचे बने हुए है। आंध्र प्रदेश की निजामाबाद मंडी में शुक्रवार को मक्के के दाम 800 रुपये प्रति क्विंटल तक आ गये। नवंबर की शुरुआत में यहां दाम 870 रुपये प्रति क्विंटल थे। इसके अलावा, महाराष्ट्र में दाम 750 रुपये, कर्नाटक में 810 रुपये प्रति क्विंटल है। दामों में सबसे ज्यादा कमी मध्यप्रदेश में आई है, जहां दाम 720 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर तक पहुंच गये है। निजामाबाद में मक्के के व्यापारी पूनम चंद गुप्ता के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मक्के के दामों में काफी गिरावट आ गई है। इस समय अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मक्के के दाम 173 डॉलर प्रति टन के स्तर पर है जबकि भारतीय मक्का 185 डॉलर प्रति टन के स्तर पर है। इससे भारत से इसके निर्यात मांग में कमी आई है। इसके अलावा, इस समय मंडियों में नई फसल की आवक शुरु हो गई है। पूरे देश में इस समय एक लाख बोरी की आवक हो रही है। आवक के दबाव से भी कीमतों में नरमी बनी हुई है। इस साल खरीफ सीजन में 130 लाख टन मक्के के उत्पादन का अनुमान है जबकि पिछले साल खरीफ सीजन में 150 लाख टन मक्के का उत्पादन हुआ था। गौरतलब है कि वैश्विक बाजारों में भी मक्के की कीमतों में इस साल तगड़ी गिरावट देखी जा रही है। अमेरिका, चीन औ ब्राजील में क्षस साल मक्के का उत्पादन बढ़ने की संभावना से कीमतों पर दबाव बढ़ा है। वहीं वैव्श्रिक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आ रही लगातार गिरावट का असर भी मक्के के कारोबार पर पड़ रहा है। (Business Bhaskar)
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