मुंबई December 16, 2008
चालू खरीफ फसल के दौरान कारोबारियों द्वारा तिलहन का उत्पादन पिछले साल के लगभग होने की उम्मीद जताई जा रही है तो कृषि मंत्रालय इसमें कमी आने की आशंका व्यक्त कर रहा है।
सबसे ज्यादा अंतर मूंगफली केउत्पादन को लेकर लगाया जा रहा है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसियशन ऑफ इंडिया (सीईए) के अनुमान से 35 फीसदी ज्यादा मूंगफली के उत्पादन होने की बात कृषि मंत्रालय कर रहा है। इस सीजन में तिलहन के कुल उत्पादन के सीईए अनुमानों से कृषि मंत्रालय का अनुमान 9.3 फीसदी ज्यादा है तो पिछले साल के अपने ही अनुमान से इस बार 17.95 लाख टन तिलहन की कम पैदावार होने की बात की जा रही है।इस वर्ष अच्छी बरसात होने, तिलहन फसलों का रकबा बढ़ने और अभी तक खरीफ फसल के लिए सही मौसम होने की वजह से उम्मीद जताई जा रही है, कि इस बार तिलहन की पैदावार अच्छी होगी। उम्मीद के मुताबिक पिछले साल (अक्टूबर-नवंबर) हुए 71.35 लाख टन खाद्य तेल की अपेक्षा इस बार 73.70 लाख टन खाद्य तेल के उत्पादन की बात भी की जा रही थी। जिसकी मुख्य वजह किसानों द्वारा तिलहन की फसल को अहमियत देना था।इस बार रिकॉर्ड 82.02 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहन फसलों की बुआई की गई थी जबकि पिछले साल इस सीजन में तिलहनों की बुवाई 74.05 लाख हेक्टेयर में हुई थी। किसानों की उम्मीदों और तमाम सर्वे रिपोर्ट के विपरीत कृषि मंत्रालय और कारोबारियों के ताजा सर्वेक्षण में इस बार पैदावार कम होने के संकेत दिये जा रहे हैं। इस बार खरीफ फसल में सीईए ने कुल 164.1 लाख टन उत्पादन तिलहन की पैदावार होने की उम्मीद जताई है जो पिछले साल के 164.9 लाख टन उत्पादन से 0.8 लाख टन कम है। एसोशियन के इन आकड़ों विपरीत कृषि मंत्रालय के अनुसार इस बार उत्पादन में 17.95 लाख टन की कमी होने वाली है। मंत्रालय के आकड़ों में पिछले साल कुल उत्पादन 197.42 लाख टन तिलहन हुआ था जो इस बार 179.47 लाख टन ही होने वाला है। मंत्रालय और एसोशिएशन के आंकड़ों में अंतर की वजह सीईए के अध्यक्ष वी वी मेहता दोनों के काम करने के तरीके को मानते हैं।उनके अनुसार हम देश भर में फैले अपने व्यापारियों और निजी सर्वेक्षण करने वाली कंपनी की मदद से होने वाली पैदावार केबारे में अनुमान लगाते हैं जो हमेशा सच के करीब रहता है, क्योंकि हमको अपनी कारोबारी रणनीति इसी आधार पर बनानी होती है, जबकि कृषि मंत्रालय अपने सरकारी स्रोतों के आधार पर आकलन करने के बाद अपने आंकड़े जारी करता है।दोनों का मकसद एक ही होता है कि पैदावार की सही तस्वीर का अनुमान लगाकर आगे की रणनीति तय की जाए। (BS Hindi)
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