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05 दिसंबर 2008

कर्नाटक की बेमौसम बारिश में बह गए कॉफी किसानों के अरमान

बेंगलूरु December 04, 2008
नवंबर के अंतिम हफ्ते में हुई बेमौसम बरसात से कर्नाटक में कॉफी फसल की कटाई को तगड़ा नुकसान पहुंचा है।
कॉफी पार्चमेंट और हरी कॉफी की दोनों किस्में अरेबिका और रोबस्टा की उपलब्धता इससे प्रभावित होने की आशंका है। कॉफी उत्पादक जिलों कोडेगु, हासन और चिकमंगलूर में नवंबर के अंतिम दो हफ्तों में हुई जोरदार बारिश से फसल को तगड़ा नुकसान पहुंचा है।मालूम हो कि इन इलाकों में करीब 4 से 5 सेंटीमीटर बारिश हुई। इन दो हफ्तों में आसमान में छाये काले बादलों की वजह से फसल की कटाई और कटाई बाद के कामों के प्रभावित होने की आशंका है।कॉफी कारोबारी बी एल हरीश ने बताया कि कॉफी उत्पादक क्षेत्रों में कटाई के दौरान ही मौसमी तेवर में हुए अचानक परिवर्तन से अरेबिका की कटाई जहां खूब प्रभावित हुई, वहीं कटी फसलों को सुखाने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।उल्लेखनीय है कि चेरी से वेट मिलिंग प्रोसेस के द्वारा निकाले गए बीजों को धूप में सुखाने के बाद तैयार बीजों को पार्चमेंट कॉफी का नाम दिया जाता है। असल में ये बीज पतले और उजले होते हैं, जिनकी सतह पर चमड़े की तरह आकृतियां उभरी होती हैं। वहीं हरी कॉफी पार्चमेंट काफी की सतह को साफ करने के बाद तैयार होती है। हरीश ने बताया, ''कॉफी उत्पादक क्षेत्रों में लगातार बारिश होने और धूप न मिलने से उत्पादकों के पास कटे हुए चेरी को सुखाने की कोई जगह नहीं बची। यही नहीं नमी के चलते कॉफी बीजों के रंग पर भी असर पड़ा और ये काले-भूरे हो गए। इन सबके चलते कॉफी की कीमत प्रभावित हुई है। हाल यह है कि उत्पादकों को सस्ती दरों पर ही इन बीजों को बेचने पर मजबूर होना पड़ा है। देश में काफी का मौसम अक्टूबर से सितंबर तक चलता है, जबकि यहां कॉफी का सालाना उत्पादन करीब 2.60 लाख टन होता है। इनमें से 90 हजार टन अरेबिका और 1.70 लाख टन रोबोस्टा कॉफी होता है। कुल 90 हजार टन अरेबिका कॉफी में से पार्चमेंट और धुली दोनों किस्मों के करीब 45 से 50 हजार टन कॉफी निर्यात के लिए उपलब्ध होते हैं। बोला सुरेंद्र कामथ एंड संस के बोला दामोदर कामथ ने बताया, ''बेमौसमी बरसात के चलते अरेबिका कॉफी की दोनों किस्मों पार्चमेंट और धुली कॉफी के निर्यात में 10 से 15 फीसदी की कमी का अनुमान है। उम्मीद है कि इस बार महज 40 से 45 हजार टन कॉफी ही निर्यात के लिए उपलब्ध हो सकेंगे। जनवरी-फरवरी में जब नई कॉफी का बाजार में आगमन होता है, तब इसकी कीमतों पर असर दिखने की उम्मीद है।'' कॉफी बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि काली मिर्च की फसल पर भी इस बारिश का असर हुआ है। (BS Hindi)

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