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29 मई 2018

चीनी मिलों को केंद्र सरकार दे सकती है राहत, भाव में आयेगा सुधार

आर एस राणा
नई दिल्ली। गन्ना किसानों के बढ़ते बकाया से परेशान केंद्र सरकार चीनी मिलों को राहत देने की तैयारी कर रही है। वित्त मंत्रालय के अलावा पेट्रोलियम और फूड मंत्रालय इस पर मंथन कर रहा है। सूत्रों के अनुसार चीनी का बफर स्टॉक बनाने के साथ ही, एथनॉल के दाम में बढ़ोतरी और बफर स्टॉक बनाकर चीनी मिलों को राहत दी जा सकती है।
पीएमओ में हुई बैठक के बाद इन मंत्रालय पर दबाव है, वित्त मंत्रालय चीनी उद्योग को लिए जाने वाले ऋण पर राहत देने के लिए शॉर्ट मार्जिन की रकम को टर्म लोन में बदलने की एवंज में बैंक गारंटी और ब्याज दरों में छूट दे सकता है।
इसके अलावा पेट्रोलियम मंत्रालय एथनॉल की कीमतों में 2 से 3 रुपये की बढ़ोतरी कर सकता है, जबकिम खाद्य मंत्रालय ने 3 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बना सकत है। जानकारों के अनुसार चीनी बेचने की न्यूनतम कीमत भी 30 रुपये किलो तय करने और चीनी निर्यात पर सब्सिडी देने की भी चर्चा है। ........  आर एस राणा

केरल में मानसून की दस्तक, कई राज्यों में लू की स्थिति बरकरार

आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों के लिए अच्छी खबर है, भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मानसून ने समय से तीन दिन पहले ही केरल में दस्तक दे दी है। केरल के साथ ही कर्नाटक और अंडमान निकोबार में पिछले 24 घंटों में तेज बारिश हुई है। हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र तथा उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में लू की स्थिति बनी हुई है।
आईएमडी के अनुसार आगामी 24 घंटों के दौरान अंडमान निकोबार और कर्नाटका के साथ ही केरल, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड तथा अरुणाचल प्रदेश में कुछ जगहों पर तेज तथा कहीं मध्यम बारिश होने का अनुमान है।
आईएमडी के अनुसार केरल में मानसून का आगमन हो चुका है जोकि तय समय से तीन पहले पहुंचा है। आमतौर पर एक जून को केरल में मानसून का आगमन होता है। खरीफ सीजन में फसलों की बुवाई काफी हद तक मानसूनी बारिश पर निर्भर कर करती है। जैसे-जैसे मानसून आगे बढ़ेगा, खरीफ फसलों की बुवाई में भी तेजी आने का अनुमान है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में फसलों की बुवाई अभी तक 65.52 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 69.84 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
आगामी 24 घंटों में असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, तेलंगाना, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और तटीय आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश होने का अनुमान है।
मौसम विभाग के अनुसार विदर्भ और मध्य महाराष्ट्र के कुछेक हिस्सों में आगामी 24 घंटों में लू के प्रकोप कमी आने की आशंका है लेकिन मध्य प्रदेश और राजस्थान वासियों को अभी लू से राहत नहीं मिलेगी।
​मौसम विभाग के अनुसार बीते 24 घंटों के दौरान दक्षिण हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के अलावा मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ में लू की स्थिति बनी रही। हालांकि गुजरात में लू कुछ कम हुई है।
बीते 24 घंटों के दौरान पूर्वोत्तर भारत, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और बिहार के कुछेक हिस्सों, झारखंड, उत्तर ओडिशा, मध्य महाराष्ट्र और तमिलनाडु के आंतरिक हिस्सों में भी हल्की बारिश देखी गई। .....  आर एस राणा

आगामी 24 घंटों में केरल पहुंचेगा मानसून, उत्तर भारत में एक-दो दिन में लू में कमी की उम्मीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार आगामी 24 घंटों के दौरान मानसून केरल पहुंच जायेगा। इस समय केरल में प्री-मानसून की अच्छी बारिश हो रही है, तथा अगले एक दो दिनों में कर्नाटका में भी तेज बारिश होने का अनुमान है। उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में अगले 48 घंटों के दौरान तापमान में कुछ कमी आने से लू में कमी आयेगी। हालांकि मध्य प्रदेश, विदर्भ और राजस्थान के कुछ हिस्सों में अभी लू की स्थिति बनी रहने की आशंका है।
आईएमडी के अनुसार आगामी 24 घंटों के दौरान लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में भारी बारिश हो सकती है। इस दौरान केरल, कर्नाटक, सिक्किम, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और पश्चिम असम में कुछ जगहों पर हल्की तथा मध्यम बारिश होने का अनुमान है। एकाध जगह तेज बारिश होगी। 
इस दौरान झारखंड, तमिलनाडु, गोवा, दक्षिण मध्य महाराष्ट्र, बिहार और तटीय आंध्र प्रदेश में हल्की बारिश होने का अनुमान हैं। ओडिशा और छत्तीसगढ़ में भी एक दो जगहों पर हल्की बूंदा—बांदी होने की संभावना है। 
आगामी 24 घटों के दौरान मध्यप्रदेश, विदर्भ और राजस्थान के कुछ हिस्सों में लू का प्रकोप जारी रहेगा। दिल्ली और हरियाणा में आगामी 48 घंटों में लू की स्थिति में कुछ सुधार देखने को मिल सकता है।
मौसम विभाग के अनुसार बीते 24 घंटों के दौरान पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश, पश्चिम विदर्भ और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में लू की स्थिति बनी रही।
इस दौरान उत्तरी जम्मू-कश्मीर, उत्तरी ओडिशा, पूर्वी बिहार, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, दक्षिण मध्य महाराष्ट्र, गोवा, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और लक्षद्वीप के कुछ हिस्सों में प्री-मानसूनी की हल्की से मध्यम बारिश हुई।
पूर्वोत्तर भारत और अंडमान निकोबार द्वीप समूह के एक दो जगहों पर मध्यम तथा कुछेक जगह भारी बारिश हुई। उधर तेलंगाना और केरल के कुछ हिस्सों
में भी इस दौरान प्री-मानसून की मध्यम से तेज बारिश देखी गई। .............. आर एस राणा

सरकार समर्थन मूल्य से आधे दाम पर बेच रही है दाल, कैसे आयेगा भाव में सुधार

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ही जब दालों की बिक्री न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से आधे दाम पर करेगी, तो फिर भाव में कैसे आ पायेगा सुधार। नेफेड ने मध्य प्रदेश की शिहोरी मंडी में 2,711 रुपये प्रति क्विंटल की दर से उड़द बेची है जबकि उड़द का समर्थन मूल्य 5,400 रुपये प्रति क्विंटल है।
नेफेड ने मध्य प्रदेश में 400 टन मूंग 4,401 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेची है जबकि मूंग का एमएसपी 5,575 रुपये प्रति क्विंटल है। इससे पहले महाराष्ट्र और कर्नाटका में नेफेड ने 4,325 से 4,379 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मूंग बेची थी। अत: नेफेड समर्थन मूल्य से 1,174 से 2,689 रुपये प्रति ​​नीचे भाव पर दाल बेच रही है। 
नेफेड के पास दलहन का रिकार्ड स्टॉक
नेफेड के पास चना, अरहर और मसूर का 24.34 लाख टन से ज्यादा का बंपर स्टॉक हो चुका है तथा चना और मसूर की एमएसपी पर खरीद जारी है अत: आगे कुल स्टॉक में बढ़ोतरी होगी। इसलिए नेफेड की बिक्री में आगे और तेजी आने का अनुमान है जिससे भाव पर दबाव बना रहेगा।
रबी दलहन के भाव एमएसपी से नीचे
किसान उत्पादक मंडियों में 3,400 से 3,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से चना बेचने पर मजबूर है जबकि केंद्र सरकार ने चना का एमएसपी 4,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। इसी तरह से उत्पादक मंडियों में मसूर 3,000 से 3,200 रुपये प्रति​ क्विंटल की दर से बिक रही है, जबकि मसूर का एमएसपी 4,250 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) है।
आयात शुल्क बढ़ाने के बावजूद मसूर को हो रहा है आयात
केंद्र सरकार ने मसूर पर आयात शुल्क को बढ़ाकर 30 फीसदी और चना पर 60 फीसदी किया हुआ है। चना का आयात तो इस समय नहीं हो रहा, लेकिन मसूर का आयाति अभी भी हो रहा है। आयातित मसूर के भाव मुंबई पहुंच 3,150 रुपये प्रति क्विंटल हैं। केंद्र सरकार ने मटर के उन्हीं आयात सौदों को मंजूरी दी है जिन सौदों का 25 अपैल 2018 से पहले 100 फीसदी भुगतान हो चुका है।
आयात में आई कमी
केंद्र सरकार की सख्ती से वित्त वर्ष 2017-18 में दालों का आयात 15 फीसदी घटकर 56 लाख टन का ही हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में 66.08 लाख टन दलहन का रिकार्ड आयात हुआ था।
रिकार्ड पैदावार का अनुमान
कृषि मंत्रालय के ​तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017—18 में 245.1 लाख टन का रिकार्ड उत्पादन होने का अनुमान है जबकि पिछले फसल सीजन में इनका उत्पादन 231.3 लाख टन का हुआ था।.... आर एस राणा

कपास के साथ ​दलहन और धान की बुवाई पिछड़ी, गन्ने की बुवाई घटी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में कपास के साथ ही दलहन और धान की शुरूआती बुवाई पिछे चल रही है जबकि गन्ना की बुवाई में कमी आई है। देश के कई राज्यों में प्री-मानसून की बारिश कम होने के कारण बुवाई की गति धीमी है तथा आगे जैसे-जैसे मानसूनी बारिश होगी, बुवाई में भी तेजी आयेगी। किसानों को समय पर भुगतान नहीं होने का असर गन्ने की बुवाई पर पड़ा है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक कपास की बुवाई 7.82 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 11.24 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मई में कपास की बुवाई उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में होती है जबकि अन्य राज्यों में बुवाई जून से शुरू होगी। अत: माना जा रहा है कि आगे बुवाई की गति में तेजी आयेगी।
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रौपाई चालू खरीफ में अभी तक 1.52 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 2.17 लाख हैक्टेयर में रौपाई हो चुकी थी। धान की रौपाई अभी शुरूआती चरण में है तथा आगे इसकी रौपाई में तेजी आयेगी। 
मंत्रालय के अनुसार खरीफ दलहनों की बुवाई चालू रबी में अभी तक 61 हजार हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 1.15 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। इसके अलावा तिलहनों की बुवाई 37 हजार हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 41 हजार हैक्टेयर में हो चुकी थी।
चालू पेराई सीजन में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया बढ़कर 21,000 करोड़ रुपये के पार हो चुका है जिसका असर इसकी बुवाई पर पड़ा है। चालू खरीफ में गन्ना की बुवाई घटकर 44.70 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 48.67 लाख हैक्टेयर में गन्ना की बुवाई हो चुकी थी।
चालू खरीफ में फसलों की कुल बुवाई अभी तक 65.52 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक देशभर में 69.84 लाख हैक्टेयर में फसलों की बुवाई हो चुकी थी। ............. आर एस राणा

मध्य प्रदेश से चना, मसूर और सरसों की एमएसपी पर खरीद 9 जून तक

मध्य प्रदेश से रबी फसलों चना, मसूर और सरसों की खरीद अब 9 जून तक चलेगी। राज्य के मुख्यमत्री शिवराज सिंह चौहान ने ​टविट कर बताया कि खरीद की तारिख को बढ़ा कर 9 जून किया गया है, अगर जरुरत पड़ी तो इसे आगे और भी बढ़ाया जायेगा।
इससे पहले खरीद 30 मई तक की जानी थी, लेकिन उत्पादक मंडियों में हो रही लगातार दैनिक आवक के कारण इसे बढ़ाया गया है। मध्य प्रदेश से नेफेड न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 9.09 लाख टन चना, 1.17 लाख टन मसूर और 66,933 टन सरसों की खरीद कर चुकी है। खरीद में आगे और तेजी आने का अनुमान है जिससे केंद्रीय पूल में दलहन का रिकार्ड स्टॉक होने का अनुमान है।

धान का एमएसपी 80 रुपये और अरहर, उड़द का 400 रुपये बढ़ाने की सि​फारिश

केंद्र ने गेहू्ं पर आयात शुल्क बढ़ाकर किया 30 फीसदी, भाव में आयेगी तेजी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गेहूं के आयात शुल्क को 20 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी कर दिया है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार गेहूं के आयात शुल्क में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।
भाव में आयेगी तेजी
गेहूं की कारोबारी फर्म श्री बालाजी फूड प्रोडेक्टस के प्रबंधक संदीप बंसल ने बताया कि पिछले साल गेहूं की कीमतों में तेजी नहीं आ पाई थी, इसलिए चालू सीजन में फ्लोर मिलों ने गेहूं की खरीद सीमित मात्रा में ही की है इसीलिए सरकारी खरीद ज्यादा हुई है। अत: आगे गेहूं की कीमतों में 100 से 150 रुपये की तेजी बनने की संभावना है। केंद्र सरकार खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की बिक्री पिछले साल की तुलना में भाव बढ़ाकर करेगी। पिछले साल पंजाब और हरियाणा से ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री 1,790 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की गई थी।
आयात की संभावना नहीं
बंगलुरु स्थित गेहूं की कारोबारी फर्म प्रवीन कॉ​मर्शियल कंपनी के प्रबंधक नवीन गुप्ता ने बताया कि यूक्रेन से आयातित लाल गेहूं तूतीकोरन बंदरगाह पर 2,280 रुपये और आस्ट्रेलियाई गेहूं 2,530 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच पड़ेगा, इसमें परिवहन लागत और जोड़ दे, तो मिल पहुंच इसके भाव बढ़कर 2,400 से 2,650 रुपये प्रति क्विंटल हो जायेंगे। अत: आयात की संभावना नहीं है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान से बंगुलरु पहुंच गेहूं के सौदे इस समय 2,050 से 2,150 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रहे हैं।
वित्त वर्ष 2017-18 में गेहूं के आयात में आई कमी
कृषि मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 7 महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान 13.9 लाख टन गेहूं का ही आयात हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में 57.5 लाख टन गेहूं का आयात हुआ था। जानकारों के अनुसार नवंबर के बाद आयात सौदे सीमित मात्रा में ही हुए, इसलिए वित्त वर्ष 2017-18 में कुल 16-17 लाख टन का ही आयात हुआ है।
समर्थन मूल्य पर खरीद में हुई बढ़ोतरी
चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की सरकारी खरीद बढ़कर 336.39 लाख टन की हो चुकी है जोकि तय लक्ष्य 320 लाख टन से ज्यादा है। पिछले रबी सीजन में समर्थन मूल्य पर कुल 308.25 लाख टन गेहूं की ही खरीद हुई थी।
रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं की रिकार्ड पैदावार 986.1 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 985.1 लाख टन का हुआ था।......   आर एस राणा

24 मई 2018

गेहूं की सरकारी खरीद 336 लाख टन के पार, आयात शुल्क बढ़ा सकती हैं सरकार

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की सरकारी खरीद बढ़कर 336.39 लाख टन की हो चुकी है जोकि तय लक्ष्य 320 लाख टन से ज्यादा है। कई राज्यों की मंडियों में अभी गेहूं की आवक बनी हुई है, इसलिए खरीद में और बढ़ोतरी होगी। ​बंपर उत्पादन अनुमान से केंद्र सरकार गेहूं के आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर सकती है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार चालू रबी विपणन सीजन में एमएसपी पर 336.39 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है तथा उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब और राजस्थान की मंडियों में अभी दैनिक आवक दो लाख टन के करीब हो रही है ऐसे में खरीद बढ़कर 345 से 348 लाख टन तक पहुंच सकती है। ​पिछले रबी सीजन में समर्थन मूल्य पर कुल 308.25 लाख टन गेहूं की ही खरीद हुई थी।
आयात शुल्क को दोगुना कर सकती है सरकार
चालू रबी में गेहूं की रिकार्ड पैदावार 986.1 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 985.1 लाख टन का हुआ था। अत: बंपर उत्पादन अनुमान को देखते हुए केंद्र सरकार गेहूं के आयात की संभावनाओं को समाप्त करना चाहती है, इसलिए आयात पर शुल्क को 20 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर सकती है। गेहूं की कारोबारी फर्म प्रवीन कॉमर्शियल कंपनी के प्रबंधक नवीन गुप्ता ने बताया कि अभी तो गेहूं के आयात पड़ते नहीं लग रहे, लेकिन जुलाई में ब्लैक सी रीजन के देशों की फसल आने के बाद विश्व बाजार में इसके भाव में गिरावट आ सकती है।
पंजाब, हरियाणा से खरीद ज्यादा
एफसीआई के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्य पंजाब से चालू रबी में गेहूं की सरकारी 126.29 लाख टन की हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 116.49 लाख टन से ज्यादा है। इसी तरह से हरियाणा से गेहूं की खरीद बढ़कर 87.36 लाख टन की हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य की मंडियों से केवल 74.10 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था।
उत्तर प्रदेश की मंडियों में आवक हो रही है अभी भी ज्यादा
उत्तर प्रदेश से चालू रबी में 38.09 लाख टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है, जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य से केवल 23.28 लाख टन की ही खरीद हो पाई थी। उत्तर प्रदेश की मंडियों में सबसे ज्यादा करीब एक लाख टन से ज्यादा की आवक हो रही है। मध्य प्रदेश से गेहूं की खरीद चालू रबी में 69.03 लाख टन की हुई है, जबकि पिछले खरीद सीजन की समान अवधि में राज्य से 65.32 लाख टन की ही खरीद हुई थी।
राजस्थान से भी खरीद बढ़ी
राजस्थान से गेहूं की खरीद बढ़कर चालू रबी में 14.25 लाख टन की हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य की मंडियों से केवल 10.57 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था। उत्तराखंड से 83,746 टन, गुजरात से 35,741 टन और चंडीगढ़ से 14,030 टन गेहूं की खरीद समर्थन मूल्य पर हो चुकी है।..........  आर एस राणा

​तेजी से आगे बढ़ रहा है मानसून, अगले 2-3 दिन में अंडमान पहुंचने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसून तेजी से आगे बढ़ रहा है तथा जल्द ही इसके अंडमान में पहुंचने की उम्मीद है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार आगामी 2 से 3 दिन में मानसून अंडमान पहुंच जायेगा, इसके लिए प​रिस्थितियां एकदम अनुकूल हैं। 
आईएमडी ने चालू खरीफ सीजन में 29 मई को केरल में मानसून के आगमन की पहले ही घोषणा कर चुका है, साथ ही चालू खरीफ में मानसूनी बारिश भी अच्छी होने की भविष्यवाणी है।
खरीफ फसलों का उत्पादन काफी हद तक मानसूनी बारिश पर निर्भर करता है, अत: मानसूनी बारिश अच्छी और तय समय पर हुई तो फिर खरीफ फसलों का उत्पादन भी बढ़ेगा। उत्तर भारत के धान उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान में किसान धान की नर्सरी तैयार कर रहे हैं। 
आगामी 24 घंटों के दौरान उतरी ओडिसा, महाराष्ट्र के विदर्भ और तेलंगाना के कुछेक क्षेत्रों में कहीं हल्की तो कहीं मध्यम बारिश होने का अनुमान है। उत्तरपूर्वी राज्यों में भी इस दौरान बारिश होने का अनुमान है।
​दक्षिण भारत के राज्यों केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु के कुछ क्षेत्रों में जहां हल्की बारिश होने का अनुमान है, वहीं एकाध जगह मध्यम बारिश हो सकती है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कोंकण और जम्मू-कश्मीर के उत्तरी हिस्सों में भी आगामी 24 घंटों में बारिश होने का अनुमान है।
आईएमडी के अनुसार बीते 24 घंटों के दौरान दक्षिण हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, विदर्भ और गुजरात के साथ ही दिल्ली में लू का प्रकोप जारी रहा। 
इस दौरान पश्चिम बंगाल, उत्तरी ओडिशा और असम में कहीं मध्य तो कहीं भारी बारिश बारिश हुई। दक्षिण भारत के केरल, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, दक्षिणपूर्वी मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड में कहीं-कहीं हल्की बारिश देखी गई। 
अंडमान निकोबार द्वीप समूह के साथ ही लक्षद्वीप में भी पिछले 24 घंटों के दौरान कुछेक जगहों पर हल्की बारिश हुई। .............   आर एस राणा

देश के आधे राज्यों में मानसून से पूर्व की बारिश कम, गुजरात में हालत सबसे ज्यादा खराब

आर एस राणा
नई दिल्ली। खरीफ फसलों की बुवाई से पहले मार्च से मई के दौरान होने वाली मानसून पूर्व की बारिश इस बार देश के आधे राज्यों में सामान्य से कम हुई है। ​बुवाई से पहले खेतों को तैयार करने में मानसून से पूर्व की बारिश से किसानों को फायदा होता ही है, वही इससे गर्मी के प्रकोप से भी राहत मिलती है। मानसून पूर्व की बारिश में कमी वाले राज्यों में गुजरात प्रमुख है।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार इस साल एक मार्च से 16 मई तक पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ ही बिहार, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर में मानसून पूर्व की बारिश सामान्य से कम हुई है। इस दौरान पूरे देश में मानसून पूर्व की बारिश सामान्य की तुलना में 11 फीसदी कम हुई है।
आईएमडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार साल 2014 के बाद देश में मानसून पूर्व की बारिश का यह न्यनूतम स्तर है। माना जाता है कि मानसून पूर्व की बारिश फलों के साथ सब्जियों की फसलों के लिए अच्छी होती है, फलों में खासकर के आम, लीची और स्ट्रॉबेरी के अलावा सब्ज्यिों के फसलों के लिए इसका अहम योगदान होता है, साथ ही धान की रौपाई से पहले नर्सरी तैयार करने और खेतों को तैयार करने में किसानों की मददगार साबित होती है।
चालू सीजन में गुजरात में मानसून पूर्व की बारिश सामान्य से 93 फीसदी कम हुई है, जबकि केंद्र शासित राज्य दादर नगर हवेली और दमन दीव में इस दौरान बारिश हुई ही नहीं। उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना और त्रिपुरा में इस दौरान सामान्य से अधिक मानसून पूर्व की बारिश हुई है।............  आर एस राणा

गन्ना किसानों की मुश्किल और बढ़ी, बकाया बढ़कर 21,700 करोड़ के पार

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन में गन्ने का बंपर उत्पादन किसानों के लिए घाटे का सौदा सा​बित हो रहा है, चीनी मिलों पर देशभर के गन्ना किसानों के बकाया की राशि बढ़कर 21,700 रुपये को पार कर गई है। ​समय पर भुगतान नहीं मिलने से गन्ना किसानों को भारी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जिस कारण राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों में रोष बढ़ रहा है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है कि घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में भारी गिरावट से चीनी मिलों पर बकाया की राशि बढ़कर रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई है, अत: समय रहते कारगर कदम नहीं उठाया गया तो अगले पेराई सीजन में कुछ चीनी मिलों में पेराई शुरू ही नहीं हो पायेगी।
उद्योग केंद्र सरकार पर बना रहा है दबाव
इस्मा ने गन्ना मूल्य निर्धारण में रंगराजन समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए केंद्र सरकार से आग्रह किया है।​ इस्मा ने यह भी कहा है कि अगर रंगराजन समिति की सिफारिशों के मुताबिक गन्ने का उचित एवं लाभाकारी मूल्य (एफआरपी) होता तो 223 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर नहीं होता। चालू पेराई सीजन 2017-18 के लिए केंद्र सरकार ने गन्ने का एफआरपी 255 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। उद्योग संगठन ने केंद्र सरकार को ऐसे समय में पत्र लिखा है जबकि आगामी पेराई सीजन के लिए गन्ने का एफआरपी तय किया जाना है।
चीनी पर सेस लगाने पर फैसला अटका
केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के लिए 5.50 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी देने की घोषणा की हुई है। चीनी पर तीन रुपये प्रति किलो की दर से सेस लगाने का प्रस्ताव है, जिस पर अभी फैसला नहीं हो सका है। चीनी पर सेस लगाने पर फैसला करने के लिए केंद्र सरकार ने असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वसर्मा की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह का गठन किया हुआ है जोकि 15 जून तक रिपोर्ट फाइनल करेगा।
भाव में सुधार के लिए उठाए गए कदम नाकाफी
केंद्र सरकार ने घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में सुधार लाने के लिए कदम तो उठाएं हैं, लेकिन सरकारी कदमों से भाव में सुधार नहीं आ पा रहा है। चीनी के आयात को रोकने के लिए सरकार आयात पर 100 फीसदी का आयात शुल्क लगा चुकी है, जबकि निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए 20 निर्यात शुल्क को समाप्त कर चुकी है। इसके अलावा 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति भी दी हुई है, लेकिन विश्व बाजार में भाव कम होने के कारण निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं। 
रिकार्ड चीनी उत्पादन अनुमान
पहली अक्टूबर 2017 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन में अप्रैल के आखिर तक चीनी का रिकार्ड उत्पादन 310.37 लाख टन हो चुका है जबकि अभी भी कुछ चीनी मिलों में पेराई चल रही है ऐसे में उत्पादन 315-320 लाख टन होने का अनुमान है। चीनी का उत्पादन बढ़ने के साथ ही गन्ना किसानों पर बकाया की राशि भी लगातार बढ़ रही है।............   आर एस राणा

22 मई 2018

मटर आयात पर और सख्ती, सौ फीसदी एडवांस पैमेंट हो चुके सौदों का ही होगा आयात

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मटर के आयात पर लगाम लगाने के लिए और सख्ती की है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार आयातकों ने जो आयात सौदे 25 अपैल 2018 से पहले के किए ​हुए हैं, तथा जिनका 100 फीसदी भुगतान भी हो चुका है। उन्हीं आयात सौदे के आयात को मंजूरी होगी।
आयातकों से पहले मांगा था आयात सौदों का ब्यौरा
इससे पहले केंद्र सरकार ने 10 मई को मटर आयातकों से 25 अप्रैल 2018 तक किए गए अगाऊ सौदों की जानकारी मांगी थी। असके अलावा केंद्र सरकार ने 25 अप्रैल को अधिसूचना जारी कर अप्रैल से जून के दौरान केवल एक लाख टन मटर के आयात को मंजूरी दी थी।
सरकारी सख्ती के बावजूद भाव में सुधार नहीं 
केंद्र सरकार दलहन आयात पर लगातार सख्ती तो कर रही है, लेकिन घरेलू बाजार में दलहन के बंपर उत्पादन उत्पादन अनुमान से भाव में सुधार नहीं आ पा रहा है, जिस कारण उत्पादक मंडियों में किसानों को दालें समर्थन मूल्य से 1,500 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
उत्पादक मंडियों में दालों के भाव समर्थन मूल्य से नीचे
उत्पादक मंडियों में अरहर के भाव 3,800 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल और उड़द के भाव 3,200 से 3,500 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि केंद्र सरकार ने इनका समर्थन मूल्य क्रमश: 5,450 रुपये और 5,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। इसी तरह से मूंग के भाव उत्पादक मंडियों में 4,600 से 4,800 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि मूंग का एमएसपी 5,575 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) है।
नेफेड के पास दलहन का बंपर स्टॉक
नेफेड एमएसपी पर 8.67 लाख टन अरहर की खरीद कर चुकी है, इसके अलावा चालू रबी में11.16 लाख टन चना और 92,969 टन मसूर की खरीद भी समर्थन मूल्य पर हो चुकी है। चना और मसूर की खरीद अभी चल रही है अत: केंद्रीय पूल में आगे दलहन का स्टॉक और बढ़ेगा।
केंद्र की सख्ती से आयात में आई कमी
केंद्र सरकार की सख्ती से वित्त वर्ष 2017-18 में दालों का आयात 15 फीसदी घटकर 56 लाख टन का ही हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में 66.08 लाख टन दलहन का रिकार्ड आयात हुआ था।...........  आर एस राणा

डीजल के दाम रिकार्ड स्तर पर, धान किसानों को होगी मुश्किल

आर एस राणा
नई दिल्ली। डीजल की कीमतों में बेहताशा बढ़ोतरी से धान किसानों की चिंता बढ़नी शुरू हो गई है, चालू खरीफ के लिए किसान धान की नर्सरी तैयार कर रहे है, अगले महीने से इसकी रौपाई शुरू हो जायेगी। अत: डीजल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी से इस बार धान की फसल की लागत बढ़ जायेगी। 
कर्नाटक विधानसभा चुनावों तक स्थिर रहे डीजल और पेट्रोल के दामों में चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद से ही लगातार तेजी का दौर बना हुआ है। हालत यह है कि सोमवार को इनके दामों ने पिछले 56 माह का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया। दिल्ली में पेट्रोल के दाम 76.24 रुपये और डीजल के 67.57 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गए।
खरीफ सीजन में धान के प्रमुख उत्पादक राज्यों पंजाब में सोमवार को डीजल के दाम 67.90 प्रति लीटर हो गए हैं ज​बकि हरियाणा के पानीपत में डीजल के दाम 68.19 रुपये, उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 67.46 प्रति लीटर और राजस्थान के जयपुर में 72.23 रुपये प्रति लीटर हो गए।
लागत में होगी बढ़ोतरी
धान की रौपाई मानसूनी बारिश शुरू होने पर की जाती है लेकिन धान के खेत में लगातार पानी रखना पड़ता है, इसलिए बारिश के अलावा किसानों को ट्यूबवेल से भी पानी देना पड़ता हैं। ऐसे में किसानों की चिंता बढ़ना भी लाजिमी है। हरियाणा के गोहाना ​के पूठी गांव के किसान राजेश कुमार ने बताया कि उसने पांच एकड़ में फसल लगाने के लिए धान की नर्सरी लगाई है, ​लेकिन डीजल की कीमतों में इसी तरह से बढ़ोतरी जारी रही तो​ फिर रौपाई एक या फिर दो एकड़ में ही की जायेगी। उसके खेत में दो टयूबवेल है, ​डीजल की कीमत रिकार्ड स्तर पर होने के कारण फसल की लागत चालू खरीफ में बढ़ जायेगी।?
धान के खेत में हर समय रखना पड़ता है पानी
पंजाब के लुधियाना के धान किसान धर्मेंद्र गिल ने बताया कि डीजल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी से इस बार धान किसानों की लागत 10 से 15 फीसदी तक बढ़ जायेगी, क्योंकि धान के खेत में आधा से एक फुट तक पानी रखना पड़ता है, इसलिए बारिश के अलावा टयूबवेल से भी पानी देना पड़ता है।
जून में रौपाई हो जायेगी शुरू
प्रमुख धान उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में धान की रौपाई का कार्य जून में शुरू हो जायेगा। पेट्रोल और डीजल की कीमतें कच्चे तेल की कीमतों पर निर्भतर करती है, तथा जानकारों का मानना है कि ओपेक की कटौती से अभी कच्चे तेल की कीमतों में तेजी बनी रहेगी है। विश्व बाजार में कच्चा तेल 80 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुका है। कच्चे तेल की कीमतों में तेजी जारी रही तो फिर डीजल की कीमतों में और बढ़ोतरी होगी। 
खरीफ में करीब 400 लाख हैक्टेयर में होती है धान की रौपाई
कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ सीजन में धान की रौपाई सामान्यत: 396.09 लाख हैक्टेयर में होती है, इसमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 58.79 लाख हैक्टेयर में होती है। .......   आर एस राणा

समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद 332.60 लाख टन, हरियाणा में आवक हुई बंद

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की सरकारी खरीद बढ़कर 332.60 लाख टन की हो चुकी है जोकि तय लक्ष्य 320 लाख टन से ज्यादा है। पिछले साल की समान अवधि में 287.24 लाख टन गेहूं की खरीद ही हुई थी। हरियाणा की मंडियों में गेहूं की आवक नहीं होने से खरीद बंद हो गई है। जबकि पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान की मंडियों से अभी खरीद चल रही है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार चालू प्रमुख उत्पादक राज्य पंजाब से चालू रबी विपणन सीजन में 126.11 लाख टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 116.34 लाख टन से ज्यादा है। राज्य की मंडियों में आवक घटकर अब 13-14 हजार टन की रह गई है। हरियाणा से चालू रबी में गेहूं की सरकारी खरीद 87.36 लाख टन की हो चुकी है जोकि अभी तक की सर्वाधिक है। पिछले साल इस समय तक राज्य की मंडियों से 74.10 लाख टन गेहूं खरीदा गया था। राज्य की मंडियों मेंं आवक नहीं होने से खरीद बंद हो गई है। 
मध्य प्रदेश से चालू रबी विपणन सीजन में गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद 67.79 लाख टन की हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य की मंडियों से 64.63 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था। उत्तर प्रदेश की मंडियों से चालू रबी में 36.04 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य की मंडियों से 21.68 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था। मध्य प्रदेश से गेहूं की खरीद जहां तय लक्ष्य से ज्यादा हो चुकी है वहीं उत्तर प्रदेश से अभी खरीद तय लक्ष्य से पिछे ही चल रही है। उत्तर प्रदेश से खरीद चालू रबी में 40 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया गया है।
अन्य राज्यों में राजस्थान से चालू रबी में गेहूं की खरीद बढ़कर 13.99 लाख टन की हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य से केवल 10.31 लाख टन गेहूं की खरीद ही हो पाई थी। उत्तराखंड से 78,582 टन, गुजरात से 35,305 टन और चंडीगढ़ से 14,030 टन गेहूं की खरीद समर्थन मूल्य पर चालू रबी में हुई है।
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21 मई 2018

कच्चे तेल कीमतों में तेजी, आम आदमी की जेब पर पड़ेगा असर

आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार में कच्चे तेल कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है जिस कारण दिल्ली में पेट्रोल के भाव 75 रुपये प्र​ति लीटर के स्तर को पारकर गए हैं जोकि सितंबर 2013 के बाद उच्च्तम भाव है। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में चल रही तेजी का असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा, जोकि केंद्र सरकार के लिए चिंता पैदा कर सकता है क्योंकि इसी साल मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में विधानसभा के चुनाव जो होने हैं।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में तेजी थमने का नाम नहीं ले रही है। बीते 5 दिनों में दिल्ली में पेट्रोल 1 रुपये तक महंगा हो चुका है। दिल्ली में पेट्रोल के दाम 75.61 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर पहुंच गए हैं। वहीं डीजल में भी बढ़ोत्तरी जारी है। इससे पहले 20 दिनों तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई भी बदलाव नहीं हुआ था। कर्नाटक चुनाव के मद्देनजर सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों को 24 अप्रैल 2018 से अगले 20 दिनों तक अपरिवर्तित रखा था। 
16 जून 2017 से ही पेट्रोल और डीजल की कीमतों में रोजाना संशोधन हो रहा है। इससे पहले सरकारी तेल विपणन कंपनियां ईंधन की कीमतों की महीने में दो बार समीक्षा किया करती थीं।
एसएमसी इन्वेस्टमेंट्स के प्रबंध निदेशक व सलाहकार डी. के. अग्रवाल ने आउटलुक को बताया कि अमेरिका द्वारा ईरान पर प्रतिबंध और ओेपेक और रूस सहित कई देशों द्वारा पहले से ही उत्पादन में कटौती के कारण विश्व बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी बनी हुई है। ओपेक द्वारा तेल की आपूर्ति में लगातार कटौती के साथ एशिया में तेल की मांग बढ़ने से भी कीमतों को लगातार मदद मिल रही है। उन्होंने बताया कि आगे विश्व बाजार में बने हुए तनाव की स्थिति में सुधार आने के बाद इसकी कीमतों में नरमी आ सकती है।
कच्चे तेल के भाव विश्व बाजार में 20 जून 2017 को 45 डॉलर प्रति बैरल थे, जोकि बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल हो गए हैं। पिछले 11 महीनों से इसकी कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है।.....  आर एस राणा

डॉलर की मजबूती से कपास ​में निर्यात मांग अच्छी, उत्तर भारत में बुवाई घटने की आशंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है, जबकि रुपये की तुलना में डॉलर की मजबूती से निर्यातकों को पड़ते भी अच्छे लग रहे हैं। इसलिए कपास के निर्यात में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। सिंचाई के लिए पानी की कमी के कारण उत्तर भारत के राज्यों में कपास की बुवाई तय लक्ष्य से कम होने की आशंका है।
विदेशी बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती
नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है, साथ ही रुपये के मुकाबले डॉलर मजबूत बना हुआ है इसलिए निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है। शुक्रवार को न्यूयॉर्क के वायदा बाजार में कपास का भाव सुधरकर 85.03 सेंट प्रति पाउंड हो गया, पिछले कारोबारी दिवस के मुकाबले इसमें 0.6 सेंट प्रति पाउंड की बढ़ोतरी दर्ज की गई। चालू फसल सीजन में अभी तक करीब 60 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास के निर्यात सौदे हो चुके हैं तथा मांग अभी भी अच्छी बनी हुई है, अत: कुल निर्यात 70 लाख गांठ के करीब होने का अनुमान है। एक डॉलर की कीमत डॉलर 67.60 रुपये से उपर बनी हुई है। 
भाव में और बढ़ोतरी संभव
उन्होनें बताया कि शुक्रवार को अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव 42,000 से 42,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रहा। निर्यातकों की अच्छी मांग को देखते हुए मौजूदा भाव में और भी 500 से 1,000 रुपये प्रति कैंडी की तेजी आने का अनुमान है। 
निर्यात का लक्ष्य ज्यादा
कॉटन एडवाईजरी बोर्ड (सीएबी) के अनुसार चालू सीजन में कपास का निर्यात 67 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले फसल सीजन में 58 लाख गांठ का ही निर्यात हुआ था। चालू फसल सीजन 2017-18 में कपास का उत्पादन 377 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 345 लाख गांठ का हुआ था। चालू सीजन में उत्पादक मंडियों में अभी तक करीब 325 से 330 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है। 
बुवाई में कमी की आशंका
सिरसा स्थित केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र (सीआईसीआर) के प्रभारी दिलीप मोंगा ने बताया कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में नहरी पानी की उपलब्धता कम होने के कारण बुवाई पिछे चल रही है। इन राज्यों के कई क्षेत्रों में अगले एक-दिनों में बारिश होने का अनुमान है अत: बारिश हुई तो फिर बुवाई की स्थिति में सुधार आ सकता है, अगर बारिश नहीं हुई तो बुवाई तय लक्ष्य के 80 फीसदी क्षेत्रफल में ही होने का अनुमान है। वैसे उत्तर भारत में कपास की बुवाई का समय 31 मई तक है।
उन्होंने बताया कि चालू खरीफ में हरियाणा में 15 मई तक 3.72 लाख हैक्टेयर में कपास की बुवाई ही हुई है जबकि बुवाई का लक्ष्य 6.48 लाख हैक्टेयर का तय किया हुआ है। इसी तरह से पंजाब में बुवाई 1.68 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि बुवाई का लक्ष्य 4 लाख हैक्टेयर तय है। राजस्थान के श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में चालू खरीफ में इसकी बुवाई 1.05 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। ..............  आर एस राणा

केंद्र ने ​पश्चिम बंगाल से 10 हजार टन सरसों खरीद को दी मंजूरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल से चालू रबी सीजन 2017-18 में 10 हजार टन सरसों की खरीद को मंजूरी दी है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन ने गुरुवार को ​टविट ​कर इसकी जानकारी दी। सरसों की खरीद प्राइस स्पोर्ट स्कीम (पीएसएस) के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जायेगी।
केंद्र सरकार रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए सरसों का समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,000 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है जबकि उत्पादक मंडियों में किसान 3,400 से 3,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सरसों बेचने को मजबूर हैं।
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी सीजन 2017-18 में सरसों का उत्पादन बढ़कर 80.41 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 79.17 लाख टन का हुआ था।.......... आर एस राणा

समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद 326 लाख टन के पार, हरियाणा से हो चुकी है रिकार्ड खरीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद बढ़कर 326.46 लाख टन की हो चुकी है उत्पादक मंडियों में गेहूं की आवक अभी बनी हुई है, ऐसे में खरीद में और बढ़ोतरी होगी। ​हरियाणा से चालू रबी में रिकार्ड 87.35 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है।
खरीद 335-340 लाख टन होने का अनुमान 
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार चालू रबी में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद का लक्ष्य 320 लाख टन का तय किया था जबकि खरीद 326.46 लाख टन की हो चुकी है। कई राज्यों की मंडियों में अभी भी गेहूं की आवक हो रही है ऐसे में खरीद बढ़कर 335-340 लाख टन पहुंचने का अनुमान है। इससे पहले ​विपणन सीजन 2012-13 में समर्थन मूल्य पर रिकार्ड 381.48 लाख टन गेहूं खरीदा गया था। पिछले साल एमएसपी पर 308.25 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी।
हरियाणा में हुई अभी तक की रिकार्ड खरीद
हरियाणा से चालू रबी में गेहूं की समर्थन मूल्य पर रिकार्ड खरीद 87.35 लाख टन की हो चुकी है जबकि इससे पहले राज्य से 2012-13 में 86.65 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। पिछले रबी विपणन सीजन में राज्य से 74.32 लाख टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया था। 
सबसे ज्यादा खरीद पंजाब से 
एफसीआई के अनुसार अभी तक हुई खरीद में पंजाब से 125.75 लाख टन, हरियाणा से 87.35 लाख टन, मध्य प्रदेश से 65.37 लाख टन और उत्तर प्रदेश से 33.15 लाख टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है।
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से खरीद तय लक्ष्य से कम
पंजाब और हरियाणा से जहां चालू रबी में गेहूं की खरीद तय लक्ष्य से ज्यादा हुई है, वहीं उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में अभी लक्ष्य तक नहीं पहुंची है। एफसीआई ने चालू रबी में पंजाब से गेहूं की खरीद का लक्ष्य 119 लाख टन और हरियाणा से 74 लाख टन का तय किया था। उधर उत्तर प्रदेश से गेहूं की खरीद का लक्ष्य 40 लाख टन और मध्य प्रदेश से 67 लाख टन का तय किया हुआ है।
रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार गेहूं का रिकार्ड उत्पादन 986.1 लाख टन होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2016-17 में इसका 985.1 लाख टन का उत्पादन हुआ था।.....  आर एस राणा

18 मई 2018

चीनी आयात पर पूरी तरह से रोक नहीं लगायेगी सरकार-डीजीएफटी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार चीनी के आयात पर पूरी तरह से रोक नहीं लगायेगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के अनुसार चीनी के आयात पर 100 फीसदी आयात शुल्क लगा रखा है, तथा इस समय केवल रॉ-शुगर का ही आयात हो रहा है, जोकि रिफाइंड करने के बाद निर्यात करनी पड़ेगी।
डीजीएफटी के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 में देश में 25.4 लाख टन चीनी का आयात हुआ था जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में आयात केवल 17.5 लाख टन का ही हुआ है। अप्रैल-मई 2018 के दौरान 240,093 टन चीनी का निर्यात भी हो चुका है। 
देश में चीनी का उत्पादन अधिक होने के बाद भी पाकिस्तान से चीनी के आयात को लेकर महाराष्ट्र में पिछले दो दिनों में हंगामा हुआ है। एमएनएस सहित महाराष्ट्र की सभी पार्टियों ने एक सुर में विरोध किया है। पाकिस्तान से चीनी आयात किए जाने से नाराज एनसीपी और एमएनएस कार्यकर्ताओं ने राज्य के कई इलाकों में जमकर विरोध-प्रदर्शन किया।...........  आर एस राणा

खाद्यान्न का रिकार्ड 27.95 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान, कीमतों पर दबाव बनने की आशंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2017-18 में देश में खाद्यान्न का रिकार्ड 27.95 करोड़ टन उत्पादन होने का अनुमान है जबकि ​फसल सीजन 2016-17 में इनका उत्पादन 27.51 करोड़ टन का ही हुआ था। इस दौरान जहां चावल, गेहूं और ​दलहन की रिकार्ड पैदावार होने का अनुमान है, वहीं तिलहनों की पैदावार में कमी आने का अनुमान है। रिकार्ड उत्पादन अनुमान से जिंसों की कीमतों पर और दबाव बनने की संभावना हैं।
दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों के भाव समर्थन मूल्य से नीचे 
उत्पादक मंडियों में दलहनी फसलें चना, उड़द, मूंग, अरहर तथा मसूर समर्थन मूल्य से नीचे बिक रही हैं। इसके अलावा मोटे अनाजों में मक्का, बाजरा और जौ तथा तिलहनी फसलों में सरसों और मूंगफली भी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बेचनी पड़ रही है, ऐसे में उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी से इनकी कीमतों में और नरमी आने का अनुमान है।
चावल, गेहूं का रिकार्ड उत्पादन अनुमान
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार मानसूनी बारिश अच्छी होने से देश में चावल, गेहूं और दलहन के साथ ही मक्का का भी रिकार्ड उत्पादन होने का अनुमान है। फसल सीजन 2017-18 में चावल का उत्पादन बढ़कर 11.52 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल चावल का 10.97 करोड़ टन का उत्पादन हुआ था। दूसरे आरंभिक अनुमान में सरकार ने 11.10 करोड़ टन चावल के उत्पादन का अनुमान लगाया था। तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार गेहूं का भी रिकार्ड उत्पादन 986.1 लाख टन होने का अनुमान है जबकि कृषि मंत्रालय ने दूसरे आरंभिक अनुमान में इसके उत्पादन का अनुमान 971.1 लाख टन का लगाया था। फसल सीजन 2016-17 में गेहूं का 985.1 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
चना और उड़द का उत्पादन अनुमान ज्यादा
तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार दलहन का उत्पादन 2017-18 में रिकार्ड 245.1 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 2016-17 में इनका उत्पादन 231.3 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। कृषि मंत्रालय ने दूसरे आरंभिक अनुमान में दालों के 239.5 लाख टन के उत्पादन का अनुमान लगाया था। दलहन की प्रमुख फसल चना के साथ ही उड़द का फसल सीजन 2017-18 में रिकार्ड उत्पादन क्रमश: 111.6 और 32.8 लाख टन होने का अनुमान है। अरहर का उत्पादन इस दौरान 41.8 लाख टन होने का अनुमान है।
तिलहनी फसलों की पैदावार घटने का अनुमान
तिलहनों का उत्पादन फसल सीजन 2017-18 में घटकर 306.4 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल 2016-17 में तिलहनों का 312.8 लाख टन का उत्पादन हुआ था। तिलहनों की प्रमुख फसल सोयाबीन का उत्पादन 109.3 लाख टन, मूंगफली 89.4 लाख टन और सरसों का उत्पादन 80.4 लाख टन होने का अनुमान है। इसके अलावा केस्टर सीड का उत्पादन 14.9 लाख टन होने का अनुमान है।
मक्का के रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
मोटे अनाजों में मक्का, जौ और बाजरा तथा रागी का उत्पादन तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में रिकार्ड 448.7 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इनका उत्पादन 437.7 लाख टन का ही हुआ था। मोटे अनाजों में मक्का का उत्पादन इस दौरान बढ़कर 268.8 लाख टन होने का अनुमान है।
कपास और गन्ने की पैदावार ज्यादा
मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में कपास का उत्पादन 348.6 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 325.77 लाख गांठ का ही उत्पादन हुआ था। गन्ने का उत्पादन चालू फसल सीजन 2017-18 में बढ़कर 3,551 लाख टन होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल इसका उत्पादन 3,060.69 लाख टन का ही हुआ था।..............  आर एस राणा

मोजाम्बिक से डेढ़ लाख टन दलहन आयात को मंजूरी, सरकार ने पहले किए हुए हैं एमओयू

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अरहर, मूंग तथा उड़द के आयात पर रोक लगाई हुई है लेकिन केंद्र सरकार द्वारा पहले से किए गए आयात एमओयू के आधार पर 1.5 लाख टन दलहन आयात की मोजाम्बिक से अनुमति दे दी है। इसका आयात चालू वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान किया जायेगा।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा बुधवार को जारी अधिसूचना के अनुसार भारत सरकार ने मोजा​म्बिक सरकार से चालू वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 1.5 लाख टन अरहर के आयात एमओयू पहले से ही किए हुए हैं, इसलिए इसका आयात चालू वित्त वर्ष के दौरान किया जायेगा। आयात मुंबई, तुतीकोरन, चैन्नई, कोलकाता और ह​जारिया बंदरगाह से ही होगा, साथ ही आयातकों को मोजाम्बिक सरकार का प्रमाण पत्र देना अनिवार्य होगा।
दलहन आयात हेतु मिलों के लिए कोटा प्रणाली की लागू
मई आखिर तक अरहर, उड़द और मूंग के आयात पर रोक लगाई हुई है, डीजीएफटी ने 11 मई को अधिसचूना जारी की थी कि अरहर, उड़द और मूंग का आयात अब दाल मिलों द्वारा तय किए गए कोटे के अनुसार किया जायेगा। 15 मई से 25 मई तक दाल मिलों को इसके लिए आवेदन करना होगा, तथा पहली जून को केंद्र सरकार कोटा तय कर देगी। उसके बाद हर सप्ताह मिलों को आयात एवं अनुबंधों की जानकारी देनी होगी तथा तय किए गए कोटे की मात्रा को 31 मार्च 2019 तक आयात करना होगा।
उत्पादक मंडियों में दालों के भाव समर्थन मूल्य से नीचे
उत्पादक मंडियों में अरहर के भाव 3,800 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल और उड़द के भाव 3,200 से 3,500 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि केंद्र सरकार ने इनका समर्थन मूल्य क्रमश: 5,450 रुपये और 5,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। इसी तरह से मूंग के भाव उत्पादक मंडियों में 4,600 से 4,800 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि मूंग का एमएसपी 5,575 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) है।
सार्वजनिक कंपनियां एमएसपी से नीचे बेच रही हैं दालें
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और नेफेड उत्पादक राज्यों में दालों की बिक्री समर्थन मूल्य से नीचे भाव पर कर रही हैं। नेफेड महाराष्ट्र और राजस्थान में 3,331 से 3,336 रुपये प्रति क्विंटल की दर से उड़द बेच रही है, इसके अलावा मूंग की बिक्री नेफेड तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और राजस्थान में 4,122 से 4,882 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कर रही है।
नेफेड के पास दलहन का बंपर स्टॉक
नेफेड एमएसपी पर 8.41 लाख टन अरहर की खरीद कर चुकी है, इसके अलावा चालू रबी में 9.18 लाख टन चना और 65,800 टन मसूर की खरीद भी समर्थन मूल्य पर हो चुकी है। चना और मसूर की खरीद अभी चल रही है अत: केंद्रीय पूल में आगे दलहन का स्टॉक और बढ़ेगा।.......   आर एस राणा

एमईपी हटाने के बावजूद प्याज का निर्यात घटा, कई मंडियों में भाव नीचे

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्याज की कीमतों में गिरावट रोकने के लिए केंद्र सरकार ने फरवरी के आरंभ में प्याज के निर्यात न्यनूतम मूल्य (एमईपी) को हटा लिया था, इसके बावजूद भी फरवरी में इसके निर्यात में कमी आई। दैनिक आवक बढ़ने से उत्पादक राज्यों की कई मंडियों में प्याज के भाव घटकर नीचे में 2 से 3 रुपये प्रति किलो रह गए हैं।
सरकार ने फरवरी के पहले सप्ताह में प्याज के निर्यात से एमईपी को पूरी तरह से समाप्त कर दिया था। राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) के अनुसार फरवरी में प्याज का निर्यात घटकर 1,01,307 टन का ही हुआ है जबकि जनवरी में इसका निर्यात 1,11,403 टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान प्याज का निर्यात 21,35,421 टन का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में कुल निर्यात 34,92,718 टन का हुआ था।
भाव में गिरावट
राजस्थान की उदयपुर मंडी में मंगलवार को प्याज का भाव 200 से 600 रुपये, जोधपुर में 400 से 1,000 रुपये, महाराष्ट्र की पुणे मंडी में 300 से 750 रुपये और कोल्हापुर मंडी में 400 से 900 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। ​आजादपुर मंडी स्थित के प्याज कारोबारी उमेश अग्रवाल ने बताया कि मंडी में प्याज की दैनिक आवक 800 से 900 क्विंटल की हो रही है तथा मंगलवार को मंडी में प्याज का भाव 250 से 1,150 रुपये प्रति क्विंटल रहा। उन्होंने बताया कि दैनिक आवक के बराबर ही मांग भी बनी हुई है इसलिए प्याज के मौजूदा भाव में अभी ज्यादा मंदे की उम्मीद नहीं है। 
उत्पादन कम होने का अनुमान
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू फसल सीजन 2017-18 में प्याज का उत्पादन 4.5 फीसदी घटकर 214 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 224 लाख टन हुआ था।  .......  आर एस राणा

बासमती चावल में खाड़ी देशों की आयात मांग होगी कम, रमजान के बाद बढ़ेगी मांग

आर एस राणा
नई दिल्ली। रमजान का महीना होने के कारण मध्य जून तक खाड़ी देशों की आयात मांग बासमती चावल में कम रहेगी, जिस कारण घरेलू बाजार में बासमती चावल और धान की कीमतों में गिरावट आने का अनुमान है। हरियाणा की कैथल मंडी में मंगलवार को पूसा 1,121 बासमती धान का भाव 3,400 रुपये और सेला चावल का भाव 6,200 से 6,300 रुपये प्रति क्विंटल रहा। पूसा 1,509 बासमती चावल का भाव 3,050 से 3,100 और सेला चावल का 5,800 से 5,900 रुपये प्रति क्विंटल रहा।
खाड़ी देशों की आयात मांग रहेगी कम
चावल की निर्यात फर्म केआरबीएल लिमिटेड के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल कुमार मित्तल ने बताया कि रमजान के महीने में खाड़ी देशों की आयात मांग बासमती चावल में कम रहेगी। अत: ईरान, इराक के साथ साउदी अरब और कुवैत को इस दौरान बासमती चावल के निर्यात सौदे कम होंगे। उन्होंने बताया कि 15 जून के बाद फिर से इन देशों की आयात मांग बढ़ेगी तथा जुलाई से सितंबर के दौरान मांग अच्छी रहने का अनुमान है। विश्व बाजार में बासमती चावल पूसा 1,121 सेला का भाव 1,050 डॉलर प्रति टन है।
बासमती धान की रौपाई ज्यादा होने का अनुमान
धान कारोबारी महेंद्र जैन ने बताया कि बासमती धान के साथ ही चावल में मांग इस समय कमजोर है जबकि खरीफ में मानसूनी बारिश अच्छी होने का अनुमान है। ​चालू सीजन में बासमती धान के दाम उंचे रहे हैं, इसलिए पूसा 1,121 और पूसा 1,509 धान की रौपाई ज्यादा होने का अनुमान है। निर्यातकों के साथ ही घरेलू मांग कम होने से आगामी दिनों में घरेलू मंडियों में बासमती धान और चावल की कीमतों में गिरावट आने का अनुमान है।
वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़ा निर्यात
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 40.51 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात 39.85 लाख टन का ही हुआ था। ..............   आर एस राणा

दलहन आयात 15 फीसदी घटा, वित्त वर्ष 2013-14 के बाद पहली बार आयात में आई कमी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की सख्ती से वित्त वर्ष 2017-18 में दालों का आयात 15 फीसदी घटकर 56 लाख टन का ही हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में 66.08 लाख टन दलहन का रिकार्ड आयात हुआ था।
केंद्र की सख्ती से आयात में आई कमी
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वित्त वर्ष 2013-14 में दालों का आयात 36.5 लाख टन का हुआ था, उसके बाद से लगातार आयात में बढ़ोतरी हो रही थी। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा आयात पर सख्ती और घरेलू बाजार में बंपर उत्पादन के कारण ही आयात में कमी आई है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2015-16 में 59.97 लाख टन दालों का आयात हुआ था, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर यह रिकार्ड 66.08 लाख टन के स्तर पर पहुंच गया।
मसूर को रहा है अभी भी आयात
केंद्र सरकार ने अगस्त 2017 में अरहर के आयात के लिए 2 लाख टन और मूंग और उड़द के आयात के लिए 3 लाख टन की मात्रा तय की थी। चालू वित्त वर्ष 2017-18 में अरहर, उड़द और मूंग का आयात दाल मिलों द्वारा तय किए कोटे के आधार पर किया जायेगा। सरकार ने जून के अंत तक एक लाख टन मटर के आयात की अनुमति दी हुई है, जबकि चना के आयात पर 60 फीसदी आयात शुल्क और मसूर के आयात पर 30 फीसदी आयात शुल्क लगा रखा है। दलहन कारोबारी राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि सरकार द्वारा आयात शुल्क बढ़ा देने के बाद से चना का आयात तो नहीं हो रहा, लेकिन मसूर का आयात अभी भी हो रहा है।
दालों का रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में दालों का रिकार्ड उत्पादन 239.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल 2016-17 में इनका उत्पादन 231.3 लाख टन का हुआ था। इसके पिछले साल दालों का उत्पादन घटकर केवल 163.5 लाख टन का ही हुआ था। देश में दालों की सालाना खपत 240 से 245 लाख टन की होती है।............. आर एस राणा

16 मई 2018

उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर किसानों का बकाया 13,500 करोड़ के पार


आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू गन्ना पेराई सीजन में उत्तर प्रदेश में चीनी का बंपर उत्पादन किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है। राज्य में अभी तक चीनी का बंपर 116.30 लाख टन का उत्पादन हो चुका है जबकि चीनी मिलों पर ​गन्ना किसानों का बकाया भी बढ़कर 13,509 करोड़ रुपये के पार चला गया है। समय पर भुगतान नहीं मिलने से राज्य के किसानों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 
यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) के अनुसार चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर 2017 से 11 मई 2018 तक राज्य की चीनी मिलों ने किसानों से 34,118.83 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा है जबकि किसानों को भुगतान इस दौरान केवल 20,609.13 करोड़ रुपये का ही किया है। राज्य में चीनी का उत्पादन बढ़कर चालू पेराई सीजन में 116.30 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 87.34 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था।
राज्य में अभी भी 56 चीनी मिलों में पेराई चल रही है ऐसे में माना जा रहा है कि चीनी का उत्पादन बढ़कर 120 लाख टन के करीब होने का अनुमान है। गन्ना क्षेत्रफल में बढ़ोतरी के साथ ही चालू पेराई सीजन में गन्ने में रिकवरी की दर भी ज्यादा आई है। पिछले पेराई सीजन में उत्तर प्रदेश में जहां गन्ने में रिकवरी की औसत दर 10.61 फीसदी की आई थी, वहीं चालू पेराई सीजन में रिकवरी की दर 10.88 फीसदी की आई है। ......  आर एस राणा

चीनी मिलों को फिलहाल राहत नहीं, सेस लगाने का मामला फिर लटका

आर एस राणा
नई दिल्ली। गन्ना किसानों के लिए अभी चीनी कड़वी ही रहेगी, चीनी पर सेस लगाने का मामला एक फिर लटक गया है, जीएसटी काउंसिल द्वारा गठित असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वसर्मा की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह की सोमवार को दिल्ली में हुई बैठक में इस इस पर कोई फैसला नहीं हो सका। 
बैठक के बाद हेमंत बिस्वसर्मा ने कहा कि चीनी पर सेल लगाने पर मंत्रियों के समूह में कोई फैसला नहीं हो सका, इस पर अगली बैठक 3 जून को मुंबई में होगी, उसके बाद 2-3 बैठक और होंगी। उन्होंने बताया कि 15 जून तक मंत्रियों का समूह अपनी रिपोर्ट फाइनल करेगा। उन्होंने कहा कि हमने इस संबंध में कानून मंत्रालय से भी सुझाव मांगा हैं कि क्या सेस लगाना उनके अधिकार क्षेत्र में है। इसके साथ ही खाद्य मंत्री से भी हमने पूछा है कि क्या यह पैसा सीधा किसानों के पास जायेगा।
सूत्रों के अनुसार केरल के वित्त मंत्री ने बैठक के बाद कहा कि हम सेस लगाने के खिलाफ हैं। चीनी मिलों पर गन्ना किसानों के बकाया की राशि 20,000 करोड़ रुपये को पार कर चुकी है इसमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर करीब 13,500 करोड़ रुपये है। किसानों को भुगतान नहीं मिलने से भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जिस कारण किसानों में उत्पादक राज्यों की सरकारों के साथ ही केंद्र सरकार के खिलाफ रोष बढ़ रहा है।
केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के लिए 5.50 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी देने की घोषणा की हुई है। चीनी पर तीन रुपये प्रति किलो की दर से सेस लगाने का प्रस्ताव है। ......  आर एस राणा

गेहूं की सरकारी खरीद 318 लाख टन के पार, भंडारण में हो सकती है परेशानी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) समर्थन मूल्य पर 318.76 लाख टन गेहूं की खरीद कर चुकी है तथा उत्पादक मंडियों में अभी भी 4 लाख टन से ज्यादा गेहूं की दैनिक आवक हो रही है। ऐसे में खरीद तय लक्ष्य 320 लाख टन से ज्यादा ही होने का अनुमान है। एफसीआई के पास भंडारण की क्षमता 362.50 लाख टन है, 31 मार्च तक 76 फीसदी गोदाम अनाज से भरे हुए थे, ऐसे में चालू रबी में खरीदे हुए गेहूं के भंडारण में पेरशानी आ सकती है।
पिछले साल कुल 308.25 लाख टन गेहूं की हुई थी खरीद
एफसीआई के अनुसार चालू रबी में गेहूं की न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद बढ़कर 318.76 लाख टन की हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 275.77 लाख टन गेहूं की खरीद ही हुई थी। पिछले साल समर्थन मूल्य पर कुल 308.25 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था।
पंजाब एवं हरियाणा से खरीद ज्यादा
पंजाब से चालू रबी विपणन सीजन में एमएसपी पर 124.84 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य की मंडियों से 115.59 लाख टन की खरीद ही हो पाई थी। इसी तरह से हरियाणा से गेहूं की खरीद चालू सीजन में बढ़कर 87.18 लाख टन की हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य से 73.67 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था।
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में तय लक्ष्य से कम 
सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश से चालू रबी में समर्थन मूल्य पर 30.38 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है जोकि तय लक्ष्य 40 लाख टन से तो कम है लेकिन पिछले साल की समान अवधि के 16.81 लाख टन से ज्यादा है। मध्य प्रदेश से गेहूं की खरीद बढ़कर चालू रबी में 62.40 लाख टन की हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य की मंडियों से एमएसपी पर 60.13 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था। मध्य प्रदेश से खरीद का लक्ष्य चालू रबी के लिए 67 लाख टन का तय किया हुआ है।
राजस्थान से खरीद बढ़ी
अन्य राज्यों में राजस्थान से चालू रबी में 12.83 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य की मंडियों से 9.40 लाख टन गेहूं ही समर्थन मूल्य पर खरीदा गया था। गुजरात से चालू रबी में समर्थन मूल्य पर 33,635 टन, उत्तराखंड से 62,617 टन और चंडीगढ़ से 14,030 टन गेहूं की खरीद हुई है।
भंडारण में आ सकती है दिक्कत
एफसीआई के पास खाद्यान्न की कुल भंडारण क्षमता 362.50 लाख टन की है। 31 मार्च 2018 को कुल भंडारण क्षमता के 76 फीसदी गोदाम खाद्यान्न से भरे हुए थे, ऐसे में चालू रबी में समर्थन मूल्य पर खरीद गए गेहूं के भंडारण के लिए निगम को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ..... आर एस राणा

15 मई 2018

मूंगफली दाने का निर्यात घटा, किसानों को नहीं मिल रहा समर्थन मूल्य

आर एस राणा
नई दिल्ली। मूंगफली की पैदावार में हुई बढ़ोरती ही किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। उत्पादक राज्यों की मंडियों में किसान 3,700 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मूंगफली बेचने को मजबूर है जबकि केंद्र सरकार ने मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,450 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। वित्त वर्ष 2017—18 में मूंगफली दाने के निर्यात में करीब 38 फीसदी की गिरावट आई है।
पैदावार ज्यादा होने का अनुमान
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में मूंगफली का उत्पादन बढ़कर 82.17 लाख टन (खरीफ और रबी को मिलाकर) होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल 2016-17 में इसका उत्पादन केवल 74.62 लाख टन का ही हुआ था।
उत्पादक मंडियों में आवक घटी
गुजरात के मूंगफली कारोबारी समीर भाई शाह ने बताया कि उत्पादक मंडियों में मूंगफली की दैनिक आवक घटी है लेकिन मिलों की मांग कमजोर होने से मंडियों में इसके भाव समर्थन मूल्य से नीचे ही बने हुए हैं। राजकोट मंडी में दैनिक आवक घटकर 10 से 12 हजार बोरी की रह गई है जबकि मंडी में इसके भाव 3,800 से 4,000 रुपये प्रति​ क्विंटल चल रहे हैं। एगमार्क नेट के अनुसार जूनागढ़ मंडी में मूंगफली के भाव शनिवार को 3,750 से 4,150 रुपये प्रति क्विंटल रहे। कमजोर मांग को देखते हुए अभी इसके भाव में तेजी की संभावना नहीं है। 
मूंगफली दाने के निर्यात में आई ​कमी
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान मूंगफली दाने का निर्यात मूल्य के हिसाब से 37.84 फीसदी घटकर केवल 3,384 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान इसका निर्यात 5,444 करोड़ रुपये का हुआ था। मात्रा के हिसाब से वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान मूंगफली दाने का निर्यात घटकर 5,03,155 टन का ही हुआ है जबकि ​इसके पिछले वित्त वर्ष में इसका निर्यात 7,25,710 टन का हुआ था।
नेफेड ने एमएसपी पर खरीदी 10 लाख टन से मूंगफली
केंद्र सरकार नेफेड के माध्यम से गुजरात, राजस्थान और आंध्रप्रदेश की मंडियों से मूंगफली की खरीद एमएसपी पर कर रही है। नेफेड ने फसल सीजन 2017-18 में एमएसपी पर 10.33 लाख टन मूंगफली की खरीद की है। अत: नेफेड की खरीद के बावजूद भी किसान समर्थन मूल्य से नीचे बेचने पर मजबूर हैं। .......  आर एस राणा

दलहन आयात से आखिर किसको फायदा पहुंचाना चाहती है सरकार, मिलों के लिए कोटा ​प्रणाली लागू

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में दालों की कीमतों में गिरावट को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 4 मई को अरहर, उड़द और मूंग के साबुत तथा प्रोसेस की हुई दालों के आयात पर रोक लगाई थी लेकिन यह रोक सिर्फ एक सप्ताह तक ही जारी रही। 11 मई को केंद्र सरकार ने एक बार फिर अधिसूचना जारी कर दी कि अरहर, उड़द और मूंग का आयात दाल मिलों द्वारा कोटा प्रणाली के तहत किया जायेगा। ऐसे में सवाल उठता है कि सप्ताहभर में ऐसा क्या हो गया कि फिर से आयात की अनुमति देनी पड़ी जबकि उत्पादक मंडियों में किसान समर्थन मूल्य से 1,000 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल नीचे भाव पर दालें बेचने को मजबूर हैं।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसचूना के अनुसार अरहर, उड़द और मूंग का आयात अब दाल मिलों द्वारा तय किए गए कोटे के अनुसार किया जायेगा। 15 मई से 25 मई तक दाल मिलों को इसके लिए आवेदन करना होगा, तथा पहली जून को केंद्र सरकार कोटा तय कर देगी। उसके बाद हर सप्ताह मिलों को आयात एवं अनुबंधों की जानकारी देनी होगी तथा तय किए गए कोटे की मात्रा को 31 मार्च 2019 तक आयात करना होगा। दलहन आयात के लिए पहली बार सरकार ने कोटा प्रणाली लागू की है।
चार मई को लगाई थी रोक
इससे पहले 4 मई को केंद्र सरकार ने अरहर, उड़द तथा मूंग के साबुत या फिर प्रोसेस की हुई दालों के आयात पर रोक लगाई थी। उससे पहले केंद्र सरकार ने अगस्त 2017 में वित्त वर्ष 2017-18 के लिए अरहर के आयात की 2 लाख टन और उड़द तथा मूंग के आयात की 3 लाख टन की मात्रा तय की थी।
समर्थन मूल्य से नीचे हैं दलहन के भाव
व्यापारियों के अनुसार केंद्र सरकार ने कुछ आयातकों को फायदा पहुंचाने के लिए ही सप्ताहभर में रोक को हटा लिया, जबकि इस दौरान घरेलू बाजार में दालों की कीमतों में मंदा ही आया है। उत्पादक मंडियों में अरहर के भाव 3,800 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल और उड़द के भाव 3,200 से 3,500 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि केंद्र सरकार ने इनका समर्थन मूल्य क्रमश: 5,450 रुपये और 5,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। इसी तरह से मूंग के भाव उत्पादक मंडियों में 4,600 से 4,800 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि मूंग का एमएसपी 5,575 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) है।
केंद्र द्वारा तय मात्रा से अधिक हुआ आयात
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 में अप्रैल से नवंबर के दौरान 4.04 लाख टन अरहर का आया हुआ है जबकि केंद्र सरकार ने अगस्त में वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 2 लाख टन अरहर आयात की मात्रा कर दी थी। उन्होंने बताया कि सरकार ने पहले से हुए सौदों के आयात की मंजूरी दे दी थी, जिसकी वजह से आयात तय मात्रा से ज्यादा हुआ।
आयातित दलहन सस्ती
कर्नाटका की गुलबर्गा मंडी के दलहन कारोबारी चंद्रशेखर एस नादर ने बताया कि म्यांमार से आयातित लेमन अरहर के भाव मुंबई पहुंच 3,900 प्रति क्विंटल चल रहे हैं, जबकि मंडी में देसी अरहर के भाव 4,000 रुपये प्रति क्विंटल है लेकिन इन भाव में दाल मिलों की मांग नहीं आ रही है। उन्होंने बताया कि 4 मई को मुंबई बंदराह पर 15 कंंटेनर आयातित अरहर के आए हैं।
रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में दालों का रिकार्ड उत्पादन 239.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल इनका उत्पादन केवल 231.3 लाख टन हुआ था।.....  आर एस राणा

गेहूं पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी संभव, केंद्रीय पूल में बंपर स्टॉक

आर एस राणा
नई दिल्ली। गेहूं की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है तथा केंद्रीय पूल में गेहूं के बंपर स्टॉक को देखते हुए केंद्र सरकार आयात शुल्क को बढ़ाकर दोगुना कर सकती है। इस समय तो गेहूं के आयात सौदे नहीं हो रहे, लेकिन ब्लैक सी रीजन के देशों में जुलाई-अगस्त में नई फसल आने के बाद भाव घटने की आशंका हैं इसलिए सरकार आयात की संभावनाओं को समाप्त करना चाहती है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पहली अप्रैल को केंद्रीय पूल में 132.31 लाख टन गेहूं का स्टॉक मौजूद था जोकि तय मानकों बफर स्टॉक 44.60 लाख टन से करीब तीन गुना था। इसके अलावा चालू रबी में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 312 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है तथा उत्पादक मंडियों में इसकी दैनिक आवक अभी भी बनी हुई है। ऐसे में खरीद तय लक्ष्य 320 लाख टन से भी ज्यादा होने का अनुमान है। ऐसे में केंद्रीय पूल में गेहूं का बंपर स्टॉक हो जायेगा। इसलिए खाद्य मंत्रालय ने गेहूं के आयात शुल्क को 20 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी करने की सिफारिश की है।
वर्तमान में नहीं हो रहे आयात सौदे
बंगलुरु स्थित गेहूं की कारोबारी फर्म प्रवीन कॉमर्शियल कंपनी के प्रबंधक नीवन गुप्ता ने बताया कि मार्च के बाद से गेहूं का आयात नहीं हुआ है, तथा मौजूदा भाव में आयात पड़ते भी नहीं लग रहे हैं। आस्ट्रेलियाई गेहूं के भाव 270 डॉलर और यूक्रेन के लाल गेहूं के भाव 230 डॉलर प्रति टन भारतीय बंदरगाह पर पहुंच बोले जा रहे है। तूतीकोरन बंदरगाह पर पहले से आयातित करीब 2 लाख टन गेहूं का स्टॉक बचा हुआ है। इसमें आस्ट्रेलियाई गेहूं के सौदे 1,980 से 2,000 रुपये और यूक्रेन के लाल गेहूं के सौदे 1,825 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश की मंडियों से बंगलुरु पहुंच गेहूं के सौदे 2,075 से 2,080 रुपये प्रति क्विंटल के भाव हो रहे हैं। आयात शुल्क में बढ़ोतरी की तो गेहूं के मौजूदा भाव में 75 से 100 रुपये की तेजी बन सकती है।
करीब 20 लाख टन का हुआ है आयात
नरेला मंडी के गेहूं कारोबारी महेंद्र जैन ने बताया कि चालू सीजन में करीब 20 लाख टन गेहूं का आयात हुआ है। रुपये के मुकाबले डॉलर में मजबूती और विश्व बाजार में गेहूं के भाव बढ़ने के कारण इस समय तो आयात नहीं हो रहा है, लेकिन जूलाई-अगस्त में यूक्रेन और रुस सहित सभी ब्लैक सी रीजन के देशों में गेहूं की नई फसल की आवक बनेगी, उस समय विश्व बाजार में भाव घटने की आशंका है।
नवंबर में 20 फीसदी किया था आयात शुल्क
केंद्र सरकार ने 9 नवंबर 2017 को गेहूं के आयात शुल्क में 10 फीसदी की बढ़ोतरी कर शुल्क 20 फीसदी किया था जबकि मार्च 2017 में इसके आयात पर 10 फीसदी का आयात शुल्क लगाया था।
खरीद का लक्ष्य 320 लाख टन
चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में एमएसपी पर 320 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है जबकि पिछले रबी विपणन सीजन में 308.24 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। एमएसपी पर 312 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है जबकि पिछले रबी विपणन सीजन की समान अवधि में केवल 271.09 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था।
उत्पादन अनुमान में कमी की आशंका
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में गेहूं का उत्पादन घटकर 971.1 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 985.1 लाख टन का हुआ था। .....आर एस राणा

12 मई 2018

उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में बारिश, मैदानी भागों में धूल भरी आंधी की आशंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार आगामी 24 घंटों के देश जहां उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में बारिश होने की आशंका है, वहीं मैदानी भागों में धूल भरी आंधी के साथ कहीं-कहीं हल्की बारिश होने का अनुमान है।
आगामी 24 घंटों के दौरान जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में कहीं तेज तो कहीं हल्की बारिश होने का अनुमान है जबकि पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ ही राजस्थान और दिल्ली के कुछेक स्थानों पर धूल भरी आंधी के साथ ही कई जगह हल्की बारिश होने का अनुमान है।
उत्तर भारत के राज्यों में गेहूं की कटाई का कार्य लगभग पूरा हो चुका है लेकिन उत्पादक मंडियों में अभी गेहूं खुले में पड़ा हुआ है अत: बारिश हुई तो मंडियों में रखे गेहूं की क्वालिटी प्रभावित होने की आशंका है। जैसा कि मौसम विभाग का अनुमान है तेज आंधी चली तो इससे उत्तर प्रदेश में आम की फसल को नुकसान होगा। इससे पहले भी तेजी आंधी से राज्य में आम की फसल झड़ गई थी।
उधर पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछेक स्थानों पर हल्की बारिश या फिर बादल छाये रह सकते हैं। पूर्वोतर भारत के राज्यों मेघालय, असम, नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर तथा त्रिपुरा में कहीं मध्यम तो कहीं तेज बारिश होने का अनुमान है।
मध्य भारत के राज्यों गुजरात और मध्य प्रदेश में दिन और रात के तापमान में बढ़ोतरी होने की संभावना है। महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा तथा मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में लू जारी रहने का अनुमान है।
मौसम विभाग के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में कुछेक जगह बारिश तो कई जगह तेज हवाएं चली। उधर छत्तीसगढ़ और झारखंड में भी एक दो जगहों पर भी बारिश हुई। मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में तेज हवाओं के साथ हल्की बारिश देखी गई।
राजस्थान में कई जगह धूल भरी आँधी देखी गई जबकि महाराष्ट्र के विदर्भ और मध्य प्रदेश के कई स्थानो पर लू की स्थिति बनी रही।
उधर गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़,ओडिशा और तेलंगाना में तापमान 40 डिग्री से ऊपर रहने से गर्मी में बढ़ोतरी हुई।..........   आर एस राणा

रुपये के मुकाबले डॉलर मजबूत, सोया डीओसी की निर्यात मांग बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। रुपये के मुकाबले डॉलर लगातार मजबूत बना हुआ है, जिससे सोया डीओसी के निर्यात सौदों में तेजी आई हैं। रुपये के मुकाबले डॉलर अभी मजबूत बना रहने की संभावना है ​इसलिए डीओसी के निर्यात में आगामी दिनों में और बढ़ोतरी होने का अनुमान है। शुक्रवार को एक डॉलर की कीमत 67.10 रुपये रही।
मई से जुलाई के दौरान बढ़ेगा सोया डीओसी का निर्यात
सोयाबीन प्रोसेसिंग यूनिट साई सिमरन फूड्स लिमिटेड के डायरेक्टर नरेश गोयनका ने बताया कि डॉलर की मजबूती से ​सोया डीओसी के निर्यात में तेजी आई है। हालांकि चालू सीजन में अप्रैल तक कुल निर्यात पिछले साल की तुलना में कम रहा है लेकिन मई से जुलाई के दौरान करीब 7 से 8 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात होने का अनुमान है। सोया डीओसी के भाव शुक्रवार को महाराष्ट्र में एक्स फैक्ट्री 32,000 रुपये और मध्य प्रदेश में 31,000 रुपये प्रति टन रहे। उन्होंने बताया कि सोयाबीन की कीमतों में इस दौरान ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं है क्योंकि घरेलू मंडियों में बकाया स्टॉक ज्यादा बचा हुआ है।
सोयाबीन की आवक 12 फीसदी ज्यादा
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) के अनुसार चालू फसल सीजन में सोयाबीन की आवक अप्रैल के आखिर तक 12 फीसदी बढ़कर 66.50 लाख टन की हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी आवक 59.50 लाख टन की ही हुई थी। सोया डीओसी का निर्यात चालू फसल सीजन के अक्टूबर-17 से अप्रैल-18 के दौरान 11.44 लाख टन का ही हुआ है जोकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के 13.94 लाख टन से कम है।
घरेलू बाजार में  सोया डीओसी के भाव तेज
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के अनुसार भारतीय बंदरगाह पर सोया डीओसी के भाव अप्रैल में औसतन 487 डॉलर प्रति टन रहे, जबकि पिछले साल अप्रैल में इसके भाव 386 डॉलर प्रति टन थे।
सोयाबीन में ज्यादा तेजी नहीं
मध्य प्रदेश की इंदौर मंडी में शुक्रवार को सोयाबीन के भाव 3,750 से 3,775 रुपये प्रति क्विंटल रहे। व्यापारियों के अनुसार प्लांटों के पास सोयाबीन का बकाया स्टॉक ज्यादा बचा हुआ है, जबकि नई फसल की आवक अक्टूबर में बन जायेगी। वैसे भी चालू खरीफ में मानसूनी बारिश अच्छी होने का अनुमान है। इसलिए सोयाबीन के मौजूदा भाव में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।.....   आर एस राणा

मटर ​आयातकों को देना होगा ब्यौरा, एमपी से एमएसपी पर 11 लाख टन चना खरीद को मंजूरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। दालों की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार ने मटर आयातकों से 25 अप्रैल 2018 तक किए गए अगाऊ सौदों की जानकारी मांगी है। अगाऊ सौदों की जानकारी मिलने के बाद आयात की मात्रा तय की जायेगी। इसके साथ ही चना के भाव में सुधार लाने के लिए सरकार ने मध्य प्रदेश से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 11,27,325 टन चना की खरीद को मंजूरी दे दी है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार मटर आयातकों को 25 अप्रैल तक किए गए अगाऊ सौदों की जानकारी 18 मई 2018 तक देनी होगी। इसमें कितनी मात्रा में आयात सौदे किए हैं, तथा कितनी पैमेंट दी गई है सब बताना होगा। उसके बाद ही केंद्र सरकार आयात की प्रक्रिया तय करेगी। इससे पहले केंद्र सरकार ने 25 अप्रैल को अधिसूचना जारी कर अप्रैल से जून के दौरान केवल एक लाख टन मटर के आयात को मंजूरी दी थी।
केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने टिवट कर जानकारी दी है कि मध्य प्रदेश से समर्थन मूल्य पर प्राइस सपोर्ट स्कीम (पीएसएस) के तहत 11,27,325 टन चना की खरीद को मंजूरी दे दी है। मध्य प्रदेश से नेफेड ने अभी तक समर्थन मूल्य पर 3.03 लाख टन चने की खरीद की है जबकि चालू रबी में चना की समर्थन मूल्य पर कुल खरीद 7.09 लाख टन की हो चुकी है।
मंडियों में भाव समर्थन मूल्य से नीचे
घरेलू मंडियों में दालों की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदम अभी तक बेअसर ही साबि​त हुए हैं। यही कारण है कि उत्पादक मंडियोंं में किसानों को रबी सीजन की दालों का बिक्री समर्थन मूल्य से 1,000 से 1,200 रुपये प्रति क्विंटल नीचे भाव पर करनी पड़ रही है। मध्य प्रदेश की इंदौर मंडी में गुरुवार को चना के भाव 3,200 रुपये प्रति क्विंटल रहे। उत्तर प्रदेश की बरेली मंडी में मसूर के भाव इस दौरान 3,000 से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल रहे। उत्पादक मंडियों में मटर के भाव 2,900 से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल हैं जबकि आयातित मटर के भाव मुंबई में गुरुवार को 3,300 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
चना और मसूर का एमएसपी
केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए चना का एमएसपी 4,400 रुपये और मसूर का एमएसपी 4,250 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है।
दलहन आयात पर सख्ती
केंद्र सरकार ने चना के आयात पर 60 फीसदी और मसूर के आयात पर 30 फीसदी का आयात शुल्क लगाया हुआ है जबकि अरहर, उड़द और मूंग के आयात पर अभी रोक लगाई हुई है।
रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में दलहन की रिकार्ड पैदावार 239.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल दालों का 231.3 लाख टन का उत्पादन हुआ था। ..........  आर एस राणा

ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध से भारतीय बासमती चावल का निर्यात नहीं होगा प्रभावित

आर एस राणा
नई दिल्ली। अमेरिका ने ईरान के साथ तीन साल पहले हुए परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लिया हैै इसके साथ ही उन्होंने ईरान पर फिर से आर्थिक प्रतिबंधों को लागू करने की बात कही है इससे भारत से ईरान को हो रहे बासमती चावल के निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ेगा। रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती से बासमती चावल के निर्यातको को फायदा ही होगा।
अमेरिका का कहना है कि प्रतिबंध उन्हीं उद्योगों पर लगाए जाएंगे जिनका जिक्र 2015 की डील में था। इनमें तेल सेक्टर, विमान निर्यात, कीमती धातु का व्यापार और ईरानी सरकार के अमरीकी डॉलर खरीदने की कोशिश शामिल हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यह भी कहा है कि जो भी ईरान की मदद करेगा उसे भी प्रतिबंध झेलना पड़ेगा।
पाकिस्तान पर बन सकता है दबाव
आॅल इंडिया राइस एक्सपोर्टस एसोसिएशन (एआईआरईए) के अध्यक्ष विजय सेतिया ने बताया कि वर्ष 2012 में भी ऐसी स्थिति बनी थी, तब भी भारत से ईरान को हुए बासमती चावल के निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ा था। उन्होंने बताया कि खाद्य उत्पादों के साथ ही आवश्यक वस्तुओं जैसे की दवाईयों के निर्यात पर इस प्रतिबंध का कोई असर नहीं पड़ेगा। अमेरिका से जिन देशों के संबंध प्रगाढ़ है जैसे कि पाकिस्तान पर इसका जरुर दबाव बन सकता है लेकिन भारत से ईरान को किए जा रहे खाद्यान्न, फल सब्जियों या फिर दवाईयों के निर्यात पर इसका असर नहीं होगा। ईरान भारत से बासमती चावल का सबसे बड़ा आयातक देश है।
आवश्यक वस्तुओं पर नहीं लगा सकता रोक
केआरबीएल लिमिटेड के चेयरमैन एडं मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल कुमार मित्तल ने बताया कि अमेरिका ईरान और दक्षिण कोरिया पर पिछले लगभग 15 सालों से समय-समय पर आर्थिक प्रतिबंध लगाता आया है लेकिन आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई पर कोई देश रोक नहीं लगा सकता। इसलिए अमेरिका द्वारा ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने से भारत से ईरान को किए जा रहे बासमती चावल के निर्यात पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
डॉलर की मजबूती से निर्याकों को होगा फायदा
चावल निर्यातक फर्म खुरानिया एग्रो के निदेशक रामनिवास खुरानिया ने बताया कि रुपये के मुकाबले डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है इससे बासमती चावल के निर्यातकों को फायदा होगा। डॉलर के मुकाबले रुपया पिछले 15 महीने के निचले स्तर पर आ गया है। बुधवार को एक डॉलर की कीमत 67.40 रुपये तक पहुंच गई है।
ईरान भारतीय बासमती चावल का बड़ा आयातक
वित्त वर्ष 2017-18 में ईरान ने भारत से करीब 10 लाख टन बासमती चावल का आयात किया है। वित्त वर्ष 2017-18 में भारत से बासमती चावल का कुल निर्यात 40.51 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में 39.85 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था।..........   आर एस राणा

चना की सरकारी खरीद बढ़ने के बावजूद किसान समर्थन मूल्य से नीचे बेचने पर मजबूर

आर एस राणा
नई दिल्ली। नेफेड ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 7.07 लाख टन चना की खरीद की है लेकिन उत्पादक मंडियों में कुल आवक के मुकाबले खरीद सीमित मात्रा में होने के कारण किसानों को समर्थन मूल्य से 1,100 से 1,200 रुपये प्रति क्विंटल नीचे दाम पर बेचना पड़ रहा है।
केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए चना का एमएसपी 4,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है जबकि उत्पादक मंडियों में किसान 3,200 से 3,300 रुपये प्रति क्विंटल के भाव चना बेच रहे हैं। मध्य प्रदेश की इंदौर मंडी में मंगलवार को चना का भाव 3,200 रुपये जबकि राजस्थान की बीकानेर मंडी में 3,300 रुपये प्रति क्विंटल रहा।
समर्थन मूल्य पर मध्य प्रदेश से हुई है ज्यादा खरीद
नेफेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निगम ने 5 मई तक 7,07,977 टन चना की खरीद समर्थन मूल्य पर की है, इसमें सबसे ज्यादा 3.03 लाख टन मध्य प्रदेश और 1.50 लाख टन चना राजस्थान की मंडियों से खरीदा गया है। इसके अलावा 77,662 टन आंध्रप्रदेश और 50,457 टन महाराष्ट्र की मंडियों से खरीदा गया है।
दाल एवं बेसन मिलों की खरीद कम
दलहन कारोबारी राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि उत्पादक मंडियों में चना की दैनिक आवक के मुकाबले समर्थन मूल्य पर खरीद सीमित मात्रा में ही हो रही है जबकि दाल एवं बेसन मिलों की मांग भी कम है। वैसे चालू रबी में चना की रिकार्ड पैदावार होने का अनुमान है इसीलिए इसके भाव उत्पादक मंडियों में एमएसपी से नीचे बने हुए हैं।
चना आयात पर 60 फीसदी शुल्क
केंद्र सरकार ने मार्च के आरंभ में चना के आयात पर शुल्क को बढ़ाकर 60 फीसदी कर दिया है, जिस कारण चना के आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं। मुंबई में आस्ट्रेलियाई चना के भाव 3,500 रुपये प्रति क्विंटल बोले जा रहे हैं।
रिकार्ड उत्पादन अनुमान
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में चना का उत्पादन रिकार्ड 111 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 93.8 लाख टन का हुआ था। .........  आर एस राणा

मोनसेंटो की याचिका पर भारतीय कंपनी से मांगा जवाब

आर एस राणा
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने जीएम कपास बीज पेटेंट मामले में अमेरिकी कंपनी मोनसेंटो की याचिका पर भारतीय कंपनी से जवाब सौंपने को कहा है। मोनसेंटो ने इस याचिका के जरिए दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है, जिसमें उच्च न्यायालय ने कहा था कि अमेरिकी कंपनी जीन परिवर्धित (जीएम) कपास बीज पर पेटेंट का दावा नहीं कर सकती है।
भारतीय कंपनी नुजिवीडू सीड्स लिमिटेड को नोटिस जारी करते हुए न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मामले में सामान्य नोटिस जारी किया जाएगा। उन्होंने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 18 जुलाई की तारीख तय की है। मोनसेंटो की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि वह भारतीय कंपनी को आपूर्ति जारी रखेगा, लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी जाए। हालांकि शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश में मौजूदा चरण में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।.........  आर एस राणा

सोया डीओसी के निर्यात में आई कमी, सरसों डीओसी का बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। अप्रैल महीने में जहां सोया डीओसी के निर्यात में कमी आई है, वहीं सरसों डीओसी का निर्यात इस दौरान बढ़ा है। विश्व बाजार में कीमतें नीची होने के कारण सोया डीओसी का निर्यात घटकर अप्रैल में केवल 45,209 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल अप्रैल में इसका निर्यात 1,24,374 टन का हुआ था। इस दौरान सरसों डीओसी का निर्यात बढ़कर 97,891 टन का हो चुका है जबकि पिछले साल अप्रैल महीने में इसका निर्यात केवल 6,842 टन का ही हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार अप्रैल में डीओसी का कुल निर्यात 1,55,069 टन का ही हुआ है। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान डीओसी का कुल निर्यात बढ़कर 30,25,538 टन का हुआ है जबकि वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान इनका निर्यात 18,85,480 टन का ही हुआ था।
मूल्य के हिसाब से 48 फीसदी बढ़ा निर्यात
मूल्य के हिसाब से वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान डीओसी के निर्यात में 48 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात निर्यात 4,758 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 3,219 करोड़ रुपये का ही हुआ था।
सरसों डीओसी के निर्यात में भारी बढ़ोतरी
एसईए के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता के अनुसार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई देशों में चलाये गए अभियान का ही नतीजा है कि वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान सरसों डीओसी के निर्यात में 209 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान केस्टर डीओसी और मूंगफली डीओसी के साथ ही राइसब्रान डीओसी के निर्यात में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई।
घरेलू बाजार में भाव उंचे
अप्रैल महीने में सोया डीओसी के औसत भाव भारतीय बंदरगाह पर 487 डॉलर प्रति टन रहे, जबकि पिछले साल अप्रैल में इसके भाव 386 डॉलर प्रति टन थे। इसी तरह से सरसों डीओसी के भाव अप्रैल में 247 डॉलर प्रति टन रहे जबकि पिछले साल अप्रैल में इसके भाव 240 डॉलर प्रति टन थे।..........  आर एस राणा

उत्तर प्रदेश में 21 चीनी मिलों की बिक्री में हुई धांधली की सीबीआई जांच

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार मायावती के राज में राज्य में चीनी मिल निगम की 21 सरकारी चीनी मिलों को निजी हाथों में बेचने और इसमें हुए कथित घोटाले की सीबीआई जांच होगी।
उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार ने साल 2010 से लेकर 2011 तक बड़ी संख्या में सरकारी चीनी मिलों की माली हालत को खराब बताते हुए बेच दिया था। सरकार के इस निर्णय की बहुत अधिक आलोचना हुई थी। आरोप लगाया गया था कि सरकार ने मुनाफा कमा रही चीनी मिलों को भी औने-पौने दामों में बेच दिया। इससे सरकारी खजाने को जहां बड़ा चूना लगा था, वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने चीनी मिलों की बिक्री में केन्द्र सरकार के विनिवेश काननू का उल्लंघन भी किया था। चीनी मिलों को खरीदने वाली निजी कंपनियों ने मिल लेते समय वादा किया था कि चीनी मिलों को अच्छे से चलाएंगी, लेकिन वह अपने वादों से मुकर गई। इसका खामियाजा चीनी मिलों में काम करने वाले कर्मचारी और गन्ना किसान आज भी भुगत रहे हैं।
सपा सरकार ने जांच को डाला ठंडे बस्ते में
साल 2012 में उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने के बाद अखिलेश यादव ने अपनी कैबिनेट मीटिंग में बसपा सरकार के कार्यकाल में बेची गईं सरकारी चीनी मिलों की जांच की बात तो की थी, लेकिन उन्होंने पूरे पांच साल तक कुछ नहीं किया।
दस से ज्यादा मिलें थी चालू हालत में
उत्तर प्रदेश चीनी निगम लिमिटेड की चालू चीनी मिलों अमरोहा, बिजनौर, बुलन्दशहर, चांदपुर, जरवलरोड, खड्डा, रोहानाकलाँ, सखौती टाण्डा, सहारनपुर तथा सिसवाबाजार मिलों के अलावा बन्द पड़ी-बैतालपुर, भटनी, देवरिया, शाहगंज, बरेली, लक्ष्मीगंज, रामकोला, छितौनी, हरदोई, बाराबंकी तथा घुघली चीनी मिलों की बिक्री में हुई कथित अनियमितता तथा भ्रष्टाचार की जांच अब सीबीआई करेगी। सूत्रों के अनुसार इसमें करीब 1,100 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था।...   आर एस राणा

07 मई 2018

केस्टर तेल के निर्यात में बढ़ोतरी, जुलाई में भाव में सुधार आने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान केस्टर तेल का निर्यात 64,259 टन बढ़कर 6,20,497 टन का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात 5,56,238 टन का ही हुआ था। हालांकि मार्च में केस्टर तेल का निर्यात घटकर 48,840 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल मार्च महीने में इसका निर्यात 57,227 टन का हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 में मूल्य के हिसाब से केस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 6,062.61 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 4,052.82 करोड़ रुपये का हुआ था।
गुजरात के गांधीधाम स्थित केस्टर तेल की निर्यातक फर्म एस सी केमिकल के डायरेक्टर कुशल राज पारिख ने बताया कि चीन की आयात केस्टर तेल में कुछ कम हुई है जिससे केस्टर सीड के भाव में नरमी आई है। उन्होंने बताया कि चीन को केस्टर तेल के निर्यात सौदे 1,270 डॉलर प्रति टन की दर हो रहे हैं तथा चालू वित्त वर्ष 2018-19 में भी केस्टर तेल का निर्यात बढ़ने की संभावना है। चालू सीजन में उत्पादन ज्यादा हुआ है जिस कारण इस समय दैनिक आवक अच्छी बनी हुई है।
राजकोट मंडी के केस्टर सीड व्यापारी समीर भाई शाह ने बताया कि शनिवार को उत्पादक मंडियों में इसके भाव घटकर 3,750 से 3,800 रुपये प्रति​ क्विंटल रह गए है तथा कमजोर मांग को देखते हुए मौजूदा कीमतों में 25 से 50 रुपये का मंदा और भी आ सकता है। उत्पादक मंडियों मेें केस्टर सीड की दैनिक आवक एक लाख बोरी की हो रही है। जून-जुलाई में दैनिक आवक कम होने के बाद इसके भाव में सुधार बनने की संभावना है।
एसईए के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में केस्टर सीड का उत्पादन बढ़कर 14.33 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन केवल 10.53 लाख टन का ही हुआ था। ............आर एस राणा

अरहर, उड़द और मूंग के आयात पर और सख्ती, भाव में सुधार की उम्मीद नहीं

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में दालों की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार ने अरहर, उड़द और मूंग के साबूत या फिर प्रोसेसिंग की हुई दालों के आयात पर भी रोक लगा दी है। हालांकि इस सख्ती के बाद भी घरेलू बाजार में दालों की कीमतों में सुधार की संभावना नहीं है क्योंकि केंद्रीय पूल में दलहन का भारी-भरकम स्टॉक मौजूद है जबकि केंद्र सरकार द्वारा किए गए अनुबंध एवं आयातकों द्वारा पहले से किए गए सौदों का आयात जारी रहेगा।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसचूना के अनुसार अरहर, उड़द तथा मूंग के साबूत या फिर दली हुई दालों के आयात पर पूर्ण रोक रहेगी, इसके साथ ही केंद्र सरकार ने मूंग और उड़द के आयात का जो 3 लाख टन का कोटा ​तय किया हुआ है, उसमें इनकी हिस्सेदारी डेढ़-डेढ़ लाख टन तय कर दी है, लेकिन अभी इनके आयात पर भी रोक जारी रहेगी।
नेफेड बेच रही है एमएसपी से नीचे दालें
केंद्र सरकार ने अगस्त 2017 में वित्त वर्ष 2017-18 के लिए अरहर के आयात की 2 लाख टन और उड़द तथा मूंग के आयात की 3 लाख टन की मात्रा तय की थी। दलहन कारोबारी राधाकिशन गुप्ता ने ​बताया कि सरकार ने साबूत दालों के आयात की मात्रा तय कर रखी थी, लेकिन आयातक दली हुई दालों का आयात कर रहे थे। उन्होंने बताया कि घरेलू बाजार में नेफेड समर्थन मूल्य से 1,500 से 2,000 प्रति क्विंटल नीचे भाव पर दालों की बिक्री कर रही है तथा नेफेड एवं अन्य सरकारी एजेंसियों के पास करीब 20 लाख टन से ज्यादा का स्टॉक जमा है। इसलिए भाव में सुधार की उम्मीद नहीं है।
आयात पर पूर्ण रोक के बाद ही सुधार संभव
आल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश कुमार अग्रवाल ने बताया कि घरेलू बाजार में दालों की उपलब्धता तो ज्यादा है ही, साथ में आयातित दालों का पुराना स्टॉक भी ज्यादा मात्रा में बचा हुआ है। अत: केंद्र सरकार को दालों के आयात पर पूरी तरह से रोक लगा देनी चाहिए, तभी घरेलू बाजार में इनके भाव में सुधार आ सकता है।
केंद्र सरकार द्वारा उठाए कदम नाकाफी
केंद्र सरकार ने दलहन की कीमतों में सुधार लाने के लिए कदम तो उठाए है, लेकिन घरेलू मंडियों में दालों के भाव सुधार के बजाए गिरावट ही आई है। केंद्र सरकार ने चना के आयात पर 50 फीसदी आयात शुल्क, मसूर के आयात पर 30 फीसदी और मई से जून के दौरान मटर के आयात की एक लाख टन की मात्रा कर रखी है। नवंबर में सरकार ने दलहन के निर्यात को भी खोल दिया था, साथ ही चना दाल के निर्यात पर 7 फीसदी का इनसेंटिव भी घोषित कर रखा है।
रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में दालों का रिकार्ड उत्पादन 239.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल इनका उत्पादन केवल 231.3 लाख टन का हुआ था।
किसानों को नहीं मिल रहा है समर्थन मूल्य
उत्पादक मंडियों में किसान 3,200 से 3,300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से चना बेचने को मजबूर है जबकि केंद्र सरकार ने चना का एमएसपी 4,400 रुपये प्रति​ क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। इसी तरह से मसूर के भाव कई मंडियों में घटकर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं जबकि मसूर का एमएसपी 4,250 रुपये प्रति क्विंटल है। अरहर, उड़द और मूंग के भाव भी एमएसपी से नीचे बने हुए हैं।............... आर एस राणा

05 मई 2018

एथनॉल पर जीएसटी की दर में नहीं की कटौती, चीनी पर सेस का फैसला भी टला

आर एस राणा
नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की गुरुवार को नई दिल्ली में हुई 27वीं बैठक में एथनॉल पर जीएसटी की दर में कटौती के साथ ही चीनी पर सेस लगाने पर कोई फैसला नहीं हो सका। ऐसे में अब सवाल यह भी उठता है कि केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के लिए जो 5.50 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी देने की घोषणा की है, उसके लिए फंड कहां से आयेगा।

बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि चीनी पर सेस और एथनॉल पर जीएसटी की दर में कटौती के फैसले को पांच राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह को सौंप दिया है जोकि आगामी दो सप्ताह में इस पर फैसला करेगा। इन मंत्रियों के नामों की घोषणा अगले दो दिन में कर दी जाएगी। इस समय चीनी की कीमतें उत्पादन लागत से भी नीचे बनी हुई है।

चीनी मिलों पर किसानों के रिकार्ड बकाया करीब 20,000 करोड़ रुपये की समस्या का हल निकलाने के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों के समूह ने एथनॉल पर जीएसटी की दर को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने और चीनी पर 5 फीसदी सेस लगाने की सिफारिश की थी।....  आर एस राणा

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