जीन संवर्धित बीटी कपास बीज की कीमत घटाने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को
चुनौती देते हुए बीज कंपनियों ने बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की
है। राज्य सरकार ने 8 जून को कीमत 10.5 फीसदी या 100 रुपये घटाकर 850 रुपये
प्रति पैकेट (450 ग्राम) करने की घोषणा की थी। चार साल पहले बीटी कपास की
कीमत 950 रुपये प्रति पैकेट तय की गई थी। यह याचिका भारतीय राष्ट्रीय बीज
संघ (एनएसएआई) द्वारा बीज क्षेत्र के पक्ष में दायर की गई थी। इस याचिका को
न्यायालय ने स्वीकार किया था और शुक्रवार को इस पर सुनवाई हुई।
एनएसएआई के संस्थापक -अध्यक्ष और नाथ बायोजीन्स (आई) के प्रबंध निदेशक सतीश कागलीवाल ने कहा, 'हम इस आदेश से खुश नहीं थे, क्योंकि बीज के दामों में कटौती का बीज कंपनियों पर असर पड़ता है। कीमतों में कटौती से बीज उत्पादन लाभकारी नहीं रह जाता, जिससे किसानों को सेवा मुहैया कराने की क्षमता भी प्रभावित होती है। इसलिए हमने राहत देने का आग्रह किया है। हालांकि न्यायालय ने मंगलवार को अगली सुनवाई से पहले हमसे कुछ विस्तृत जानकारियां मांगी हैं। हम ये ब्योरे सोमवार तक जमा कराने की तैयारी कर रहे हैं।'
सीजन की शुरुआत में बीज उत्पादकों ने सरकार से आग्रह किया था कि इनपुट लागत में बढ़़ोतरी के अनुपात में कपास के बीज की कीमतों में बढ़ोतरी की जाए। ये आग्रह तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार से किए गए थे। इन सभी सरकारों ने कहा कि देश में किसानों की स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए कीमतें नहीं बढ़ाई जा सकतीं। बीज कंपनियों ने सरकार के इस मत से सहमति जताई थी। हालांकि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की सरकारों ने और कोई कदम नहीं उठाया, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने कीमत में कटौती कर दी। कागलीवाल ने कहा, 'हम सरकार से टकराव नहीं चाहते, लेकिन इसके अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। बीज कंपनियां कह रही हैं कि पिछले चार साल के दौरान उत्पादन लागत 10 से 15 फीसदी बढ़ी है, क्योंकि श्रम, उर्वरक और अन्य इनपुट लागत में इसी अनुपात में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन कीमतों में कोई बदलाव नहीं आया है।
कागलीवाल ने कहा, 'अगर बीज कंपनियों को सही कीमत नहीं मिलेगी तो वे अनुसंधान एवं विकास पर निवेश नहीं करेंगी। इसलिए बीज उत्पादन कारोबार को फायदेमंद बनाए रखना जरूरी है। कटौती का हमारे कारोबार पर असर पड़ रहा है, क्योंकि कीमतों में कटौती से बहुत सी बीज कंपनियों को अपना कारोबार बंद करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।' उद्योग के एक सूत्र ने कहा, 'अब पैकेट पर अधिकतम खुदरा मूल्य छपा होता है। बड़ी मात्रा में बीज भेजा भी जा रहा है। किसानों के पास कुछ मात्रा में बीज पहले से ही है, इसलिए इस मौके पर कीमतों में कटौती करना तर्कसंगत नहीं है।' देश में 250 कंपनियां बीज उत्पादन में संलग्न हैं, जिनमें 104 महाराष्ट्र में स्थित हैं। (BS Hindi)
एनएसएआई के संस्थापक -अध्यक्ष और नाथ बायोजीन्स (आई) के प्रबंध निदेशक सतीश कागलीवाल ने कहा, 'हम इस आदेश से खुश नहीं थे, क्योंकि बीज के दामों में कटौती का बीज कंपनियों पर असर पड़ता है। कीमतों में कटौती से बीज उत्पादन लाभकारी नहीं रह जाता, जिससे किसानों को सेवा मुहैया कराने की क्षमता भी प्रभावित होती है। इसलिए हमने राहत देने का आग्रह किया है। हालांकि न्यायालय ने मंगलवार को अगली सुनवाई से पहले हमसे कुछ विस्तृत जानकारियां मांगी हैं। हम ये ब्योरे सोमवार तक जमा कराने की तैयारी कर रहे हैं।'
सीजन की शुरुआत में बीज उत्पादकों ने सरकार से आग्रह किया था कि इनपुट लागत में बढ़़ोतरी के अनुपात में कपास के बीज की कीमतों में बढ़ोतरी की जाए। ये आग्रह तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार से किए गए थे। इन सभी सरकारों ने कहा कि देश में किसानों की स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए कीमतें नहीं बढ़ाई जा सकतीं। बीज कंपनियों ने सरकार के इस मत से सहमति जताई थी। हालांकि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की सरकारों ने और कोई कदम नहीं उठाया, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने कीमत में कटौती कर दी। कागलीवाल ने कहा, 'हम सरकार से टकराव नहीं चाहते, लेकिन इसके अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। बीज कंपनियां कह रही हैं कि पिछले चार साल के दौरान उत्पादन लागत 10 से 15 फीसदी बढ़ी है, क्योंकि श्रम, उर्वरक और अन्य इनपुट लागत में इसी अनुपात में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन कीमतों में कोई बदलाव नहीं आया है।
कागलीवाल ने कहा, 'अगर बीज कंपनियों को सही कीमत नहीं मिलेगी तो वे अनुसंधान एवं विकास पर निवेश नहीं करेंगी। इसलिए बीज उत्पादन कारोबार को फायदेमंद बनाए रखना जरूरी है। कटौती का हमारे कारोबार पर असर पड़ रहा है, क्योंकि कीमतों में कटौती से बहुत सी बीज कंपनियों को अपना कारोबार बंद करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।' उद्योग के एक सूत्र ने कहा, 'अब पैकेट पर अधिकतम खुदरा मूल्य छपा होता है। बड़ी मात्रा में बीज भेजा भी जा रहा है। किसानों के पास कुछ मात्रा में बीज पहले से ही है, इसलिए इस मौके पर कीमतों में कटौती करना तर्कसंगत नहीं है।' देश में 250 कंपनियां बीज उत्पादन में संलग्न हैं, जिनमें 104 महाराष्ट्र में स्थित हैं। (BS Hindi)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें