इस साल किसानों को मूंगफली कपास से ज्यादा फायदेमंद नजर आ रही है। इससे
वर्ष 2015-16 के चालू खरीफ सीजन में मूंगफली की बुआई वर्ष 2014-15 के पिछले
खरीफ सीजन की तुलना में 25 फीसदी बढऩे की संभावना है।
केंद्रीय कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अभी तक मूंगफली की बुआई कपास से बेहतर रही है। देश में चालू खरीफ सीजन में 19 जून तक 1,36,000 हेक्टेयर में मूंगफली बोई जा चुकी है, जबकि पिछले साल अब तक 79,000 हेक्टेयर में बुआई हुई थी। इस तरह ये आंकड़े मूंगफली बुआई में 72 फीसदी बढ़ोतरी को दर्शाते हैं।
मगर देश में कपास का रकबा मामूली घटा है। बीती 19 जून तक 19.6 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई है, जो गत सीजन में 20 लाख हेक्टेयर थी। उद्योग के अनुमानों से संकेत मिलता है कि इस साल सीजन के अंत तक कपास का रकबा 107.6 लाख हेक्टेयर रह सकता है, जबकि पिछले साल इसका कुल रकबा 126.5 लाख हेक्टेयर था। गुजरात सरकार के कृषि विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में मूंगफली के इस सबसे बड़े उत्पादक राज्य में इस कृषि जिंस की शुरुआती बुआई 60,400 हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल के रकबे 64,000 हेक्टेयर से मामूली कम है। हालांकि गुजरात में कपास की बुआई अब तक 40 फीसदी घटकर 1,51,400 हेक्टेयर रही है, जो पिछले साल की इसी अवधि में 2,56,800 हेक्टेयर थी। अन्य राज्यों में आंध्र प्र्रदेश एवं तेलंगाना में 18 जून तक मूंगफली की बुआई मामूली बढ़ोतरी के साथ 28,800 हेक्टेयर रही है, जो पिछले साल 28,000 हेक्टेयर थी। इसका पता हैदराबाद के तिलहन विकास निदेशालय के आंकड़ों से चलता है। तमिलनाडु में अब तक 19,000 हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है, जो पिछले साल इस समय तक 8,000 हेक्टेयर थी। मूंगफली के एक अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य कर्नाटक में बुआई की शुरुआत धीमी रही है। वहां अब तक 27,000 हेक्टेयर में बुआई हुई है, जो पिछले साल इस समय तक 43,000 हेक्टेयर थी।
मूंगफली अनुसंधान निदेशालय (डीजीआर) के निदेशक टी राधाकृष्णन ने कहा, 'अब तक मूंगफली की बुआई अच्छी रही है और अगर मॉनसून अनुकूल रहा तो इसका रकबा 20 से 30 फीसदी बढ़ सकता है। हालांकि तस्वीर जुलाई के मध्य तक ही साफ हो पाएगी।'
पिछले साल मूंगफली का उत्पादन तुलनात्मक रूप से कम रहा, जिससे किसानों को मुख्य रूप से अक्टूबर, 2014 के बाद बेहतर कीमत मिली। अक्टूबर 2014 से मई 2015 के बीच मूंगफली की औसत कीमतें 1,000 से 1,300 रुपये प्रति 20 किलोग्राम रहीं, जबकि इस समय कीमतें 950 से 1,120 रुपये प्रति 20 किलोग्राम हैं।
मुंबई की जीएस एक्सपोट्र्स के प्रबंध निदेशक खुशवंत जैन ने कहा, 'इस साल मूंगफली के रकबे में संभावित बढ़ोतरी की मुख्य वजह अच्छी कीमतें होना है और मुख्य रूप से कपास किसान मूंगफली का रकबा बढ़ाएंगे। बुआई की वर्तमान स्थिति को देखते हुए मूंगफली के रकबे में 25 फीसदी बढ़ोतरी की संभावना है।'
सीजन की शुरुआत से कच्चे कपास की कीमतें 750 रुपये से 850 रुपये प्रति 20 किलोग्राम के दायरे में रही हैं, जबकि सीजन में ज्यादातर समय कपास के दाम 28,000 से 30,000 रुपये प्रति कैंडी (356 किलोग्राम) रहे हैं। भारतीय तिलहन एवं उपज निर्यात संवर्धन परिषद (आईओपीईपीसी) के चेयरमैन किशोर तन्ना ने कहा, 'मुख्य रूप से कपास किसान इस बार मूंगफली को अपनाएंगे। सीजन के अंत में मूंगफली के रकबे में जितनी बढ़ोतरी होगी, उसमें 85 फीसदी हिस्सा कपास के रकबे में कमी का होगा।' (BS Hindi0
केंद्रीय कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अभी तक मूंगफली की बुआई कपास से बेहतर रही है। देश में चालू खरीफ सीजन में 19 जून तक 1,36,000 हेक्टेयर में मूंगफली बोई जा चुकी है, जबकि पिछले साल अब तक 79,000 हेक्टेयर में बुआई हुई थी। इस तरह ये आंकड़े मूंगफली बुआई में 72 फीसदी बढ़ोतरी को दर्शाते हैं।
मगर देश में कपास का रकबा मामूली घटा है। बीती 19 जून तक 19.6 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई है, जो गत सीजन में 20 लाख हेक्टेयर थी। उद्योग के अनुमानों से संकेत मिलता है कि इस साल सीजन के अंत तक कपास का रकबा 107.6 लाख हेक्टेयर रह सकता है, जबकि पिछले साल इसका कुल रकबा 126.5 लाख हेक्टेयर था। गुजरात सरकार के कृषि विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में मूंगफली के इस सबसे बड़े उत्पादक राज्य में इस कृषि जिंस की शुरुआती बुआई 60,400 हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल के रकबे 64,000 हेक्टेयर से मामूली कम है। हालांकि गुजरात में कपास की बुआई अब तक 40 फीसदी घटकर 1,51,400 हेक्टेयर रही है, जो पिछले साल की इसी अवधि में 2,56,800 हेक्टेयर थी। अन्य राज्यों में आंध्र प्र्रदेश एवं तेलंगाना में 18 जून तक मूंगफली की बुआई मामूली बढ़ोतरी के साथ 28,800 हेक्टेयर रही है, जो पिछले साल 28,000 हेक्टेयर थी। इसका पता हैदराबाद के तिलहन विकास निदेशालय के आंकड़ों से चलता है। तमिलनाडु में अब तक 19,000 हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है, जो पिछले साल इस समय तक 8,000 हेक्टेयर थी। मूंगफली के एक अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य कर्नाटक में बुआई की शुरुआत धीमी रही है। वहां अब तक 27,000 हेक्टेयर में बुआई हुई है, जो पिछले साल इस समय तक 43,000 हेक्टेयर थी।
मूंगफली अनुसंधान निदेशालय (डीजीआर) के निदेशक टी राधाकृष्णन ने कहा, 'अब तक मूंगफली की बुआई अच्छी रही है और अगर मॉनसून अनुकूल रहा तो इसका रकबा 20 से 30 फीसदी बढ़ सकता है। हालांकि तस्वीर जुलाई के मध्य तक ही साफ हो पाएगी।'
पिछले साल मूंगफली का उत्पादन तुलनात्मक रूप से कम रहा, जिससे किसानों को मुख्य रूप से अक्टूबर, 2014 के बाद बेहतर कीमत मिली। अक्टूबर 2014 से मई 2015 के बीच मूंगफली की औसत कीमतें 1,000 से 1,300 रुपये प्रति 20 किलोग्राम रहीं, जबकि इस समय कीमतें 950 से 1,120 रुपये प्रति 20 किलोग्राम हैं।
मुंबई की जीएस एक्सपोट्र्स के प्रबंध निदेशक खुशवंत जैन ने कहा, 'इस साल मूंगफली के रकबे में संभावित बढ़ोतरी की मुख्य वजह अच्छी कीमतें होना है और मुख्य रूप से कपास किसान मूंगफली का रकबा बढ़ाएंगे। बुआई की वर्तमान स्थिति को देखते हुए मूंगफली के रकबे में 25 फीसदी बढ़ोतरी की संभावना है।'
सीजन की शुरुआत से कच्चे कपास की कीमतें 750 रुपये से 850 रुपये प्रति 20 किलोग्राम के दायरे में रही हैं, जबकि सीजन में ज्यादातर समय कपास के दाम 28,000 से 30,000 रुपये प्रति कैंडी (356 किलोग्राम) रहे हैं। भारतीय तिलहन एवं उपज निर्यात संवर्धन परिषद (आईओपीईपीसी) के चेयरमैन किशोर तन्ना ने कहा, 'मुख्य रूप से कपास किसान इस बार मूंगफली को अपनाएंगे। सीजन के अंत में मूंगफली के रकबे में जितनी बढ़ोतरी होगी, उसमें 85 फीसदी हिस्सा कपास के रकबे में कमी का होगा।' (BS Hindi0
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