मई में वनस्पति तेलों का आयात अब तक के सर्वोच्च मासिक स्तर पर पहुंच गया
और इसमें पिछले साल के समान महीने के मुकाबले 33 फीसदी बढ़ोतरी देखने को
मिली। देश का खाद्य तेल आयात मई में 13.71 लाख टन रहा। किसी एक महीने में
यह आयात का सर्वाधिक मात्रा है। मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे प्रमुख उत्पादक
देशों से आपूर्ति बढ़ाने की वजह से आयात के आंकड़ों में इजाफा हुआ है।
उद्योग के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 2014 में 10.33 लाख टन था। सॉल्वेंट
एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए)द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक,
'खाद्य तेल का आयात मई 2015 के दौरान रिकॉर्ड 13.7 लाख टन रहा। यह 1994 में
शुरू आयात के बाद सर्वाधिक है। पिछले साल मई में आयात 10.3 लाख टन था।'
नवंबर-मई के दौरान खाद्य तेल का आयात 26 प्रतिशत बढ़कर 78.33 लाख टन रहा जो एक वर्ष पूर्व इसी अवधि में 61.9 लाख टन था। तेल वर्ष नवंबर से अक्टूबर होता है। नवंबर-मई के दौरान कुल आयात में खाद्य तेल की हिस्सेदारी 77.08 लाख टन तथा गैर-खाद्य तेल की हिस्सेदारी 1.25 लाख टन रही। एसईए के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता का कहना है, 'अक्टूबर 2014 से इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम उत्पादकों पर कोई निर्यात शुल्क नहीं वसूला जाता है और कच्चे पाम तेल की मांग कम हुई है जिसकी वजह से उन्होंने पाम उत्पादों का निर्यात भारत की तरफ बढ़ा दिया है।' दिलचस्प बात है कि रिफाइंड तेल का आयात भी 20 फीसदी बढ़ गया है। मेहता ने कहा, 'रिफाइंड, ब्लीच, डायोडाइज्ड पामोलीन का बढ़ता आयात देसी रिफाइनरों को प्रभावित कर रहा है। इसके अलावा सोयाबीन की अधिक कीमत और तेल के बदले कम कमाई होने की वजह से पेराई कम हो गई और देसी बाजार में इसकी उपलब्धता कम हो जाएगी। इसके परिणामस्वरूप सोयाबीन तेल और सूरजमुखी के तेल का आयात बढ़ गया।' (BS Hindi)
नवंबर-मई के दौरान खाद्य तेल का आयात 26 प्रतिशत बढ़कर 78.33 लाख टन रहा जो एक वर्ष पूर्व इसी अवधि में 61.9 लाख टन था। तेल वर्ष नवंबर से अक्टूबर होता है। नवंबर-मई के दौरान कुल आयात में खाद्य तेल की हिस्सेदारी 77.08 लाख टन तथा गैर-खाद्य तेल की हिस्सेदारी 1.25 लाख टन रही। एसईए के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता का कहना है, 'अक्टूबर 2014 से इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम उत्पादकों पर कोई निर्यात शुल्क नहीं वसूला जाता है और कच्चे पाम तेल की मांग कम हुई है जिसकी वजह से उन्होंने पाम उत्पादों का निर्यात भारत की तरफ बढ़ा दिया है।' दिलचस्प बात है कि रिफाइंड तेल का आयात भी 20 फीसदी बढ़ गया है। मेहता ने कहा, 'रिफाइंड, ब्लीच, डायोडाइज्ड पामोलीन का बढ़ता आयात देसी रिफाइनरों को प्रभावित कर रहा है। इसके अलावा सोयाबीन की अधिक कीमत और तेल के बदले कम कमाई होने की वजह से पेराई कम हो गई और देसी बाजार में इसकी उपलब्धता कम हो जाएगी। इसके परिणामस्वरूप सोयाबीन तेल और सूरजमुखी के तेल का आयात बढ़ गया।' (BS Hindi)
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