आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों के बकाया भुगतान से जुझ रहे चीनी उद्योग को केंद्र सरकार ने 6,000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण देने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में चीनी मिलों को ब्याज मुक्त ऋण की अवधि एक साल की होगी।
सीसीईए की बैठक के बाद सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी ने संवाददाओं को बताया कि चीनी उद्योग को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने 6,000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण देने का फैसला किया हैं, इससे चीनी मिलों को किसानों के बकाया भुगतान करने में आसानी होगी। उन्होंने बताया कि चीनी उद्योग को एक साल के लिए ब्याज मुक्त ऋण दिया जायेगा। चालू पेराई सीजन 2014-15 में चीनी मिलों पर किसानों के बकाया का बोझ बढ़कर 22,000 करोड़ रुपये का हो चुका है। उन्होंने बताया कि सीसीईए की बैठक में चीनी का बफ्र स्टॉक बनाने को लेकर कोई विचार नहीं हुआ।
इससे पहले भी केंद्र सरकार ने चीनी उद्योग को राहत देने के लिए आयात षुल्क में बढ़ोतरी के साथ ही रॉ-षुगर के निर्यात पर इनसेंटिव आदि देने की घोषणा की थी। केंद्र सरकार ने चीनी के आयात तो हत्तोसाहित करने के लिए आयात ष्षुल्क को 25 फीसदी से बढ़कर 40 फीसदी कर दिया था। इससे पहले केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को 14 लाख टन रॉ-षुगर के निर्यात पर 4,000 रुपये प्रति टन की दर से इनसेंटिव देने की घोषणा भी की थी। केंद्र सरकार द्वारा इनसेंटिव घोषित करने के बाद से चीनी मिलें करीब 3 लाख टन रॉ-षुगर का निर्यात कर चुकी है।ष्
चालू पेराई सीजन में 31 मई 2015 तक 279.57 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि देष में चीनी की सालाना खपत 225 से 230 लाख टन की होती है। चीनी का उत्पादन ज्यादा होने के कारण चीनी के दाम नीचे बने हुए है जिससे चीनी मिलों को घाटा हो रहा है। इसलिए चीनी मिलें किसानों को समय पर भुगतान नहीं कर पा रही है तथा चालू पेराई सीजन में किसानों के बकाया का बोझ बढ़कर 22,000 करोड़ को पार कर चुका है। ....आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों के बकाया भुगतान से जुझ रहे चीनी उद्योग को केंद्र सरकार ने 6,000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण देने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में चीनी मिलों को ब्याज मुक्त ऋण की अवधि एक साल की होगी।
सीसीईए की बैठक के बाद सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी ने संवाददाओं को बताया कि चीनी उद्योग को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने 6,000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण देने का फैसला किया हैं, इससे चीनी मिलों को किसानों के बकाया भुगतान करने में आसानी होगी। उन्होंने बताया कि चीनी उद्योग को एक साल के लिए ब्याज मुक्त ऋण दिया जायेगा। चालू पेराई सीजन 2014-15 में चीनी मिलों पर किसानों के बकाया का बोझ बढ़कर 22,000 करोड़ रुपये का हो चुका है। उन्होंने बताया कि सीसीईए की बैठक में चीनी का बफ्र स्टॉक बनाने को लेकर कोई विचार नहीं हुआ।
इससे पहले भी केंद्र सरकार ने चीनी उद्योग को राहत देने के लिए आयात षुल्क में बढ़ोतरी के साथ ही रॉ-षुगर के निर्यात पर इनसेंटिव आदि देने की घोषणा की थी। केंद्र सरकार ने चीनी के आयात तो हत्तोसाहित करने के लिए आयात ष्षुल्क को 25 फीसदी से बढ़कर 40 फीसदी कर दिया था। इससे पहले केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को 14 लाख टन रॉ-षुगर के निर्यात पर 4,000 रुपये प्रति टन की दर से इनसेंटिव देने की घोषणा भी की थी। केंद्र सरकार द्वारा इनसेंटिव घोषित करने के बाद से चीनी मिलें करीब 3 लाख टन रॉ-षुगर का निर्यात कर चुकी है।ष्
चालू पेराई सीजन में 31 मई 2015 तक 279.57 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि देष में चीनी की सालाना खपत 225 से 230 लाख टन की होती है। चीनी का उत्पादन ज्यादा होने के कारण चीनी के दाम नीचे बने हुए है जिससे चीनी मिलों को घाटा हो रहा है। इसलिए चीनी मिलें किसानों को समय पर भुगतान नहीं कर पा रही है तथा चालू पेराई सीजन में किसानों के बकाया का बोझ बढ़कर 22,000 करोड़ को पार कर चुका है। ....आर एस राणा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें