मॉनसून के देरी से आने और मध्य और उत्तर भारत में अनिश्चित गति की वजह से
खरीफ की फसलों की बुआई पर बुरा असर पड़ता दिखाई दे रहा है और इससे प्रमुख
अनाजों और कपास की फसल पर असर पड़ सकता है। हालांकि शुरुआती दिनों में पूरे
देश में खरीफ की बुआई 12 जून तक पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 8.71
फीसदी कम रही। पिछले साल कुल 75.1 लाख हेक्टेयर में खरीफ की बुआई हुई थी।
इसकी वजह से महाराष्ट्र, गुजरात और बिहार के साथ ही पूर्वी भारत में पैदा
होने वाली अनाज और कपास की फसल पर असर पड़ सकता है। कुल मिलाकर खरीफ की फसल
सीजन के दौरान 1,050 लाख हेक्टेयर में बोई जाती है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक धान की बुआई 4.7 लाख हेक्टेयर में की गई है जो पिछले साल के मुकाबले थोड़ा अधिक है। जून तक दलहनों की बुआई 2.4 लाख हेक्टेयर में की जा चुकी है। कुल मिलाकर 108.1 लाख हेक्टेयर जमीन पर फसलों की बुआई का काम पूरा हो चुका है। अधिकारियों का कहना है कि एक बार मॉनसून के देश के मध्य और उत्तरी हिस्से में पहुंच जाने के बाद खरीफ की बुआई में तेजी आ सकती है। उम्मीद है कि जून के आखिर तक देश के इस हिस्से में मॉनसून पहुंच जाएगा। गुरुवार को मौसम विभाग द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया कि देश में 1 जून से 10 जून के बीच 36.4 बारिश हुई जो लगभग सामान्य है। (BS Hindi)
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक धान की बुआई 4.7 लाख हेक्टेयर में की गई है जो पिछले साल के मुकाबले थोड़ा अधिक है। जून तक दलहनों की बुआई 2.4 लाख हेक्टेयर में की जा चुकी है। कुल मिलाकर 108.1 लाख हेक्टेयर जमीन पर फसलों की बुआई का काम पूरा हो चुका है। अधिकारियों का कहना है कि एक बार मॉनसून के देश के मध्य और उत्तरी हिस्से में पहुंच जाने के बाद खरीफ की बुआई में तेजी आ सकती है। उम्मीद है कि जून के आखिर तक देश के इस हिस्से में मॉनसून पहुंच जाएगा। गुरुवार को मौसम विभाग द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया कि देश में 1 जून से 10 जून के बीच 36.4 बारिश हुई जो लगभग सामान्य है। (BS Hindi)
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