देश में गेहूं का उत्पादन घटने के बावजूद अब तक इस जिंस की सरकारी खरीद
पिछले साल से करीब 2 फीसदी ज्यादा रही है। सरकार द्वारा गुणवत्ता मानकों
में ढील दिए जाने के बाद भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य एजेंसियों ने
मंडियों में आने वाले ज्यादातर गेहूं की खरीद की है। कमजोर गुणवत्ता का
गेहूं खरीदने से राज्य सरकारों को होने वाले नुकसान की भरपाई करने के
केंद्र के फैसले से राज्य सरकारें किसानों को पूरा न्यूनतम समर्थन मूल्य
(एमएसपी) दे सकीं। इससे किसानों को बाजार में और ज्यादा उपज लाने के लिए
प्रोत्साहन मिला।
एफसीआई के आंकड़े दर्शाते हैं कि अब तक वह करीब 271.3 लाख टन गेहूं की खरीद कर चुका है, जबकि बाजार में कुल आवक 315.3 लाख टन रही। यानी एफसीआई ने कुल आवक में करीब 86 फीसदी खरीदारी की। पिछले साल की इसी अवधि में एफसीआई की कुल खरीद 266.1 लाख टन रही थी, जो कुल आवक 338.9 लाख टन की 78.51 फीसदी थी। इसका मतलब है कि एफसीआई और राज्य एजेंसियों ने पिछले साल के मुकाबले इस साल मंडियों में आने वाले गेहूं की ज्यादा खरीद की है। एफसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'इस साल में हमारी कुल खरीद 275 लाख टन रह सकती है, जो पिछले साल की वास्तविक खरीद 280 लाख टन से मामूली कम है।'
गेहूं खरीद में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई है। इस राज्य में गेहूं की खरीद वर्ष 2015-16 में 369 फीसदी की भारी-भरकम बढ़ोतरी के साथ 18.3 लाख टन रही है, जो पिछले साल महज 3.9 लाख टन थी। जून में शुरू हुए फसल वर्ष 2014-15 में गेहूं का उत्पादन 9.07 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल से करीब 60 लाख टन कम है। रबी सीजन के दौरान बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण 1.8 करोड़ हेक्टेयर रकबे में गेहूं की फसल प्रभावित हुई थी, जिससे उत्पादन में गिरावट आई है। हालांकि उत्पादन घटा कम है, लेकिन केंद्र के गुणवत्ता मानकों में ढील देने से एफसीआई और राज्य एजेंसियों ने किसानों से ज्यादा गेहूं खरीदा है। नए मानकों के मुताबिक केंद्र पंजाब में 10 फीसदी तक टूटा एवं बारीक गेहूं खरीदेगा, जबकि इस समय इसकी स्वीकृति 6 फीसदी तक ही है।
केंद्र ने यह भी फैसला किया है कि वह 50 फीसदी तक चमक खोने वाला गेहूं भी खरीदेगा। केंद्र ने हरियाणा में 90 फीसदी तक चमक खोया हुआ और इतनी ही मात्रा में टूटा हुआ गेहूं खरीदने का फैसला किया है। मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में भी गुणवत्ता मानकों में ढील दी गई है। आंकड़ों से पता चलता है कि पंजाब में कुल आवक 105 लाख टन में से 99.5 लाख टन गेहूं की खरीद की गई है, जबकि पिछले साल की इस अवधि तक 119.3 लाख टन आवक में से 107.7 लाख टन गेहूं खरीदा गया था।
इसका मतलब है कि पंजाब में भी कुल आवक की 95 फीसदी खरीद सरकारी एजेंसियों द्वारा की गई है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में कुल आवक की करीब 90.27 फीसदी खरीद की गई थी। एफसीआई और अन्य एजेंसियों ने इस साल हरियाणा में 67.5 लाख टन गेहूं की खरीद की है, जो पिछले साल 64.1 लाख टन थी। मध्य प्रदेश में एफसीआई और राज्य एजेंसियों ने इस साल 3 जून तक 72.6 लाख टन गेहूं खरीदा है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि तक वहां 70.9 लाख टन गेहूं की खरीद की गई थी। भारत के केंद्रीय भंडार में खाद्यान्न का स्टॉक इस साल 1 मई को करीब 5.91 करोड़ टन था, जो आवश्यक मात्रा से करीब 44 फीसदी ज्यादा है। इसमें चावल का स्टॉक 170.4 लाख टन और गेहूं का स्टॉक 341.2 लाख टन था। (BS Hindi)
एफसीआई के आंकड़े दर्शाते हैं कि अब तक वह करीब 271.3 लाख टन गेहूं की खरीद कर चुका है, जबकि बाजार में कुल आवक 315.3 लाख टन रही। यानी एफसीआई ने कुल आवक में करीब 86 फीसदी खरीदारी की। पिछले साल की इसी अवधि में एफसीआई की कुल खरीद 266.1 लाख टन रही थी, जो कुल आवक 338.9 लाख टन की 78.51 फीसदी थी। इसका मतलब है कि एफसीआई और राज्य एजेंसियों ने पिछले साल के मुकाबले इस साल मंडियों में आने वाले गेहूं की ज्यादा खरीद की है। एफसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'इस साल में हमारी कुल खरीद 275 लाख टन रह सकती है, जो पिछले साल की वास्तविक खरीद 280 लाख टन से मामूली कम है।'
गेहूं खरीद में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई है। इस राज्य में गेहूं की खरीद वर्ष 2015-16 में 369 फीसदी की भारी-भरकम बढ़ोतरी के साथ 18.3 लाख टन रही है, जो पिछले साल महज 3.9 लाख टन थी। जून में शुरू हुए फसल वर्ष 2014-15 में गेहूं का उत्पादन 9.07 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल से करीब 60 लाख टन कम है। रबी सीजन के दौरान बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण 1.8 करोड़ हेक्टेयर रकबे में गेहूं की फसल प्रभावित हुई थी, जिससे उत्पादन में गिरावट आई है। हालांकि उत्पादन घटा कम है, लेकिन केंद्र के गुणवत्ता मानकों में ढील देने से एफसीआई और राज्य एजेंसियों ने किसानों से ज्यादा गेहूं खरीदा है। नए मानकों के मुताबिक केंद्र पंजाब में 10 फीसदी तक टूटा एवं बारीक गेहूं खरीदेगा, जबकि इस समय इसकी स्वीकृति 6 फीसदी तक ही है।
केंद्र ने यह भी फैसला किया है कि वह 50 फीसदी तक चमक खोने वाला गेहूं भी खरीदेगा। केंद्र ने हरियाणा में 90 फीसदी तक चमक खोया हुआ और इतनी ही मात्रा में टूटा हुआ गेहूं खरीदने का फैसला किया है। मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में भी गुणवत्ता मानकों में ढील दी गई है। आंकड़ों से पता चलता है कि पंजाब में कुल आवक 105 लाख टन में से 99.5 लाख टन गेहूं की खरीद की गई है, जबकि पिछले साल की इस अवधि तक 119.3 लाख टन आवक में से 107.7 लाख टन गेहूं खरीदा गया था।
इसका मतलब है कि पंजाब में भी कुल आवक की 95 फीसदी खरीद सरकारी एजेंसियों द्वारा की गई है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में कुल आवक की करीब 90.27 फीसदी खरीद की गई थी। एफसीआई और अन्य एजेंसियों ने इस साल हरियाणा में 67.5 लाख टन गेहूं की खरीद की है, जो पिछले साल 64.1 लाख टन थी। मध्य प्रदेश में एफसीआई और राज्य एजेंसियों ने इस साल 3 जून तक 72.6 लाख टन गेहूं खरीदा है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि तक वहां 70.9 लाख टन गेहूं की खरीद की गई थी। भारत के केंद्रीय भंडार में खाद्यान्न का स्टॉक इस साल 1 मई को करीब 5.91 करोड़ टन था, जो आवश्यक मात्रा से करीब 44 फीसदी ज्यादा है। इसमें चावल का स्टॉक 170.4 लाख टन और गेहूं का स्टॉक 341.2 लाख टन था। (BS Hindi)
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