हाजिर बाजार में मंगलवार को चीनी का भाव छह साल के निम्नतम स्तर पर पहुंच
गया। गन्ना किसानों का बकाया चुकाने के लिए मिलें खुले बाजार में चीनी बेच
रही हैं, जिसकी वजह से यह गिरावट दर्ज की गई है। राज्य सरकार की ओर से
लगातार मिल रहे लगातार नोटिसों ने चीनी मिलों को और परेशान कर दिया है।
नवी मुंबई में वाशी कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) में चीनी एम-30 का भाव 2,431 रुपये प्रति क्विंटल ही रह गया। इस साल इसका भाव 16 फीसदी टूट चुका है। पिछले साल अक्टूबर से अभी तक इसमें 23 फीसदी गिरावट आ चुकी है। पिछले साल अक्टूबर (पेराई सत्र की शुरुआत) से लेकर अभी तक चीनी का एक्स-फैक्टरी भाव करीब 20 फीसदी टूट चुका है। इससे पहले चीनी के भाव जून 2009 में इतने कम थे।
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'बाजार का माहौल यही बता रहा है कि देश में चीनी का बहुत अधिशेष है और अगले सीजन में भी उत्पादन अधिक ही रहेगा। उसके अलावा अधिशेष चीनी को निकालने में वैश्विक बाजार भी भारत की मददद नहीं करेंगे। इसलिए अधिशेष चीनी यहीं रहेगी। इसी कारण भाव नीचे आ रहे हैं।' देश भर में चीनी की औसत उत्पादन लागत 3,100 रुपये प्रति क्विंटल है। उत्तर प्रदेश में चीनी की उत्पादन लागत 3,300 रुपये प्रति क्विंटल है और महाराष्टï्र में 2,900 रुपये प्रति क्विंटल। फिलहाल औसत एक्स-फैक्टरी प्राप्ति 2,250 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है। इस तरह मिलों को हरेक क्विंटल चीनी पर 800 से 850 रुपये का घाटा हो रहा है।
चालू पेराई सत्र (अक्टूबर 2014 से सितंबर 2015) के दौरान देश में चीनी का कुल उत्पादन 2.83 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जबकि खपत 2.25 से 2.30 करोड़ टन ही रहने के आसार हैं। इस सीजन में गन्ने का रकबा अधिक रहा है, इसलिए अगले पेराई सत्र में भी चीनी का उत्पादन बहुत ज्यादा रहने का अनुमान है। हाल में केयर रेटिंग्स की ओर से जारी रिपोर्ट में लिखा है, 'देसी एवं अंतरराष्टï्रीय बाजार में भारी मात्रा में अधिशेष होने के कारण चीनी का भाव कमजोर ही रहने की आशंका है। उद्योग को बचाने के लिए अनिवार्य बफर स्टॉक विकसित करना होगा, अधिक निर्यात सब्सिडी देकर उसे आसान बनाना होगा, चीनी उत्पादकों के ऋण का पुनर्गठन करना होगा और सबसे बड़ी बात यह है कि रंगराजन समिति की सिफारिशों को लागू करना होगा।' यह लगातार चौथा साल है, जब देश में चीनी का उत्पादन इसकी खपत से अधिक रहा है।
महाराष्टï्र स्टेट फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज के प्रबंध निदेशक संजीव बब्बर कहते हैं, 'बैंक चीनी के भंडार का मूल्यांकन 1,990 रुपये प्रति क्विंटल कर रहे हैं। इसमें 20 फीसदी मार्जिन को भी ध्यान में रखा जाए तो चीनी भंडार का वास्तविक मूल्यांकन 1,400 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल आएगा। इसलिए देश भर की चीनी मिलें मुश्किल में हैं।' (BS Hindi)
नवी मुंबई में वाशी कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) में चीनी एम-30 का भाव 2,431 रुपये प्रति क्विंटल ही रह गया। इस साल इसका भाव 16 फीसदी टूट चुका है। पिछले साल अक्टूबर से अभी तक इसमें 23 फीसदी गिरावट आ चुकी है। पिछले साल अक्टूबर (पेराई सत्र की शुरुआत) से लेकर अभी तक चीनी का एक्स-फैक्टरी भाव करीब 20 फीसदी टूट चुका है। इससे पहले चीनी के भाव जून 2009 में इतने कम थे।
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'बाजार का माहौल यही बता रहा है कि देश में चीनी का बहुत अधिशेष है और अगले सीजन में भी उत्पादन अधिक ही रहेगा। उसके अलावा अधिशेष चीनी को निकालने में वैश्विक बाजार भी भारत की मददद नहीं करेंगे। इसलिए अधिशेष चीनी यहीं रहेगी। इसी कारण भाव नीचे आ रहे हैं।' देश भर में चीनी की औसत उत्पादन लागत 3,100 रुपये प्रति क्विंटल है। उत्तर प्रदेश में चीनी की उत्पादन लागत 3,300 रुपये प्रति क्विंटल है और महाराष्टï्र में 2,900 रुपये प्रति क्विंटल। फिलहाल औसत एक्स-फैक्टरी प्राप्ति 2,250 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है। इस तरह मिलों को हरेक क्विंटल चीनी पर 800 से 850 रुपये का घाटा हो रहा है।
चालू पेराई सत्र (अक्टूबर 2014 से सितंबर 2015) के दौरान देश में चीनी का कुल उत्पादन 2.83 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जबकि खपत 2.25 से 2.30 करोड़ टन ही रहने के आसार हैं। इस सीजन में गन्ने का रकबा अधिक रहा है, इसलिए अगले पेराई सत्र में भी चीनी का उत्पादन बहुत ज्यादा रहने का अनुमान है। हाल में केयर रेटिंग्स की ओर से जारी रिपोर्ट में लिखा है, 'देसी एवं अंतरराष्टï्रीय बाजार में भारी मात्रा में अधिशेष होने के कारण चीनी का भाव कमजोर ही रहने की आशंका है। उद्योग को बचाने के लिए अनिवार्य बफर स्टॉक विकसित करना होगा, अधिक निर्यात सब्सिडी देकर उसे आसान बनाना होगा, चीनी उत्पादकों के ऋण का पुनर्गठन करना होगा और सबसे बड़ी बात यह है कि रंगराजन समिति की सिफारिशों को लागू करना होगा।' यह लगातार चौथा साल है, जब देश में चीनी का उत्पादन इसकी खपत से अधिक रहा है।
महाराष्टï्र स्टेट फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज के प्रबंध निदेशक संजीव बब्बर कहते हैं, 'बैंक चीनी के भंडार का मूल्यांकन 1,990 रुपये प्रति क्विंटल कर रहे हैं। इसमें 20 फीसदी मार्जिन को भी ध्यान में रखा जाए तो चीनी भंडार का वास्तविक मूल्यांकन 1,400 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल आएगा। इसलिए देश भर की चीनी मिलें मुश्किल में हैं।' (BS Hindi)
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