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30 जून 2015

चालू वित वर्ष के पहले महीने में दलहन आयात 32 फीसदी बढ़ा


आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले महीने अप्रैल में दलहन आयात में भारी बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान दलहन के आयात में 32 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 2.61 लाख टन का हुआ है। आयात में बढ़ोतरी के साथ ही राजस्थान सरकार दालों पर आवष्यक वस्तु अधिनियम के तहत स्टॉक सीमा लगाने के कारण पिछले आठ-दस दिनों में दलहन की कीमतों में गिरावट आई है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अप्रैल 2015 में देष में दालों का आयात बढ़कर 2.61 लाख टन का हो गया जबकि पिछले साल अप्रैल महीने में 1.97 लाख टन दालों का आयात हुआ था। उन्होंने बताया कि मानसूनी बारिष कम होने के कारण फसल सीजन 2014-15 में दलहन की घरेलू पैदावार में कमी आई थी जिसकी वजह से उत्पादक मंडियों में दालों के भाव में तेजी आई थी। यही कारण है कि अप्रैल महीने में दलहन के आयात में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि वित वर्ष 2014-15 में देष में रिकार्ड 45.8 लाख टन दालों का आयात हुआ था जबकि वित वर्ष 2013-14 में 31.7 लाख टन दालों का आयात हुआ था।
दलहन आयातक फर्म के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मंगलवार को आस्ट्रेलियाई चने के भाव मुंबई में 4,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए जबकि मयंमार से आयातित उड़द के भाव 7,600 रुपये तथा लेमन अरहर के भाव 7,050 रुपये प्रति क्विंटल रहे। केनेडियन मसूर के भाव मुंबई पहुंच 6,200 से 6,350 रुपये प्रति क्विंटल रहे। कनाडा की पीली मटर के भाव 2,521 रुपये और हरी मटर के भाव 2,750 से 2,850 रुपये प्रति क्विंटल रहे। रुस से आयातित काबुली के भाव 4,000 से 4,250 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
दलहन कारोबारी दुर्गा प्रसाद ने बताया कि दिल्ली में चना के भाव 4,325 रुपये, मूंग के भाव 6,400 रुपये, मोठ के भाव 6,600 रुपये, उड़द के 7,800 रुपये, अरहर के भाव 6,900 रुपये और मसूर के भाव 6,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। काबूली के भाव दिल्ली में 4,800 से 5,000 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि आयात में हुई बढ़ोतरी के साथ ही राजस्थान में दलहन पर स्टॉक सीमा लगा देने से दालों की कीमतों में गिरावट आई है।
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2014-15 में देष में दलहन का उत्पादन घटकर 173.8 लाख टन होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2013-14 में देष में रिकार्ड 192.5 लाख टन का उत्पादन हुआ था।.....आर एस राणा

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