देश के करीब 80 फीसदी कृषि रकबे में अच्छी बारिश हुई है, जिससे इस खरीफ
सीजन में कृषि जिंसों का उत्पादन बढऩे की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग
(आईएमडी) ने कहा है कि हालांकि अलनीनो के सक्रिय होने की स्थिति में खरीफ
उत्पादन प्रभावित हो सकता है। कृषि का देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)
में 13.9 फीसदी योगदान है और यह क्षेत्र करीब 60 फीसदी आबादी को रोजगार
मुहैया कराता है। मॉनसून की बारिश की अहमियत इस तथ्य से समझी जा सकती है कि
देश का 64 फीसदी कृषि क्षेत्र असिंचित है। कृषि भूमि के शेष 36 फीसदी
हिस्से में से भी ज्यादातर बांधों, तालाबों से यांत्रिक सिंचाई या मॉनसून
की बारिश से होती है। मॉनसून की बारिश पर न केवल खरीफ की फसलें बल्कि रबी
की फसलें भी निर्भर होती हैं। मॉनसून सीजन में अच्छी बारिश से मिट्टी में
नमी बनी रहती है, जो रबी फसलों की बुआई में मददगार होती है।
एडलवाइस इंटीग्रेटेड कमोडिटी मैनेजमेंट के एक अध्ययन में कहा गया है, 'सामान्य बारिश होने पर दलहन, सोयाबीन, मक्का और मूंगफली का अच्छा उत्पादन हो सकता है। इन सभी कृषि जिंसों के दाम पिछले कुछ वर्षों के दौरान अच्छे रहे हैं, जिससे किसान ज्यादा रकबे में ये फसलें बोने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इसके विपरीत इस साल धान, बाजरा और अरंडी के रकबे में कमी के आसार हैं। इस सीजन में अन्य प्रतिस्पर्धी फसलों से अच्छी आमदनी के चलते बाजरे और अन्य फसलों की जगह दूसरी फसलों की बुआई होगी। पिछले साल अरंडी के दाम कम रहने से इस साल रकबे में गिरावट आ सकती है। हमें उम्मीद है कि इस साल मॉनसून सामान्य रहेगा और कृषि उपजों की कीमतें नरम पड़ेंगी।' भारतीय मौसम विभाग ने आशंका जताई है कि अलनीनो की वजह से जून से अगस्त के दौरान फसलों में अंकुरण के समय बारिश सामान्य से कम रह सकती है। इससे बुआई में बढ़ोतरी के बावजूद कुल उत्पादन घट सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, 'सामान्य से कम मॉनसून की स्थिति में कपास, गन्ने और उड़द के रकबे में बढ़ोतरी हो सकती है। कपास की बुआई की अवधि लंबी होती है, जबकि गन्ने की बारिश पर मामूली निर्भरता होती है और कम बारिश में उदड़ की उत्पादकता बढ़ेगी। हालांकि धान, मक्के, मूंगफली, ग्वार, अरंडी, तुअर, मूंग और बाजरे के रकबे में कमी आएगी।' वर्ष 2002-03, 2006-07 और 2009-10 में अलनीनो सक्रिय रहा था और इन वर्षों में कुछ को छोड़कर लगभग सभी खरीफ फसलों का उत्पादन प्रभावित हुआ था।
कुंवरजी कमोडिटीज के निदेशक जगदीप गे्रवाल ने कहा, 'इस सीजन की बारिश 50 फीसदी कृषि क्षेत्र कवर कर चुकी है और यह सामान्य से ऊपर रही है। इस कारण और कीमतें अच्छी होने से दालों का रकबा ज्यादा रह सकता है। हालांकि कपास और गन्ने की बुआई सिंचित क्षेत्र में होती है, लेकिन पिछले साल कम कीमतों से किसान बुआई को लेकर हतोत्साहित हुए हैं। मॉनसून सामान्य रहने की स्थिति में खरीफ सीजन के मोटे अनाज का उत्पादन 8 से 15 फीसदी और तिलहनों का उत्पादन 15 से 20 फीसदी बढ़ सकता है। इसके विपरीत अलनीनो की स्थिति में मोटे अनाज और तिलहन का उत्पादन क्रमश: 5-10 और 10 फीसदी से ज्यादा घट सकता है।' (BS Hindi)
एडलवाइस इंटीग्रेटेड कमोडिटी मैनेजमेंट के एक अध्ययन में कहा गया है, 'सामान्य बारिश होने पर दलहन, सोयाबीन, मक्का और मूंगफली का अच्छा उत्पादन हो सकता है। इन सभी कृषि जिंसों के दाम पिछले कुछ वर्षों के दौरान अच्छे रहे हैं, जिससे किसान ज्यादा रकबे में ये फसलें बोने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इसके विपरीत इस साल धान, बाजरा और अरंडी के रकबे में कमी के आसार हैं। इस सीजन में अन्य प्रतिस्पर्धी फसलों से अच्छी आमदनी के चलते बाजरे और अन्य फसलों की जगह दूसरी फसलों की बुआई होगी। पिछले साल अरंडी के दाम कम रहने से इस साल रकबे में गिरावट आ सकती है। हमें उम्मीद है कि इस साल मॉनसून सामान्य रहेगा और कृषि उपजों की कीमतें नरम पड़ेंगी।' भारतीय मौसम विभाग ने आशंका जताई है कि अलनीनो की वजह से जून से अगस्त के दौरान फसलों में अंकुरण के समय बारिश सामान्य से कम रह सकती है। इससे बुआई में बढ़ोतरी के बावजूद कुल उत्पादन घट सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, 'सामान्य से कम मॉनसून की स्थिति में कपास, गन्ने और उड़द के रकबे में बढ़ोतरी हो सकती है। कपास की बुआई की अवधि लंबी होती है, जबकि गन्ने की बारिश पर मामूली निर्भरता होती है और कम बारिश में उदड़ की उत्पादकता बढ़ेगी। हालांकि धान, मक्के, मूंगफली, ग्वार, अरंडी, तुअर, मूंग और बाजरे के रकबे में कमी आएगी।' वर्ष 2002-03, 2006-07 और 2009-10 में अलनीनो सक्रिय रहा था और इन वर्षों में कुछ को छोड़कर लगभग सभी खरीफ फसलों का उत्पादन प्रभावित हुआ था।
कुंवरजी कमोडिटीज के निदेशक जगदीप गे्रवाल ने कहा, 'इस सीजन की बारिश 50 फीसदी कृषि क्षेत्र कवर कर चुकी है और यह सामान्य से ऊपर रही है। इस कारण और कीमतें अच्छी होने से दालों का रकबा ज्यादा रह सकता है। हालांकि कपास और गन्ने की बुआई सिंचित क्षेत्र में होती है, लेकिन पिछले साल कम कीमतों से किसान बुआई को लेकर हतोत्साहित हुए हैं। मॉनसून सामान्य रहने की स्थिति में खरीफ सीजन के मोटे अनाज का उत्पादन 8 से 15 फीसदी और तिलहनों का उत्पादन 15 से 20 फीसदी बढ़ सकता है। इसके विपरीत अलनीनो की स्थिति में मोटे अनाज और तिलहन का उत्पादन क्रमश: 5-10 और 10 फीसदी से ज्यादा घट सकता है।' (BS Hindi)
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