इस सप्ताह भारत में सोने की मांग कम रही। इसकी वजह यह है कि कमजोर मॉनसून
की आशंका से किसानों ने सोने की खरीद पर खर्च घटाया है, जिनका सराफे की
मांग में अहम योगदान होता है। कारोबारियों ने कहा कि भारत में कीमतें
वैश्विक बेंचमार्क की तुलना में करीब 1 डॉलर प्रति औंस कम हैं। भारत में
सोने की करीब दो-तिहाई मांग ग्रामीण इलाकों से आती है, जहां करोड़ों लोगों
के लिए यह संपत्ति जमा करने का परंपरागत तरीका है। इसकी वजह यह है कि
ग्रामीण इलाकों में लोगों की औपचारिक बैंकिंग प्रणाली तक पहुंच नहीं है।
देश के पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र की एक ज्वैलर मंगेश देवी ने कहा, 'पिछले
महीने की तुलना में मांग काफी कम है।' उनके ज्यादातर ग्राहक गन्ना किसान और
सब्जी उत्पादक हैं।
देवी ने कहा, 'किसान बीज एवं उर्वरकों की खरीद को तरजीह दे रहे हैं। किसानों के पास सोना खरीदने के लिए अतिरिक्त पैसा नहीं है, क्योंकि पिछले साल सूखे से उनकी आमदनी प्रभावित हुई है।' आमतौर पर भारतीय किसान गर्मियों में उगाई जाने वाली फसलों की बुआई जून में मॉनसून की बारिश आने के साथ शुरू करते हैं। भारतीय मौसम विभाग ने इस बार औसत से कम बारिश का पूर्वानुमान जताया है। इससे सरकार लगातार दूसरे साल सूखे की आशंका को लेकर चिंतित हैं। अगर सूखा पड़ा तो करीब तीन दशकों में ऐसा पहली बार होगा, जब लगातार दूसरे साल सूखा पड़ेगा। देश में कृषि के लिए जून से सितंबर तक होने वाली मॉनसून की बारिश अहम है, क्योंकि सिंचाई की सुविधा कम है। मुंबई के एक बैंक डीलर ने कहा, 'अगर कीमतें 26,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे नहीं आईं तो अगले कुछ सप्ताहों के दौरान मांग कम रहेगी।'
भारत में मांग घटने से सोने की वैश्विक कीमतों पर भी दबाव आ सकता है। वर्ष 2014 में भारत में सोने की खपत सबसे ज्यादा रही और इस साल की पहली तिमाही में चीन के बाद दूसरी सबसे ज्यादा खपत भारत में हुई है। सोने की कीमतों में आगे गिरावट आने की संभावना और चीन में शेयर बाजार के अच्छे प्रदर्शन से एशिया के अन्य देशों में भी सोने की मांग कमजोर बनी हुई है। (BS Hindi)
देवी ने कहा, 'किसान बीज एवं उर्वरकों की खरीद को तरजीह दे रहे हैं। किसानों के पास सोना खरीदने के लिए अतिरिक्त पैसा नहीं है, क्योंकि पिछले साल सूखे से उनकी आमदनी प्रभावित हुई है।' आमतौर पर भारतीय किसान गर्मियों में उगाई जाने वाली फसलों की बुआई जून में मॉनसून की बारिश आने के साथ शुरू करते हैं। भारतीय मौसम विभाग ने इस बार औसत से कम बारिश का पूर्वानुमान जताया है। इससे सरकार लगातार दूसरे साल सूखे की आशंका को लेकर चिंतित हैं। अगर सूखा पड़ा तो करीब तीन दशकों में ऐसा पहली बार होगा, जब लगातार दूसरे साल सूखा पड़ेगा। देश में कृषि के लिए जून से सितंबर तक होने वाली मॉनसून की बारिश अहम है, क्योंकि सिंचाई की सुविधा कम है। मुंबई के एक बैंक डीलर ने कहा, 'अगर कीमतें 26,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे नहीं आईं तो अगले कुछ सप्ताहों के दौरान मांग कम रहेगी।'
भारत में मांग घटने से सोने की वैश्विक कीमतों पर भी दबाव आ सकता है। वर्ष 2014 में भारत में सोने की खपत सबसे ज्यादा रही और इस साल की पहली तिमाही में चीन के बाद दूसरी सबसे ज्यादा खपत भारत में हुई है। सोने की कीमतों में आगे गिरावट आने की संभावना और चीन में शेयर बाजार के अच्छे प्रदर्शन से एशिया के अन्य देशों में भी सोने की मांग कमजोर बनी हुई है। (BS Hindi)
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