आमतौर पर हर साल बरसात के दौरान प्याज के दाम तेजी से बढ़ते हैं। इस उम्मीद
में किसानों और स्टॉकिस्टों ने मंडियों में प्याज की आवक घटा दी है। जिससे
प्याज महंगा होने लगा है। इस भंडारण वाले प्याज की गुणवत्ता खराब होने से
इसे लंबे समय तक भंडारगृहों में रखा नहीं जा सकता है। मॉनसून भी कमजोर रहने
का अनुमान है। ऐसे में अगस्त-सितंबर के दौरान भी प्याज महंगा बिक सकता है।
साल 2013 में खुदरा बाजार में प्याज 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिका
था।
हालांकि जानकारों के मुताबिक इस साल ऐसा होने की संभावना नहीं है। इस माह महाराष्ट्र की पिंपलगांव मंडी में प्याज की मॉडल कीमत करीब 1,200 रुपये से बढ़ कर 1,600 रुपये, दिल्ली में 1,400 रुपये से बढ़कर 1,650 रुपये, पटना में 1,650 रुपये से बढ़कर 2,100 रुपये और इंदौर में कीमत 1,250 रुपये से बढ़कर 1,375 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठïान (एनएचआरडीएफ) के निदेशक आर पी गुप्ता ने बताया कि जून महीने से सामान्य तौर पर प्याज के दाम बढ़ते हैं। क्योंकि इस समय भंडारण वाला प्याज बाजार में आता है। जिसकी लागत ज्यादा होती है। गुप्ता ने कहा कि बीते कुछ दिनों से बारिश की शुरुआत हो चुकी है। जिससे प्याज की नर्सरी के लिए बुआई आरंभ हो चुकी है। आगे कीमतों के बारे मे गुप्ता ने कहा फिलहाल चिंता की बात नहीं है। लेकिन इस बार फरवरी में बेमौसम बारिश से खराब गुणवत्ता वाला प्याज ज्यादा है जिसे लंबे समय तक भंडारगृहों में नहीं रखा जा सकता। ऐसे में अगर बरसात में नुकसान ज्यादा हुआ तो नई फसल आने से पहले समस्या हो सकती है।
दिल्ली के प्याज कारोबारी पी एम शर्मा ने कहा कि महाराष्ट्र में दाम बढऩे से दिल्ली में भी प्याज महंगा हो रहा है। आगे भी कीमतों में तेजी जारी रह सकती है। महाराष्ट्र की पिंपलगांव कृषि उपज विपणन समिति के निदेशक अतुल शाह कहते हैं कि किसानों को लग रहा है कि बेमौसम बारिश से फसल खराब होने के कारण आगे दाम बढ़ सकते हैं। इसलिए वे नियंत्रित मात्रा में प्याज बेच रहे हैं। बीते कुछ दिनों के दौरान लासलगांव मंडी में आवक 1,600 टन से घटकर 1,400 टन रह गई है। निर्यात बढऩे से भी प्याज महंगा होने को सहारा मिल रहा है। इस वित्त अप्रैल-मई में बीती समान अवधि से 25 फीसदी ज्यादा निर्यात हुआ है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड ने वर्ष 2014-15 में 1.94 करोड़ टन प्याज पैदा होने का अनुमान लगाया है। लेकिन कारोबारी बेमौसम बारिश से 15-20 फीसदी उत्पादन घटना बता रहे हैं।
प्याज महंगा होने की एक वजह यह भी हो सकती है कि पहली बार वित्त मंत्रालय ने स्मॉल फार्मर्स एग्रीकल्चर कंसोर्टियम (एसएफएसी) और नेफेड को प्याज का बफर स्टॉक करने का आदेश दिया है। एसएफएसी के प्रबंध निदेशक प्रवेश शर्मा ने कहा कि इस 10,000 टन के लक्ष्य में से नासिक और इंदौर जिलों की मंडियों से 2,200 टन प्याज खरीदा जा चुका है। नेफेड महा प्रबंधक एस के वर्मा ने कहा कि 1,700 टन प्याज खरीद लिया गया है,जबकि लक्ष्य 2,500 टन था। दिल्ली सरकार के निर्देश पर इसे राजधानी के बाजार में उतार जाएगा। BS Hindi
हालांकि जानकारों के मुताबिक इस साल ऐसा होने की संभावना नहीं है। इस माह महाराष्ट्र की पिंपलगांव मंडी में प्याज की मॉडल कीमत करीब 1,200 रुपये से बढ़ कर 1,600 रुपये, दिल्ली में 1,400 रुपये से बढ़कर 1,650 रुपये, पटना में 1,650 रुपये से बढ़कर 2,100 रुपये और इंदौर में कीमत 1,250 रुपये से बढ़कर 1,375 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठïान (एनएचआरडीएफ) के निदेशक आर पी गुप्ता ने बताया कि जून महीने से सामान्य तौर पर प्याज के दाम बढ़ते हैं। क्योंकि इस समय भंडारण वाला प्याज बाजार में आता है। जिसकी लागत ज्यादा होती है। गुप्ता ने कहा कि बीते कुछ दिनों से बारिश की शुरुआत हो चुकी है। जिससे प्याज की नर्सरी के लिए बुआई आरंभ हो चुकी है। आगे कीमतों के बारे मे गुप्ता ने कहा फिलहाल चिंता की बात नहीं है। लेकिन इस बार फरवरी में बेमौसम बारिश से खराब गुणवत्ता वाला प्याज ज्यादा है जिसे लंबे समय तक भंडारगृहों में नहीं रखा जा सकता। ऐसे में अगर बरसात में नुकसान ज्यादा हुआ तो नई फसल आने से पहले समस्या हो सकती है।
दिल्ली के प्याज कारोबारी पी एम शर्मा ने कहा कि महाराष्ट्र में दाम बढऩे से दिल्ली में भी प्याज महंगा हो रहा है। आगे भी कीमतों में तेजी जारी रह सकती है। महाराष्ट्र की पिंपलगांव कृषि उपज विपणन समिति के निदेशक अतुल शाह कहते हैं कि किसानों को लग रहा है कि बेमौसम बारिश से फसल खराब होने के कारण आगे दाम बढ़ सकते हैं। इसलिए वे नियंत्रित मात्रा में प्याज बेच रहे हैं। बीते कुछ दिनों के दौरान लासलगांव मंडी में आवक 1,600 टन से घटकर 1,400 टन रह गई है। निर्यात बढऩे से भी प्याज महंगा होने को सहारा मिल रहा है। इस वित्त अप्रैल-मई में बीती समान अवधि से 25 फीसदी ज्यादा निर्यात हुआ है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड ने वर्ष 2014-15 में 1.94 करोड़ टन प्याज पैदा होने का अनुमान लगाया है। लेकिन कारोबारी बेमौसम बारिश से 15-20 फीसदी उत्पादन घटना बता रहे हैं।
प्याज महंगा होने की एक वजह यह भी हो सकती है कि पहली बार वित्त मंत्रालय ने स्मॉल फार्मर्स एग्रीकल्चर कंसोर्टियम (एसएफएसी) और नेफेड को प्याज का बफर स्टॉक करने का आदेश दिया है। एसएफएसी के प्रबंध निदेशक प्रवेश शर्मा ने कहा कि इस 10,000 टन के लक्ष्य में से नासिक और इंदौर जिलों की मंडियों से 2,200 टन प्याज खरीदा जा चुका है। नेफेड महा प्रबंधक एस के वर्मा ने कहा कि 1,700 टन प्याज खरीद लिया गया है,जबकि लक्ष्य 2,500 टन था। दिल्ली सरकार के निर्देश पर इसे राजधानी के बाजार में उतार जाएगा। BS Hindi
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