05 अगस्त 2013
हम फीडबैक का इंतजार कर रहे हैं'
एनएसईएल से जुड़े संकट ने कई बाजार कारोबारियों में यह चिंता पैदा कर दी है कि क्या एक्सचेंज पूरी तरह से निपटान में सक्षम होगा? वायदा बाजार आयोग के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने विभिन्न मुद्दों पर राजेश भयानी के साथ विस्तार से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
एनएसईएल संकट कितना गंभीर है?
यदि एनएसईएल निपटान पूरा करता है और कारोबारियों को उनकी रकम या जिंस मिलती है तो यह फायदेमंद हो सकता है। कल एनएसईएल के प्रबंध निदेशक को इस बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए बुलाया गया था और उन्होंने हमें बताया कि स्टॉक की वैल्यू लगभग 6200 करोड़ रुपये है जबकि उनके लिए भुगतान की देयता 5400 करोड़ रुपये है और उनके पास 800 करोड़ रुपये का सेटलमेंट गारंटी फंड है।
क्या इसका निपटारा पहले नहीं हो सकता था?
पिछले साल उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने अधिसूचित किया था कि एफसीआरए की धारा 27 के तहत तीन स्पॉट एक्सचेंजों को दी जाने वाली छूट कि तहत सभी सौदे एफएमसी को भेजे जाने चाहिए। परिणामस्वरूप हमने पाया कि शॉर्ट सेलिंग जैसे उल्लंघन हुए, क्योंकि एक्सचेंज में यह पता लगाने की व्यवस्था नहीं थी कि विक्रेता के पास बिकवाली से पहले कमोडिटी थी या नहीं। इसके आधार पर हमने मंत्रालय से कार्रवाई किए जाने को कहा।
स्पॉट एक्सचेंजों को कौन नियंत्रित करता है?
जैसा कि हम कई बार स्पष्टï कर चुके हैं कि स्पॉट एक्सचेंजों के संदर्भ में नियामक का अभाव है। तीन स्पॉट एक्सचेंजों को एक दिन के अनुबंधों में फॉर्वर्ड ट्रेडिंग किए जाने के लिए एफसीआरए की धारा 27 के तहत सरकार द्वारा छूट हासिल है। कारोबार बढ़ाए जाने के लिए ऐसा किया गया है ताकि इनकी आर्थिक व्यवहार्यता में सुधार आए। हालांकि इससे कई शर्तें भी जुड़ी हुई हैं, जैसे वे शॉर्ट सेलिंग नहीं कर सकते आदि।
क्या आप एनएसईएल द्वारा अनुबंधों में ट्रेडिंग समाप्त किए जाने की उम्मीद कर रहे हैं?
इसका जिंस वायदा एक्सचेंजों पर प्रभाव नहीं पड़ा है, क्योंकि वायदा एक्सचेंज अच्छी तरह से विनियमित हैं। अन्य प्रभावों के बारे में मैं सिर्फ यही कह सकता हूं कि एफएमसी और सेबी एक-दूसरे के संपर्क में हैं।
बाजार में किस तरह की चिंता है?
एक नए सरकारी ऑर्डर ने बाजार में अनिश्चितता पैदा कर दी है और यही वजह है कि ट्रेडिंग में दिलचस्पी घटी है। इसलिए हमने कहा है कि एक्सचेंज द्वारा अपने अनुबंधों को निपटाने के लिए जिम्मेदारी एक्सचेंज पर लगातार व्यापार पर निर्भर नहीं हो सकती, क्योंकि इससे कई अन्य जटिलताएं भी जुड़ी हैं।
क्या डिफॉल्ट सीरीज की आशंका है?
इस संदर्भ में मैं नहीं मानता कि हमें इस तरह की आशंका से सामना करना पड़ रहा है। एनएसईएल इसे लेकर बेहद विश्वस्त है कि वह अपने सभी खुले अनुबंधों की जिम्मेदारी निभाने में सक्षम होगा और हमें सभी विस्तृत जानकारी मुहैया कराएगा। इसलिए हम जानकारी का विश्लेषण करेंगे और इसी के हिसाब से उपभोक्ता मामलों के विभाग को सलाह देंगे। मौजूदा समय में हम विस्तृत फीडबैक का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने हमें बताया है कि 23 संस्थाएं हैं जो एक्सचेंज को भुगतान करेंगी। एनएसईएल के प्रबंध निदेशक ने हमें बताया है कि 15 जुलाई के बाद उन्होंने बाजार कारोबारियों को 1200 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
किसी तरह के डिफॉल्ट की स्थिति में सरकार के सामने क्या विकल्प हैं?
मैं सिर्फ यही कह सकता हूं कि यदि निपटान को पूरा किए जाने में एक्सचेंज द्वारा या कारोबारियों द्वारा डिफॉल्ट की स्थिति पैदा की गई है तो संबद्घ कानूनी प्रवर्तन एजेंसियां इस दिशा में जरूरी कार्रवाई करेंगी। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें