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29 मई 2012

सरसों के बुवाई आंकड़ों में हेरफेर

आर.एस. राणा नई दिल्ली
कृषि मंत्रालय की घोषणा
20 जनवरी 2011-12 में सरसों की बुवाई 65.30 लाख हेक्टेयर में हुई जो पिछले साल की समान अवधि में 71.11 लाख हेक्टेयर थी
27 जनवरी सरसों की बुवाई वर्ष 2011-12 के दौरान 65.41 लाख हेक्टेयर में हुई, जो पिछले साल की समान अवधि में 73.06 लाख हेक्टेयर थी
3 फरवरी 2011-12 में सरसों की बुवाई 65.77 लाख हेक्टेयर में हुई, जो पिछले साल की समान अवधि में 70.89 लाख हेक्टेयर थी

ऐसा नहीं कि सिर्फ आईआईपी और निर्यात के आंकड़े जारी करने में गड़बड़ी होती हो, कृषि उत्पादों के मामलों में भी कई बार ऐसा देखने को मिला है। रबी में सरसों के बुवाई आंकड़ों में हेरफेर की बात सामने आई थी। कृषि मंत्रालय द्वारा 27 जनवरी को जारी आंकड़ों के आधार पर रबी 2010-11 में सरसों की बुवाई 73.06 लाख हेक्टेयर में हुई थी लेकिन मंत्रालय ने 3 फरवरी को जारी आंकड़ों में इसे घटाकर 70.89 लाख हेक्टेयर कर दिया। ऐसे में सरसों की बुवाई में कमी का अंतर पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 7.64 से घटकर 5.12 लाख हेक्टेयर रह गया।


कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फसलों की बुवाई के आंकड़े राज्यों के कृषि विभागों से प्राप्त होते हैं तथा मंत्रालय में उन्हें केवल सूचीबद्ध करके पेश किया जाता है।

ऐसे में आंकड़ों की गणना में चूक राज्य के कृषि विभाग से हुई है। कृषि मंत्रालय द्वारा 20 जनवरी को जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2011-12 में सरसों की बुवाई 65.30 लाख हेक्टेयर में हुई थी जो पिछले साल की समान अवधि के 71.11 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 5.81 लाख हेक्टेयर में कम थी। राजस्थान में इस दौरान सरसों की बुवाई पिछले साल की समान अवधि के 32.10 लाख हेक्टेयर से घटकर 26.41 लाख हेक्टेयर में हुई।

इसके बाद मंत्रालय ने 27 जनवरी को जारी आंकड़ों में कहा कि सरसों की बुवाई वर्ष 2011-12 के दौरान 65.41 लाख हेक्टेयर में हुई जबकि पिछले साल की समान अवधि में बुवाई 73.06 लाख हेक्टेयर में हुई थी। ऐसे में बुवाई का अंतर बढ़कर 7.64 लाख हेक्टेयर का हो गया। राजस्थान में इस दौरान बुवाई पिछले साल के 32.45 लाख हेक्टेयर की तुलना में 26.41 लाख हेक्टेयर में हुई।

यहां तक तो सब कुछ ठीक था लेकिन खेल इसके बाद शुरू हुआ। तीन फरवरी को मंत्रालय द्वारा जारी आकड़ों के मुताबिक वर्ष 2011-12 में बुवाई 65.77 लाख हेक्टेयर में दिखाई गई लेकिन पिछले साल के आंकड़ों में हेरफेर कर दिया। पिछले साल के आंकड़े 73.06 से घटाकर 70.89 लाख हेक्टेयर कर दिए।

ऐसे में आगे आंकड़ों में बढ़ोतरी न हो यह बात तो समझ में आती है लेकिन जनवरी के मुकाबले फरवरी में बुवाई आंकड़े कम हो जाये। ऐसा खेल तो कृषि मंत्रालय में ही हो सकता है। मंत्रालय साप्ताहिक आधार पर हर शुक्रवार को फसलों के बुवाई आंकड़े जारी करता है। (Business Bhaskar...............R S Rana)

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