आर. एस. राणा नई दिल्ली
सरकार ने बिस्किट, नमकीन, चिप्स और अन्य खाद्य पदार्थ बनाने वाली कंपनियों को राहत देने के लिए दस रुपये मूल्य के खाद्य पदार्थ के पैकेट को स्टैंडर्ड पैकिंग सिस्टम से बाहर रखने का फैसला किया है। इसके साथ ही दस ग्राम से कम वजन वाले पैकेट पर भी स्टैंडर्ड पैकिंग सिस्टम लागू नहीं होगा। सरकार एक जुलाई 2012 से खाद्य पदार्थों की पैकिंग के लिए स्टैंडर्ड पैकिंग सिस्टम लागू करने जा रही है।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय (भारत सरकार) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दस ग्राम से ज्यादा वजन वाले पैकेट और दस रुपये से ज्यादा कीमत वाले पैकेट इसके दायरे में आयेंगे। उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने खाद्य पदार्थों की पैकिंग के लिए स्टैंडर्ड सिस्टम लागू करनी की योजना बनाई है। खाद्य पदार्थों की पैकिंग के लिए वस्तु की मात्रा तय नहीं होने के कारण कंपनियां कितने भी भार में पैकिंग कर देती है। ऐसे में कभी-कभी कंपनियां पैकेट की कीमत तो बराबर रखती है लेकिन पैकेट के अंदर रखे पदार्थ की मात्रा में कमी कर देती है। जिसका कई बार उपभोक्ताओं को पता ही नहीं चल पाता।
उन्होंने बताया कि स्टैंडर्ड पैकिंग सिस्टम लागू होने के बाद कंपनियां 18, 39, 49 या फिर 59 ग्राम में खाद्य पदार्थों की पैकिंग नहीं कर सकेंगी। कंपनियों को खाद्य पदार्थों की पैकिंग सीधे तौर पर जैसे 10 ग्राम, 20 ग्राम, 60 ग्राम या फिर 90 ग्राम के आधार पर ही करनी होगी। कंपनियों को पैकेजिंग मेटिरियल और पुराने स्टॉक को समाप्त करने के लिए 30 जून 2012 तक का समय दिया हुआ है। ऐसे में एक जुलाई 2012 से देशभर में खाद्य पदार्थों की पैकिंग के लिए स्टैंडर्ड सिस्टम लागू करने की योजना है। नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के खिलाफ दंड और सजा का प्रावधान होगा।
उन्होंने बताया कि डिब्बाबंद वस्तु अधिनियम के प्रावधानों और माप-तौल मानक (पैकेज्ड वस्तु) नियम, 1977 देशभर में सितंबर 1977 से लागू हैं। तथा 17 जुलाई 2006 को अधिसूचना और नियमों की समीक्षा की गई तथा उपभोक्ताओं के हितों के लिए नए प्रावधान लागू किए गए। जिसके आधार पर वैट के अंतर्गत शामिल खुदरा विक्रेताओं को बेची गई चीजों की कीमत एवं भार की लिखित सूचना कंपनियों को पैकेट पर छापनी अनिवार्य है। साथ ही प्रत्येक पैकेट पर कंपनी का नाम, पता और टेलीफोन नंबर लिखना होगा ताकि उपभोक्ता अपनी शिकायतों की सूचना दे सकें। (Business Bhaskar....R S Rana)
सरकार ने बिस्किट, नमकीन, चिप्स और अन्य खाद्य पदार्थ बनाने वाली कंपनियों को राहत देने के लिए दस रुपये मूल्य के खाद्य पदार्थ के पैकेट को स्टैंडर्ड पैकिंग सिस्टम से बाहर रखने का फैसला किया है। इसके साथ ही दस ग्राम से कम वजन वाले पैकेट पर भी स्टैंडर्ड पैकिंग सिस्टम लागू नहीं होगा। सरकार एक जुलाई 2012 से खाद्य पदार्थों की पैकिंग के लिए स्टैंडर्ड पैकिंग सिस्टम लागू करने जा रही है।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय (भारत सरकार) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दस ग्राम से ज्यादा वजन वाले पैकेट और दस रुपये से ज्यादा कीमत वाले पैकेट इसके दायरे में आयेंगे। उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने खाद्य पदार्थों की पैकिंग के लिए स्टैंडर्ड सिस्टम लागू करनी की योजना बनाई है। खाद्य पदार्थों की पैकिंग के लिए वस्तु की मात्रा तय नहीं होने के कारण कंपनियां कितने भी भार में पैकिंग कर देती है। ऐसे में कभी-कभी कंपनियां पैकेट की कीमत तो बराबर रखती है लेकिन पैकेट के अंदर रखे पदार्थ की मात्रा में कमी कर देती है। जिसका कई बार उपभोक्ताओं को पता ही नहीं चल पाता।
उन्होंने बताया कि स्टैंडर्ड पैकिंग सिस्टम लागू होने के बाद कंपनियां 18, 39, 49 या फिर 59 ग्राम में खाद्य पदार्थों की पैकिंग नहीं कर सकेंगी। कंपनियों को खाद्य पदार्थों की पैकिंग सीधे तौर पर जैसे 10 ग्राम, 20 ग्राम, 60 ग्राम या फिर 90 ग्राम के आधार पर ही करनी होगी। कंपनियों को पैकेजिंग मेटिरियल और पुराने स्टॉक को समाप्त करने के लिए 30 जून 2012 तक का समय दिया हुआ है। ऐसे में एक जुलाई 2012 से देशभर में खाद्य पदार्थों की पैकिंग के लिए स्टैंडर्ड सिस्टम लागू करने की योजना है। नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के खिलाफ दंड और सजा का प्रावधान होगा।
उन्होंने बताया कि डिब्बाबंद वस्तु अधिनियम के प्रावधानों और माप-तौल मानक (पैकेज्ड वस्तु) नियम, 1977 देशभर में सितंबर 1977 से लागू हैं। तथा 17 जुलाई 2006 को अधिसूचना और नियमों की समीक्षा की गई तथा उपभोक्ताओं के हितों के लिए नए प्रावधान लागू किए गए। जिसके आधार पर वैट के अंतर्गत शामिल खुदरा विक्रेताओं को बेची गई चीजों की कीमत एवं भार की लिखित सूचना कंपनियों को पैकेट पर छापनी अनिवार्य है। साथ ही प्रत्येक पैकेट पर कंपनी का नाम, पता और टेलीफोन नंबर लिखना होगा ताकि उपभोक्ता अपनी शिकायतों की सूचना दे सकें। (Business Bhaskar....R S Rana)
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