नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) ने कारोबारियों को
राहत देते हुए कीमतों के लिहाज से संवेदनशील कुछ जिंसों के मामले में
डिलिवरी डिफॉल्ट (ग्राहक को माल मुहैया करा पाने में नाकाम) पर जुर्माने की
दर कम की है। एक्सचेंज का यह प्रावधान मई 2012 के निपटान अनुबंधों से लागू
होगा। सोमवार को जारी परिपत्र में एक्सचेंज ने स्पष्ट किया है कि चना,
काली मिर्च, सरसों की डिलिवरी डिफॉल्ट पर लगने वाले 3 फीसदी जुर्माने को कम
करके 1.5 फीसदी कर दिया गया है।
इसके अतिरिक्त एक्सचेंज अंतिम निपटान कीमत (एफएसपी) और अनुबंध के निपटान के अगले पांच दिनों की हाजिर कीमत के तीन दिनों के सर्वोच्च स्तर के औसत में यदि औसत कीमत एफएसपी से ज्यादा पाता है तो वह इस अंतर की रकम को भी वसूलेगा। इससे उलट स्थिति में एक्सचेंज कुछ नहीं लेगा। एक विश्लेषक ने कहा कि एक्सचेंज द्वारा डिलिवरी डिफॉल्ट पर जुर्माना कम करने से कारोबारी कीमतों के लिहाज से बेहद संवेदनशील इन जिंसों में अधिक डिफॉल्ट करने के लिए प्रेरित होंगे ताकि वे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा बना सकें। इस प्रकार जो 1.5 फीसदी का जुर्माना वसूला जाएगा उसे निवेशक संरक्षण कोष (आईपीएफ) में हस्तांतरित किया जाएगा। इसके कुछ हिस्से से खरीदार को होने वाले नुकसान की भरपाई की जाएगी और शेष एक्सचेंज के पास रहेगा। हर्जाने का 0.75 फीसदी हिस्सा आईपीएफ में हस्तांतरित किए जाने की योजना बनाई जा रही है जिसका 0.50 फीसदी हिस्सा खरीदार को माल न मिलने की सूरत में नुकसान के तौर पर दिया जाएगा। शेष 0.25 फीसदी राशि बतौर प्रशासनिक खर्च एक्सचेंज के पास रहेगी। डिलिवरी डिफॉल्ट पर जुर्माने में तीन साल बाद संशोधन किया गया। सितंबर 2008 में एक्सचेंज ने चना, काली मिर्च और आरएम सीड सहित सभी जिंसों के अनिवार्य निपटान अनुबंधों में डिलिवरी डिफॉल्ट की स्थिति में 3 फीसदी का जुर्माना तय किया था। (BS Hindi)
इसके अतिरिक्त एक्सचेंज अंतिम निपटान कीमत (एफएसपी) और अनुबंध के निपटान के अगले पांच दिनों की हाजिर कीमत के तीन दिनों के सर्वोच्च स्तर के औसत में यदि औसत कीमत एफएसपी से ज्यादा पाता है तो वह इस अंतर की रकम को भी वसूलेगा। इससे उलट स्थिति में एक्सचेंज कुछ नहीं लेगा। एक विश्लेषक ने कहा कि एक्सचेंज द्वारा डिलिवरी डिफॉल्ट पर जुर्माना कम करने से कारोबारी कीमतों के लिहाज से बेहद संवेदनशील इन जिंसों में अधिक डिफॉल्ट करने के लिए प्रेरित होंगे ताकि वे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा बना सकें। इस प्रकार जो 1.5 फीसदी का जुर्माना वसूला जाएगा उसे निवेशक संरक्षण कोष (आईपीएफ) में हस्तांतरित किया जाएगा। इसके कुछ हिस्से से खरीदार को होने वाले नुकसान की भरपाई की जाएगी और शेष एक्सचेंज के पास रहेगा। हर्जाने का 0.75 फीसदी हिस्सा आईपीएफ में हस्तांतरित किए जाने की योजना बनाई जा रही है जिसका 0.50 फीसदी हिस्सा खरीदार को माल न मिलने की सूरत में नुकसान के तौर पर दिया जाएगा। शेष 0.25 फीसदी राशि बतौर प्रशासनिक खर्च एक्सचेंज के पास रहेगी। डिलिवरी डिफॉल्ट पर जुर्माने में तीन साल बाद संशोधन किया गया। सितंबर 2008 में एक्सचेंज ने चना, काली मिर्च और आरएम सीड सहित सभी जिंसों के अनिवार्य निपटान अनुबंधों में डिलिवरी डिफॉल्ट की स्थिति में 3 फीसदी का जुर्माना तय किया था। (BS Hindi)
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