आपूर्ति में सख्ती और उत्पादन के घटते परिदृश्य को देखते हुए चाय के खुदरा
कारोबारी इसकी कीमतों में 8 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी पर विचार कर रहे हैं।
उद्योग के सूत्रों के मुताबिक, चाय उत्पादक इलाकों में बढ़ते तापमान और
अनियमित बारिश के चलते मांग-आपूर्ति का अंतर बढ़ा है और इसी वजह से कीमतें
बढ़ सकती हैं। साल 2011-12 में देश में करीब 98 करोड़ किलोग्राम चाय का
उत्पादन हुआ, जो इस साल घटने की संभावना है क्योंकि उत्तर-पूर्व के चाय
उत्पादक इलाकों में मौसम प्रतिकूल हो रहा है।
देश में चाय बेचने वाले अग्रणी समूह बाघ बकरी ग्रुप के चेयरमैन पीयूष देसाई ने कहा - 'मौसम की स्थिति देश में चाय उत्पादन को प्रभावित कर रही है। उत्तर-पूर्वी इलाके में अनियमित बारिश ने भी चाय उत्पादन को नुकसान पहुंचाया है। साथ ही देश में औसतन 5 फीसदी की रफ्तार से खपत बढ़ रही है जबकि उत्पादन में महज 3 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस वजह से मांग-आपूर्ति का हिसाब-किताब गड़बड़ा गया है। इसके अलावा लागत बढ़ गई है, इस वजह से भी कीमतों में बढ़ोतरी होगी।'
सोमवार को बाघ बकरी ग्रुप ने चाय की विभिन्न श्रेणियों की कीमतों में 12 रुपये प्रति किलोग्राम का इजाफा कर दिया। पिछले पांच हफ्ते में कंपनी द्वारा कीमतों में दूसरी बार बढ़ोतरी की गई है। 16 अप्रैल को बाघ बकरी ने चाय की कीमतों में 12 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी की थी। चाय बेचने वाली दूसरी कंपनियां गिरनार टी, टाटा टी और हिंदुस्तान यूनिलीवर आदि हैं। बाजार के अनुमानों के मुताबिक, खुदरा उपभोग के लिए चाय की औसत कीमतें दिसंबर 2003 के 160 रुपये प्रति किलोग्राम के मुकाबले मई 2012 में 304 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं।
दुनिया में चाय की सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी मैकलॉयड रसेल के निदेशक आजम मोनेम ने कहा - 'काफी लंबे समय से कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई है और इसकी कीमतें महंगाई के सूचकांक के हिसाब से नहीं बढ़ी हैं। देश में चाय के भंडार में कमी है क्योंकि पिछले तीन साल से चाय का उत्पादन करीब-करीब स्थिर है। साथ ही इसकी उत्पादन लागत भी पिछले कई वर्षों में बढ़ी है।' मोनेम एक्सपोर्ट प्रमोशन ऐंड मार्केटिंग कमेटी ऑफ इंडियन टी एसोसिएशन के चेयरमैन भी हैं। उनके मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में आय बढऩे से खपत बढ़ी है और इस वजह से भी देश में चाय की कीमतों में इजाफा हुआ है।
गिरनार टी के हरेंद्र शाह ने कहा - नीलामी केंद्रों में भी कीमतें बढ़ी हैं। जून के बाद से ये खुदरा कीमतों में प्रतिबिंबित होनी शुरू हो जाएंगी। शाह ने कहा कि ज्यादातर कंपनियां कीमतों में बढ़ोतरी करेंगी। उधर, उद्योग के जानकार ने बताया कि मार्च से अप्रैल के दौरान चाय का उत्पादन कम हुआ है क्योंकि असम के चाय उत्पादक इलाकों में बारिश अनियमित रही है।
गुवाहाटी टी ऑक्शन बायर्स एसोसिएशन के सचिव दिनेश बियाणी ने कहा - 'नीलामी में चाय की कीमतों में 20 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी पहले ही शुरू हो चुकी है, जो जल्द ही खुदरा बाजार में प्रतिबिंबित होंगी। चाय विक्रेताओं के पास पुराना स्टॉक नहीं है, लिहाजा बाजार में आपूर्ति में बहुत ज्यादा कमी देखने को मिलेगी।'
चाय का उत्पादन मार्च में शुरू होता है और दिसंबर में समाप्त होता है। चाय के सालाना उत्पादन में शुरुआती चार महीनों का करीब 20 फीसदी का योगदान होता है और अच्छी गुणवत्ता वाले चाय उत्पादन के लिए भी यह समय काफी महत्त्वपूर्ण होता है। जुलाई से अक्टूबर की अवधि में ज्यादातर चाय (करीब 50 फीसदी) का उत्पादन होता है। (BS Hindi)
देश में चाय बेचने वाले अग्रणी समूह बाघ बकरी ग्रुप के चेयरमैन पीयूष देसाई ने कहा - 'मौसम की स्थिति देश में चाय उत्पादन को प्रभावित कर रही है। उत्तर-पूर्वी इलाके में अनियमित बारिश ने भी चाय उत्पादन को नुकसान पहुंचाया है। साथ ही देश में औसतन 5 फीसदी की रफ्तार से खपत बढ़ रही है जबकि उत्पादन में महज 3 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस वजह से मांग-आपूर्ति का हिसाब-किताब गड़बड़ा गया है। इसके अलावा लागत बढ़ गई है, इस वजह से भी कीमतों में बढ़ोतरी होगी।'
सोमवार को बाघ बकरी ग्रुप ने चाय की विभिन्न श्रेणियों की कीमतों में 12 रुपये प्रति किलोग्राम का इजाफा कर दिया। पिछले पांच हफ्ते में कंपनी द्वारा कीमतों में दूसरी बार बढ़ोतरी की गई है। 16 अप्रैल को बाघ बकरी ने चाय की कीमतों में 12 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी की थी। चाय बेचने वाली दूसरी कंपनियां गिरनार टी, टाटा टी और हिंदुस्तान यूनिलीवर आदि हैं। बाजार के अनुमानों के मुताबिक, खुदरा उपभोग के लिए चाय की औसत कीमतें दिसंबर 2003 के 160 रुपये प्रति किलोग्राम के मुकाबले मई 2012 में 304 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं।
दुनिया में चाय की सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी मैकलॉयड रसेल के निदेशक आजम मोनेम ने कहा - 'काफी लंबे समय से कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई है और इसकी कीमतें महंगाई के सूचकांक के हिसाब से नहीं बढ़ी हैं। देश में चाय के भंडार में कमी है क्योंकि पिछले तीन साल से चाय का उत्पादन करीब-करीब स्थिर है। साथ ही इसकी उत्पादन लागत भी पिछले कई वर्षों में बढ़ी है।' मोनेम एक्सपोर्ट प्रमोशन ऐंड मार्केटिंग कमेटी ऑफ इंडियन टी एसोसिएशन के चेयरमैन भी हैं। उनके मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में आय बढऩे से खपत बढ़ी है और इस वजह से भी देश में चाय की कीमतों में इजाफा हुआ है।
गिरनार टी के हरेंद्र शाह ने कहा - नीलामी केंद्रों में भी कीमतें बढ़ी हैं। जून के बाद से ये खुदरा कीमतों में प्रतिबिंबित होनी शुरू हो जाएंगी। शाह ने कहा कि ज्यादातर कंपनियां कीमतों में बढ़ोतरी करेंगी। उधर, उद्योग के जानकार ने बताया कि मार्च से अप्रैल के दौरान चाय का उत्पादन कम हुआ है क्योंकि असम के चाय उत्पादक इलाकों में बारिश अनियमित रही है।
गुवाहाटी टी ऑक्शन बायर्स एसोसिएशन के सचिव दिनेश बियाणी ने कहा - 'नीलामी में चाय की कीमतों में 20 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी पहले ही शुरू हो चुकी है, जो जल्द ही खुदरा बाजार में प्रतिबिंबित होंगी। चाय विक्रेताओं के पास पुराना स्टॉक नहीं है, लिहाजा बाजार में आपूर्ति में बहुत ज्यादा कमी देखने को मिलेगी।'
चाय का उत्पादन मार्च में शुरू होता है और दिसंबर में समाप्त होता है। चाय के सालाना उत्पादन में शुरुआती चार महीनों का करीब 20 फीसदी का योगदान होता है और अच्छी गुणवत्ता वाले चाय उत्पादन के लिए भी यह समय काफी महत्त्वपूर्ण होता है। जुलाई से अक्टूबर की अवधि में ज्यादातर चाय (करीब 50 फीसदी) का उत्पादन होता है। (BS Hindi)
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