ईजीओएम की अगली बैठक में दाल आवंटन बंद करने पर फैसला संभव
सरकार का रुख
पीडीएस में आवंटन के लिए इस समय केवल पांच-छह राज्य ही दालों का उठाव कर रहे हैं। पहले स्कीम में ज्यादा राज्य दालों का उठाव कर रहे थे। राज्यों की दिलचस्पी घटने पर ही मंत्रालय ने पीडीएस में आवंटन और दालों का आयात बंद करने की सिफारिश की है।
राज्यों द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में वितरण के लिए सब्सिडी युक्त दालों के उठाव में दिलचस्पी नहीं दिखाए जाने के कारण केंद्र सरकार ने आवंटन बंद करने की तैयारी की है।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने गरीबों को 10 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी पर दालों के आवंटन को बंद करने की सिफारिश की है। इसका फैसला खाद्य पर बनी उच्चाधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) की बैठक को किया जाएगा। यह स्कीम जून 2012 में समाप्त की जा सकती है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीडीएस में आवंटन के लिए इस समय केवल पांच-छह राज्य ही दालों का उठाव कर रहे हैं।
इसीलिए मंत्रालय ने पीडीएस में आवंटित की जाने वाली दालों का आयात बंद करने की भी सिफारिश की है। इसका भी निर्णय ईजीओएम की आगामी बैठक में होने की संभावना है। सीमित उठाव होने के कारण कंपनियां भी पीडीएस में आवंटन के लिए दलहन आयात में बेरुखी बरत रही है।
चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान पीडीएस में आवंटन के लिए सार्वजनिक कंपनियों ने केवल 76,000 टन दलहन का ही आयात किया जबकि वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान 2.6 लाख टन दालों का आयात किया गया था।
पीडीएस में आवंटन के लिए सरकार ने चार सार्वजनिक कपंनियों एसटीसी, एमएमटीसी, पीईसी और नेफेड को अधिकृत किया हुआ है। पीडीएस के तहत आवंटन में सार्वजनिक कंपनियों को सरकार आयातित दालों पर 10 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी देती है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2010-11 में पीडीएस में आवंटन के लिए 12 राज्यों ने दालों का उठाव किया था।
इस दौरान सार्वजनिक कपंनियों ने 2.6 लाख टन दलहन का आयात किया था। वित्त वर्ष 2009-10 में पीडीएस में आवंटन के लिए सार्वजनिक कपंनियों ने 2.5 लाख टन दालों का आयात किया था तथा इस दौरान 10 राज्यों ने दालों का उठाव किया था।
कृषि मंत्रालय के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2011-12 में देश में दलहन उत्पादन 170.2 लाख टन होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2010-11 में 182.4 लाख टन का उत्पादन हुआ था। (Business Bhaskar....R S Rana)
सरकार का रुख
पीडीएस में आवंटन के लिए इस समय केवल पांच-छह राज्य ही दालों का उठाव कर रहे हैं। पहले स्कीम में ज्यादा राज्य दालों का उठाव कर रहे थे। राज्यों की दिलचस्पी घटने पर ही मंत्रालय ने पीडीएस में आवंटन और दालों का आयात बंद करने की सिफारिश की है।
राज्यों द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में वितरण के लिए सब्सिडी युक्त दालों के उठाव में दिलचस्पी नहीं दिखाए जाने के कारण केंद्र सरकार ने आवंटन बंद करने की तैयारी की है।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने गरीबों को 10 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी पर दालों के आवंटन को बंद करने की सिफारिश की है। इसका फैसला खाद्य पर बनी उच्चाधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) की बैठक को किया जाएगा। यह स्कीम जून 2012 में समाप्त की जा सकती है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीडीएस में आवंटन के लिए इस समय केवल पांच-छह राज्य ही दालों का उठाव कर रहे हैं।
इसीलिए मंत्रालय ने पीडीएस में आवंटित की जाने वाली दालों का आयात बंद करने की भी सिफारिश की है। इसका भी निर्णय ईजीओएम की आगामी बैठक में होने की संभावना है। सीमित उठाव होने के कारण कंपनियां भी पीडीएस में आवंटन के लिए दलहन आयात में बेरुखी बरत रही है।
चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान पीडीएस में आवंटन के लिए सार्वजनिक कंपनियों ने केवल 76,000 टन दलहन का ही आयात किया जबकि वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान 2.6 लाख टन दालों का आयात किया गया था।
पीडीएस में आवंटन के लिए सरकार ने चार सार्वजनिक कपंनियों एसटीसी, एमएमटीसी, पीईसी और नेफेड को अधिकृत किया हुआ है। पीडीएस के तहत आवंटन में सार्वजनिक कंपनियों को सरकार आयातित दालों पर 10 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी देती है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2010-11 में पीडीएस में आवंटन के लिए 12 राज्यों ने दालों का उठाव किया था।
इस दौरान सार्वजनिक कपंनियों ने 2.6 लाख टन दलहन का आयात किया था। वित्त वर्ष 2009-10 में पीडीएस में आवंटन के लिए सार्वजनिक कपंनियों ने 2.5 लाख टन दालों का आयात किया था तथा इस दौरान 10 राज्यों ने दालों का उठाव किया था।
कृषि मंत्रालय के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2011-12 में देश में दलहन उत्पादन 170.2 लाख टन होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2010-11 में 182.4 लाख टन का उत्पादन हुआ था। (Business Bhaskar....R S Rana)
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