सरकार की कोशिश ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा गोदाम बनाने की
खाद्यान्न भंडारण की समस्या से निपटने के लिए सरकार ग्रामीण भंडारण योजना (आरजीएस) का सहारा लेगी। इसीलिए चालू वित्त वर्ष 2012-13 के बजट में सरकार ने आरजीएस के तहत आवंटित राशि में 367 फीसदी की बढ़ोतरी की है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ग्रामीण भंडारण योजना के तहत गांव में खाद्यान्न भंडारण के लिए गोदाम बनाने पर जोर दिया जाएगा। इसीलिए चालू वित्त वर्ष 2012-13 के बजट में आरजीएस का बजट बढ़ाकर 636 करोड़ रुपये कर दिया है। वित्त वर्ष 2011-12 के बजट में इसमें 136 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई थी।
उन्होंने बताया कि योजना शुरू होने के समय से 29 फरवरी 2012 तक देशभर में इस स्कीम के तहत 27,110 गोदामों का निर्माण हो चुका है, जिनकी भंडारण क्षमता 310.29 लाख टन है। प्राइवेट भागीदार को इस समय 15 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है जबकि पब्लिक सेक्टर के भागीदार को 25 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि ढांचागत सुविधाओं के अभाव में इस योजना में किसानों की भागीदारी कम है, जिसे बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। हालांकि सब्सिडी की दर ज्यादा होने के कारण पब्लिक सेक्टर इसका सर्वाधिक लाभ उठा रहा है। उन्होंने बताया कि सब्सिडी 33.33 प्रतिशत होने के बावजूद इस योजना में अनुसूचित जाति एवं जनजाति की भागीदारी लगभग शून्य है।
केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्यान्न की बर्बादी में कमी लाने के लिए एक अप्रैल 2001 में ग्रामीण भंडारण योजना की शुरूआत की थी। इस योजना का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में सहयोगी सुविधाओं के साथ वैज्ञानिक भंडारण प्रणाली का निर्माण करना था। ताकि किसानों द्वारा अपनी कृषि उपज और प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों को भंडार करने की जरूरत को पूरा किया जा सके। (BS Hindi)
खाद्यान्न भंडारण की समस्या से निपटने के लिए सरकार ग्रामीण भंडारण योजना (आरजीएस) का सहारा लेगी। इसीलिए चालू वित्त वर्ष 2012-13 के बजट में सरकार ने आरजीएस के तहत आवंटित राशि में 367 फीसदी की बढ़ोतरी की है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ग्रामीण भंडारण योजना के तहत गांव में खाद्यान्न भंडारण के लिए गोदाम बनाने पर जोर दिया जाएगा। इसीलिए चालू वित्त वर्ष 2012-13 के बजट में आरजीएस का बजट बढ़ाकर 636 करोड़ रुपये कर दिया है। वित्त वर्ष 2011-12 के बजट में इसमें 136 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई थी।
उन्होंने बताया कि योजना शुरू होने के समय से 29 फरवरी 2012 तक देशभर में इस स्कीम के तहत 27,110 गोदामों का निर्माण हो चुका है, जिनकी भंडारण क्षमता 310.29 लाख टन है। प्राइवेट भागीदार को इस समय 15 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है जबकि पब्लिक सेक्टर के भागीदार को 25 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि ढांचागत सुविधाओं के अभाव में इस योजना में किसानों की भागीदारी कम है, जिसे बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। हालांकि सब्सिडी की दर ज्यादा होने के कारण पब्लिक सेक्टर इसका सर्वाधिक लाभ उठा रहा है। उन्होंने बताया कि सब्सिडी 33.33 प्रतिशत होने के बावजूद इस योजना में अनुसूचित जाति एवं जनजाति की भागीदारी लगभग शून्य है।
केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्यान्न की बर्बादी में कमी लाने के लिए एक अप्रैल 2001 में ग्रामीण भंडारण योजना की शुरूआत की थी। इस योजना का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में सहयोगी सुविधाओं के साथ वैज्ञानिक भंडारण प्रणाली का निर्माण करना था। ताकि किसानों द्वारा अपनी कृषि उपज और प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों को भंडार करने की जरूरत को पूरा किया जा सके। (BS Hindi)
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