बिजनेस भास्कर नई दिल्ली
ग्वार सीड और ग्वार गम के वायदा कारोबार में कंपनियों ने आपसी गुटबाजी करके करोड़ों रुपये कमाए हैं। वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) द्वारा खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो.के.वी. थॉमस को सौंपी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में रुचि सोया, बैतूल ऑयल, गंगानगर कमोडिटी और इन्वेंचर सहित कई कंपनियों के नाम हैं। एफएमसी के मुताबिक इन कंपनियों ने ग्रुप बनाकर ग्वार सीड और ग्वार गम में अक्टूबर 2011 से मार्च 2012 के दौरान ज्यादा पोजीशन बनाई थी।
इस बारे में बात करने पर बैतूल ऑयल लिमिटेड के निदेशक श्रेयांश डागा ने कहा कि कंपनी ने एफएमसी नियमों के खिलाफ कोई काम नहीं किया है। कंपनी पर लगाये जा रहे सारे आरोप निराधार हैं। गंगानगर कमोडिटी लिमिटेड के निदेशक विशाल बगडिय़ा ने कहा कि ग्वार की कीमतें बढऩे में कंपनी की कोई भूमिका नहीं है। कीमतों आई एकाएक तेजी के बाद एफएमसी की एक टीम ने पिछले वर्ष 23 दिसंबर को दौरा किया था। तब ग्वार के भाव 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल के आसपास थे। एफएमसी का निर्णय जनवरी के अंतिम सप्ताह में आया जिसमें कुछ लोगों को दोषी मानते हुए कार्रवाई की गई। जनवरी अंत में ग्वार की कीमत 11 हजार के पार हो गई थी और अब 30 हजार से ऊपर है। ऐसे में अगर गंगानगर कमोडिटी की कोई भूमिका होती तो कीमतों में बढ़ोतरी पहले ही रुक जाती। बावजूद इसके एफएमसी की तरफ से कोई नोटिस आता है तो हम जवाब देने को तैयार हैं।
एफएमसी की रिपोर्ट के अनुसार एनसीडीईएक्स पर रुचि सोया, बैतूल ऑयल, गंगानगर कमोडिटी और इन्वेंचर कंपनी ने छोटी-छोटी कंपनियों के साथ ग्रुप बनाकर ग्वार सीड और ग्वार गम में कारोबार किया। रुचि सोया ने सबसे ज्यादा 21 कंपनियों के साथ गठजोड़ किया था। बैतूल ऑयल ने सात, गंगानगर कमोडिटी ने भी सात और इन्वेंचर ने दो कंपनियों के साथ गठजोड़ कर लिमिट से ज्यादा पोजीशन बनाई थी। एफएमसी के मुताबिक रुचि सोया ने 100 करोड़, बैतूल ऑयल ने 125 करोड़, गंगानगर कमोडिटी ने 77 करोड़ और इन्वेंचर ने 50 करोड़ की कमाई की। फरवरी में एनसीडीईएक्स ने इस मामले की जांच में कई कंपनियों को दोषी पाने के बाद वायदा कारोबार पर रोक लगा दी थी।
रिपोर्ट के मुताबिक ग्वार सीड और ग्वार गम में इन कंपनियों ने मिलीभगत करके बनावटी उतार-चढ़ाव किया। अक्टूबर 2011 से मार्च 2012 के दौरान एनसीडीईएक्स पर इन जिंसों में कंपनियों ने कुल करीब 2,000 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया। (Business Bhaskar.....R S Rana)
सबसे ज्यादा 1,291 करोड़ का मुनाफा ग्वार सीड में और 843 करोड़ का ग्वार गम में कमाया। रिपोर्ट के अनुसार ग्वार सीड में 4,490 निवेशकों को मुनाफा हुआ लेकिन 9,294 निवेशकों को घाटा उठाना पड़ा। ग्वार गम में 1,700 निवेशकों को मुनाफा और 2,700 को घाटा हुआ। एफएमसी के मुताबिक कमोडिटी के लिए बैंकों से आसानी से कर्ज मिल जाता है, इसलिए कारोबारियों ने ज्यादा पोजीशन बनाई। एफएमसी ने बैंकों को आसान शर्तों पर जिंसों के लिए कर्ज नहीं देने की सिफारिश की है। (Business Bhaskar)
ग्वार सीड और ग्वार गम के वायदा कारोबार में कंपनियों ने आपसी गुटबाजी करके करोड़ों रुपये कमाए हैं। वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) द्वारा खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो.के.वी. थॉमस को सौंपी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में रुचि सोया, बैतूल ऑयल, गंगानगर कमोडिटी और इन्वेंचर सहित कई कंपनियों के नाम हैं। एफएमसी के मुताबिक इन कंपनियों ने ग्रुप बनाकर ग्वार सीड और ग्वार गम में अक्टूबर 2011 से मार्च 2012 के दौरान ज्यादा पोजीशन बनाई थी।
इस बारे में बात करने पर बैतूल ऑयल लिमिटेड के निदेशक श्रेयांश डागा ने कहा कि कंपनी ने एफएमसी नियमों के खिलाफ कोई काम नहीं किया है। कंपनी पर लगाये जा रहे सारे आरोप निराधार हैं। गंगानगर कमोडिटी लिमिटेड के निदेशक विशाल बगडिय़ा ने कहा कि ग्वार की कीमतें बढऩे में कंपनी की कोई भूमिका नहीं है। कीमतों आई एकाएक तेजी के बाद एफएमसी की एक टीम ने पिछले वर्ष 23 दिसंबर को दौरा किया था। तब ग्वार के भाव 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल के आसपास थे। एफएमसी का निर्णय जनवरी के अंतिम सप्ताह में आया जिसमें कुछ लोगों को दोषी मानते हुए कार्रवाई की गई। जनवरी अंत में ग्वार की कीमत 11 हजार के पार हो गई थी और अब 30 हजार से ऊपर है। ऐसे में अगर गंगानगर कमोडिटी की कोई भूमिका होती तो कीमतों में बढ़ोतरी पहले ही रुक जाती। बावजूद इसके एफएमसी की तरफ से कोई नोटिस आता है तो हम जवाब देने को तैयार हैं।
एफएमसी की रिपोर्ट के अनुसार एनसीडीईएक्स पर रुचि सोया, बैतूल ऑयल, गंगानगर कमोडिटी और इन्वेंचर कंपनी ने छोटी-छोटी कंपनियों के साथ ग्रुप बनाकर ग्वार सीड और ग्वार गम में कारोबार किया। रुचि सोया ने सबसे ज्यादा 21 कंपनियों के साथ गठजोड़ किया था। बैतूल ऑयल ने सात, गंगानगर कमोडिटी ने भी सात और इन्वेंचर ने दो कंपनियों के साथ गठजोड़ कर लिमिट से ज्यादा पोजीशन बनाई थी। एफएमसी के मुताबिक रुचि सोया ने 100 करोड़, बैतूल ऑयल ने 125 करोड़, गंगानगर कमोडिटी ने 77 करोड़ और इन्वेंचर ने 50 करोड़ की कमाई की। फरवरी में एनसीडीईएक्स ने इस मामले की जांच में कई कंपनियों को दोषी पाने के बाद वायदा कारोबार पर रोक लगा दी थी।
रिपोर्ट के मुताबिक ग्वार सीड और ग्वार गम में इन कंपनियों ने मिलीभगत करके बनावटी उतार-चढ़ाव किया। अक्टूबर 2011 से मार्च 2012 के दौरान एनसीडीईएक्स पर इन जिंसों में कंपनियों ने कुल करीब 2,000 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया। (Business Bhaskar.....R S Rana)
सबसे ज्यादा 1,291 करोड़ का मुनाफा ग्वार सीड में और 843 करोड़ का ग्वार गम में कमाया। रिपोर्ट के अनुसार ग्वार सीड में 4,490 निवेशकों को मुनाफा हुआ लेकिन 9,294 निवेशकों को घाटा उठाना पड़ा। ग्वार गम में 1,700 निवेशकों को मुनाफा और 2,700 को घाटा हुआ। एफएमसी के मुताबिक कमोडिटी के लिए बैंकों से आसानी से कर्ज मिल जाता है, इसलिए कारोबारियों ने ज्यादा पोजीशन बनाई। एफएमसी ने बैंकों को आसान शर्तों पर जिंसों के लिए कर्ज नहीं देने की सिफारिश की है। (Business Bhaskar)
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