घटते उत्पादन और रुपये में फिसलन के चलते दक्षिण भारत के प्रमुख बाजारों
में हाल के दिनों में कॉफी की कीमतों असामान्य बढ़ोतरी देखने को मिली है।
रोबस्टा चेरी (प्राकृतिक रूप से सूखे हुए बीन्स) की कीमतें दिसंबर 2011 व
जनवरी 2012 के मुकाबले 25 फीसदी बढ़ गई हैं और फिलहाल यह 3250 रुपये प्रति
बैग (प्रति बैग 50 किलोग्राम) के भाव पर बिक रही है। दिसंबर और जनवरी में
इसकी कीमतें 2600 रुपये प्रति बैग थीं।
उधर, रोबस्टा के धुले हुए बीन्स की कीमतें करीब 23 फीसदी बढ़कर 6800 रुपये प्रति बैग हो गई हैं जबकि जनवरी में यह 5500 रुपये प्रति बैग के भाव पर उपलब्ध थी। निर्यातकों के बीच धुले हुए बीन्स की काफी मांग है, जो रुपये में आई गिरावट के चलते अतिरिक्त मुनाफा हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। कर्नाटक प्लांटर्स एसोसिएशन (केपीए) के चेयरमैन मार्विन रॉड्रिग्स ने कहा - 'इस साल हमने रोबस्टा कॉफी के उत्पादन में गिरावट देखी है क्योंकि पिछले साल के दौरान इस फसल को बारिश का पर्याप्त पानी नहीं मिला। साथ ही, निर्यातकों के बीच इसकी भारी मांग है क्योंकि रोबस्टा के धुले हुए बीन्स का 95 फीसदी देश से निर्यात होता है। पिछले पांच महीने में 12,236 टन रोबस्टा का निर्यात हो चुका है जबकि कुल सालाना उत्पादन 25,000 टन रहा है।'
साल 2011-12 में केपीए को 1.90 लाख टन रोबस्टा कॉफी के उत्पादन का अनुमान है, जो साल 2010-11 के मुकाबले 8.5 फीसदी कम है। साल 2010-11 में कुल 2,07,860 टन रोबस्टा कॉफी का उत्पादन हुआ था। हालांकि कॉफी बोर्ड ने अभी तक आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया है।
कॉफी एक्सपोट्र्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रमेश राजा ने कहा - 'रोबस्टा का उत्पादन मोटे तौर पर छोटे व मझोले उत्पादक करते हैं। चूंकि इस साल उत्पादन घटा है, लिहाजा बाद में ज्यादा कीमत की उम्मीद में उत्पादक इसका स्टॉक अपने पास रखे हुए हैं। रोबस्टा की किल्लत इस साल सितंबर-अक्टूबर में और स्पष्ट नजर आने लगेगी।'
राजा के मुताबिक, भारतीय बाजार में कॉफी की कीमतों में हुई बढ़ोतरी वैश्विक बाजार से ज्यादा है। वैश्विक बाजार में रोबस्टा की कीमतें मई 11 फीसदी बढ़कर 2100 डॉलर प्रति टन हो गई हैं जबकि इस साल फरवरी में यह 1900 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध था। हालांकि दिसंबर के स्तर के मुकाबले कीमतें 12.5 फीसदी कम हैं। (BS Hindi)
उधर, रोबस्टा के धुले हुए बीन्स की कीमतें करीब 23 फीसदी बढ़कर 6800 रुपये प्रति बैग हो गई हैं जबकि जनवरी में यह 5500 रुपये प्रति बैग के भाव पर उपलब्ध थी। निर्यातकों के बीच धुले हुए बीन्स की काफी मांग है, जो रुपये में आई गिरावट के चलते अतिरिक्त मुनाफा हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। कर्नाटक प्लांटर्स एसोसिएशन (केपीए) के चेयरमैन मार्विन रॉड्रिग्स ने कहा - 'इस साल हमने रोबस्टा कॉफी के उत्पादन में गिरावट देखी है क्योंकि पिछले साल के दौरान इस फसल को बारिश का पर्याप्त पानी नहीं मिला। साथ ही, निर्यातकों के बीच इसकी भारी मांग है क्योंकि रोबस्टा के धुले हुए बीन्स का 95 फीसदी देश से निर्यात होता है। पिछले पांच महीने में 12,236 टन रोबस्टा का निर्यात हो चुका है जबकि कुल सालाना उत्पादन 25,000 टन रहा है।'
साल 2011-12 में केपीए को 1.90 लाख टन रोबस्टा कॉफी के उत्पादन का अनुमान है, जो साल 2010-11 के मुकाबले 8.5 फीसदी कम है। साल 2010-11 में कुल 2,07,860 टन रोबस्टा कॉफी का उत्पादन हुआ था। हालांकि कॉफी बोर्ड ने अभी तक आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया है।
कॉफी एक्सपोट्र्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रमेश राजा ने कहा - 'रोबस्टा का उत्पादन मोटे तौर पर छोटे व मझोले उत्पादक करते हैं। चूंकि इस साल उत्पादन घटा है, लिहाजा बाद में ज्यादा कीमत की उम्मीद में उत्पादक इसका स्टॉक अपने पास रखे हुए हैं। रोबस्टा की किल्लत इस साल सितंबर-अक्टूबर में और स्पष्ट नजर आने लगेगी।'
राजा के मुताबिक, भारतीय बाजार में कॉफी की कीमतों में हुई बढ़ोतरी वैश्विक बाजार से ज्यादा है। वैश्विक बाजार में रोबस्टा की कीमतें मई 11 फीसदी बढ़कर 2100 डॉलर प्रति टन हो गई हैं जबकि इस साल फरवरी में यह 1900 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध था। हालांकि दिसंबर के स्तर के मुकाबले कीमतें 12.5 फीसदी कम हैं। (BS Hindi)
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