सरकार ने चीनी निर्यात पर मात्रात्मक प्रतिबंध हटाने के फैसले को आज
अधिसूचित किया। सरकार के इस कदम से उद्योग को अतिरिक्त चीनी निर्यात करने
तथा गन्ना किसानों को बकाए का भुगतान करने में मदद मिलेगी जो 10,000 करोड़
रुपए से अधिक हो गया है। इस संबंध में किए गए निर्णय के एक सप्ताह से अधिक
समय बाद खाद्य मंत्रालय ने अधिसूचना जारी किया है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में अंतर-मंत्रालई बैठक में चीनी को खुले सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के अंतर्गत रखते हुए इसके निर्यात पर लगे मात्रात्मक प्रतिबंध को हटाने का निर्णय किया गया। अधिसूचना के अनुसार 11 मई से चीनी निर्यात पर कोई मात्रात्मक प्रतिबंध नहीं होगा और निर्यातकों को 2011-12 विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के लिए अगले आदेश तक खाद्य मंत्रालय से ओजीएल के तहत निर्यात आदेश प्राप्त करने की जरूरत नहीं होगी।
अग्रिम मंजूरी योजना (एएएस) के तहत जब एक व्यापारी कच्ची चीनी का आयात करता है, तो इस व्यवस्था के तहत मिलों को उसके प्रसंस्करण के बाद वही माल निर्यात करने की बाध्यता है। इसके लिए निर्यात आदेश लेने की जरूरत नहीं होगी। पर यदि वे उसके बराबर किसी और चीनी का निर्यात करना चाहती है तो उसके लिए उन्हें एएएस के तहत आदेश प्राप्त करना होगा। मात्रा के आधार पर मिलों को आयातित कच्ची चीनी के प्रसंस्करण और उसे स्थानीय बाजार में बेचने की अनुमति होती है। बाद में इतनी ही मात्रा वह निर्यात कर निर्यात बाध्यता पूरी कर सकते हैं। (BS Hindi)
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में अंतर-मंत्रालई बैठक में चीनी को खुले सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के अंतर्गत रखते हुए इसके निर्यात पर लगे मात्रात्मक प्रतिबंध को हटाने का निर्णय किया गया। अधिसूचना के अनुसार 11 मई से चीनी निर्यात पर कोई मात्रात्मक प्रतिबंध नहीं होगा और निर्यातकों को 2011-12 विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के लिए अगले आदेश तक खाद्य मंत्रालय से ओजीएल के तहत निर्यात आदेश प्राप्त करने की जरूरत नहीं होगी।
अग्रिम मंजूरी योजना (एएएस) के तहत जब एक व्यापारी कच्ची चीनी का आयात करता है, तो इस व्यवस्था के तहत मिलों को उसके प्रसंस्करण के बाद वही माल निर्यात करने की बाध्यता है। इसके लिए निर्यात आदेश लेने की जरूरत नहीं होगी। पर यदि वे उसके बराबर किसी और चीनी का निर्यात करना चाहती है तो उसके लिए उन्हें एएएस के तहत आदेश प्राप्त करना होगा। मात्रा के आधार पर मिलों को आयातित कच्ची चीनी के प्रसंस्करण और उसे स्थानीय बाजार में बेचने की अनुमति होती है। बाद में इतनी ही मात्रा वह निर्यात कर निर्यात बाध्यता पूरी कर सकते हैं। (BS Hindi)
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