सरकार का कदम
:- ज्यादातर जीएम फूड विदेशों से आयात होते हैं। इन बंद पैकेटों पर जीएम
फूड होने की जानकारी अंकित नहीं होती है। इस वजह से उपभोक्ता इस तथ्य को
लेकर अंधेरे में रहते हैं। इसीलिए उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान रखकर जीएम
फूड के पैकेट पर इसकी जानकारी देने अनिवार्य होगा।
सरकार जेनेटिकली मॉडीफाइड (जीएम) फूड के पैकेट पर जनवरी 2013 से इसकी जानकारी देना अनिवार्य करने जा रही है। कंपनी को जीएम फूड के पैकेट पर उस खाद्य पदार्थ की पूरी जानकारी देनी होगी। इसके लिए मंत्रालय ने दिशा-निर्देश तैयार कर लिए हैं।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जीएम फूड के पैकेट पर कंपनियों को पहली जनवरी 2013 से जानकारी देना अनिवार्य होगा। इसके लिए मंत्रालय ने दिशा-निर्देश तैयार कर लिए है। जीएम फूड के पैकेट पर घोषणा अनिवार्य होने से उपभोक्ताओं को खरीदे हुए पैकेट में बंद खाद्य पदार्थ की पूरी जानकारी होगी।
जिससे उपभोक्ताओं को खाद्य पदार्थ का चुनाव करने में भी आसानी होगी। आयातित क्रूड सोयाबीन तेल जीएम फूड की श्रेणी में आता है। देश में अभी प्रत्यक्षत: जीएम फूड का उत्पादन नहीं हो रहा है लेकिन जीएम कॉटन का उत्पादन जरूर होता है। देश में कुल क्षेत्रफल के 90 फीसदी हिस्से में जीएम कपास की पैदावार हो रही है। ऐसे में इससे निकलने वाले कॉटन सीड (बिनौला) तेल भी जीएम फूड की श्रेणी में आता है।
अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर जीएम फूड विदेशों से आयात होते हैं। इन बंद पैकेटों पर जीएम फूड होने की जानकारी अंकित नहीं होती है। इस वजह से उपभोक्ता इस तथ्य को लेकर अंधेरे में रहते हैं। इसीलिए उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान रखकर जीएम फूड के पैकेट पर इसकी जानकारी देने अनिवार्य होगा।
कंपनियों को खुदरा विक्रेताओं को बेची जाने वाले जीएम फूड के पैकेट पर कीमत एवं भार की लिखित सूचना छापनी होगी। साथ ही प्रत्येक पैकेट पर कंपनी का नाम और पता लिखना होगा, ताकि उपभोक्ता अपनी शिकायतों की सूचना दे सकें। पैकेटबंद हर पैकेट पर खाद्य पदार्थ का नाम, उसकी वास्तविक मात्रा, पैकेजिंग का महीना तथा वर्ष लिखना अनिवार्य किया जाएगा। ऐसा न करने वाली कंपनियों के खिलाफ दंड एवं जुर्माने का भी प्रावधान होगा।
(Business Bhaskar.....R S Rana)
सरकार जेनेटिकली मॉडीफाइड (जीएम) फूड के पैकेट पर जनवरी 2013 से इसकी जानकारी देना अनिवार्य करने जा रही है। कंपनी को जीएम फूड के पैकेट पर उस खाद्य पदार्थ की पूरी जानकारी देनी होगी। इसके लिए मंत्रालय ने दिशा-निर्देश तैयार कर लिए हैं।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जीएम फूड के पैकेट पर कंपनियों को पहली जनवरी 2013 से जानकारी देना अनिवार्य होगा। इसके लिए मंत्रालय ने दिशा-निर्देश तैयार कर लिए है। जीएम फूड के पैकेट पर घोषणा अनिवार्य होने से उपभोक्ताओं को खरीदे हुए पैकेट में बंद खाद्य पदार्थ की पूरी जानकारी होगी।
जिससे उपभोक्ताओं को खाद्य पदार्थ का चुनाव करने में भी आसानी होगी। आयातित क्रूड सोयाबीन तेल जीएम फूड की श्रेणी में आता है। देश में अभी प्रत्यक्षत: जीएम फूड का उत्पादन नहीं हो रहा है लेकिन जीएम कॉटन का उत्पादन जरूर होता है। देश में कुल क्षेत्रफल के 90 फीसदी हिस्से में जीएम कपास की पैदावार हो रही है। ऐसे में इससे निकलने वाले कॉटन सीड (बिनौला) तेल भी जीएम फूड की श्रेणी में आता है।
अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर जीएम फूड विदेशों से आयात होते हैं। इन बंद पैकेटों पर जीएम फूड होने की जानकारी अंकित नहीं होती है। इस वजह से उपभोक्ता इस तथ्य को लेकर अंधेरे में रहते हैं। इसीलिए उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान रखकर जीएम फूड के पैकेट पर इसकी जानकारी देने अनिवार्य होगा।
कंपनियों को खुदरा विक्रेताओं को बेची जाने वाले जीएम फूड के पैकेट पर कीमत एवं भार की लिखित सूचना छापनी होगी। साथ ही प्रत्येक पैकेट पर कंपनी का नाम और पता लिखना होगा, ताकि उपभोक्ता अपनी शिकायतों की सूचना दे सकें। पैकेटबंद हर पैकेट पर खाद्य पदार्थ का नाम, उसकी वास्तविक मात्रा, पैकेजिंग का महीना तथा वर्ष लिखना अनिवार्य किया जाएगा। ऐसा न करने वाली कंपनियों के खिलाफ दंड एवं जुर्माने का भी प्रावधान होगा।
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