सोने पर महंगाई के चढ़ते रंग से इसकी चाहत में कमी आ गई है। भारत में सोने
की मांग कमजोर पडऩे के चलते चीन में सोने की मांग आगे निकल चुकी है।
जनवरी-मार्च के दौरान भारत में सोने की मांग 29 फीसदी घटकर 207.6 टन रह गई।
जबकि इस दौरान चीन में सोने की मांग 10 फीसदी बढ़कर 255.2 टन पर पहुंच गई
और भारत को पीछे छोड़कर चीन सोने का सबसे बड़ा बाजार बन गया है।
वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार बढ़ती महंगाई के कारण भारत में सोने की मांग में कमी आई है। 2012 की पहली तिमाही (जनवरी -मार्च) में भारत में सोने की मांग 29 फीसदी घटकर 207.6 टन रह गई जबकि जनवरी-मार्च 2011 की पहली तिमाही में 290.6 टन सोने का आयात किया गया था। इस तिमाही में आभूषणों की मांग 19 फीसदी कम होकर 152 टन रह गई जबकि पिछले साल 187.6 टन आभूषणों की बिक्री हुई थी। सोने की निवेश मांग में पिछले साल की तुलना में 46 फीसदी की कमी आई है। जनवरी-मार्च 2011 में 103 टन सोने का निवेश किया गया था जबकि इस साल 55.6 टन सोने का निवेश हुआ है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय निवेशकों की दिलचस्पी ईटीएफ गोल्ड में बढ़ी है। चीन में आभूषणों की मांग 10 फीसदी बढ़कर 255.2 टन तक पहुंच गई। रिपोर्ट के अनुसार महंगाई से बचने के लिए चीन के लोग अब जमा पूंजी में सोने को शामिल कर रहे हैं। निवेश के लिहाज से जनवरी-मार्च 2012 के बीच चीन के लोगों ने 98.6 टन सोने की खरीदारी की। आभूषण के प्रति चीनी लोगों का प्यार बढ़ता जा रहा है। इस साल की पहली तिमाही में चीन के लोगों ने 156.6 टन के आभूषण खरीदे, जो पूरी दुनिया में आभूषणों की कुल मांग का 30 फीसदी है। आभूषणों की खरीदारी के मामले में चीन का यह अब तक का रिकॉर्ड है। चीन लगातार तीसरी तिमाही में ज्वैलरी का सबसे बड़ा बाजार बनकर उभरा है।
सोने की चाहत के मामले में चीन के कब्जे पर वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के प्रबंध निदेशक (भारत एवं पश्चिम एशिया) अजय मित्रा कहते हैं - भारतीय स्वर्ण बाजार के लिए वर्ष 2012 की शुरुआत बहुत ही चुनौतीपूर्ण रही है। मूल्य वृद्धि, आर्थिक मंदी, सामाजिक बदलाव जैसी चुनौतियों के बावजूद सोना लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहा। हमें उम्मीद है कि आने वाले महीनों भारतीय मांग में सुधार होगा क्योंकि सोने के प्रति लोगों का प्यार और भरोसा बहुत पुराना है और उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले महीनों में भारतीयों के बीच सोने की मांग बढ़ेगी और भारत दोबारा सोने की चाहत के मामले में पहले पायदान पर खड़ा दिखाई देगा।
भारत में सोने की मांग कमजोर पडऩे की प्रमुख वजह सोने की आसमान छूती कीमतें हैं। (BS Hindi)
वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार बढ़ती महंगाई के कारण भारत में सोने की मांग में कमी आई है। 2012 की पहली तिमाही (जनवरी -मार्च) में भारत में सोने की मांग 29 फीसदी घटकर 207.6 टन रह गई जबकि जनवरी-मार्च 2011 की पहली तिमाही में 290.6 टन सोने का आयात किया गया था। इस तिमाही में आभूषणों की मांग 19 फीसदी कम होकर 152 टन रह गई जबकि पिछले साल 187.6 टन आभूषणों की बिक्री हुई थी। सोने की निवेश मांग में पिछले साल की तुलना में 46 फीसदी की कमी आई है। जनवरी-मार्च 2011 में 103 टन सोने का निवेश किया गया था जबकि इस साल 55.6 टन सोने का निवेश हुआ है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय निवेशकों की दिलचस्पी ईटीएफ गोल्ड में बढ़ी है। चीन में आभूषणों की मांग 10 फीसदी बढ़कर 255.2 टन तक पहुंच गई। रिपोर्ट के अनुसार महंगाई से बचने के लिए चीन के लोग अब जमा पूंजी में सोने को शामिल कर रहे हैं। निवेश के लिहाज से जनवरी-मार्च 2012 के बीच चीन के लोगों ने 98.6 टन सोने की खरीदारी की। आभूषण के प्रति चीनी लोगों का प्यार बढ़ता जा रहा है। इस साल की पहली तिमाही में चीन के लोगों ने 156.6 टन के आभूषण खरीदे, जो पूरी दुनिया में आभूषणों की कुल मांग का 30 फीसदी है। आभूषणों की खरीदारी के मामले में चीन का यह अब तक का रिकॉर्ड है। चीन लगातार तीसरी तिमाही में ज्वैलरी का सबसे बड़ा बाजार बनकर उभरा है।
सोने की चाहत के मामले में चीन के कब्जे पर वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के प्रबंध निदेशक (भारत एवं पश्चिम एशिया) अजय मित्रा कहते हैं - भारतीय स्वर्ण बाजार के लिए वर्ष 2012 की शुरुआत बहुत ही चुनौतीपूर्ण रही है। मूल्य वृद्धि, आर्थिक मंदी, सामाजिक बदलाव जैसी चुनौतियों के बावजूद सोना लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहा। हमें उम्मीद है कि आने वाले महीनों भारतीय मांग में सुधार होगा क्योंकि सोने के प्रति लोगों का प्यार और भरोसा बहुत पुराना है और उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले महीनों में भारतीयों के बीच सोने की मांग बढ़ेगी और भारत दोबारा सोने की चाहत के मामले में पहले पायदान पर खड़ा दिखाई देगा।
भारत में सोने की मांग कमजोर पडऩे की प्रमुख वजह सोने की आसमान छूती कीमतें हैं। (BS Hindi)
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