सरकार चालू चीनी विपणन वर्ष 2011-12 में अक्टूबर तक कुल 25 लाख टन तक चीनी
निर्यात की अनुमति दे सकती है। सरकार ने इसी महीने चीनी के निर्यात को
ओजीएल के दायरे में किया था। इससे पहले सरकार 20 लाख टन चीनी के निर्यात की
अनुमति दे चुकी थी। सरकार ने 11 मई से चीनी को ओजीएल के दायरे में लाते
हुए इसके निर्यात को नियंत्रण मुक्त कर दिया था।
हालांकि वाणिज्य मंत्रालय ने मिलों से कहा है कि वे निर्यात अनुबंध के लिए पंजीकरण कराएं ताकि वह मात्रा पर निगरानी रख सके। खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने कहा,'चीनी निर्यात का काम वाणिज्य मंत्रालय देखता है। निर्यात 20 लाख टन को छूने पर समीक्षा का फैसला किया गया था। उत्पादन 2.6 करोड़ टन रहने का अनुमान है और लेवी चीनी का उठाव कम होने के कारण 5,00,000 टन अतिरिक्त चीनी निर्यात की अनुमति देने की गुंजाइश है।'
लेवी चीनी उस चीनी को कहते हैं तो सरकार मिलों से सब्सिडीशुदा दर पर खरीदती है और राशन की दुकानों के जरिए बेचती है। सरकार ने विपणन वर्ष 2011-12 में चीनी का उत्पादन 2.52 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया है जबकि इसकी सालाना मांग 2.2 करोड़ टन रहती है। (BS Hindi)
हालांकि वाणिज्य मंत्रालय ने मिलों से कहा है कि वे निर्यात अनुबंध के लिए पंजीकरण कराएं ताकि वह मात्रा पर निगरानी रख सके। खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने कहा,'चीनी निर्यात का काम वाणिज्य मंत्रालय देखता है। निर्यात 20 लाख टन को छूने पर समीक्षा का फैसला किया गया था। उत्पादन 2.6 करोड़ टन रहने का अनुमान है और लेवी चीनी का उठाव कम होने के कारण 5,00,000 टन अतिरिक्त चीनी निर्यात की अनुमति देने की गुंजाइश है।'
लेवी चीनी उस चीनी को कहते हैं तो सरकार मिलों से सब्सिडीशुदा दर पर खरीदती है और राशन की दुकानों के जरिए बेचती है। सरकार ने विपणन वर्ष 2011-12 में चीनी का उत्पादन 2.52 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया है जबकि इसकी सालाना मांग 2.2 करोड़ टन रहती है। (BS Hindi)
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