उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने एफएमसी को जुर्माना घटाने का फैसला वापस लेने का निर्देश दिया
एफएमसी का आदेश
अनिवार्य डिलीवरी में डिफॉल्टरों पर जुर्माना तीन फीसदी के बजाय डेढ़ फीसदी लगेगा। अनिवार्य डिलीवरी चना, काली मिर्च और सरसों के अनुबंधों में लागू है। जुर्माने की घटी दर मई अनुबंधों से ही लागू होगी। इस महीने इन कमोडिटी के सेटलमेंट पर डिफॉल्टरों पर कम जुर्माना लगेगा।
बाजार पर संभावित असर
इस आदेश से वायदा बाजार में एक तो डिलीवरी डिफॉल्टरों की संख्या बढ़ सकती है, साथ ही इन जिंसों की कीमतों में तेजी आने का भी अनुमान है। ग्वार सीड और ग्वार गम के वायदा सौदों में गड़बड़ी सामने आने के बाद मंत्रालय ने एफएमसी को आदेश दिया था कि तेजी को बढ़ावा देने वाला कोई कदम न उठाया जाए।
एग्री कमोडिटी में तेजी को लेकर पहले से ही परेशान उपभोक्ता मामले मंत्रालय की मुश्किल वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के एक फैसले से बढ़ गई है। मंत्रालय चना, काली मिर्च और सरसों में तेजी रोकने के लिए उपाय करने की सोच रहा है जबकि एफएमसी के एक फैसले से तेजी आने का रास्ता खुल गया है। दरअसल एफएमसी ने अनिवार्य डिलीवरी वाले अनुबंधों के डिलीवरी डिफॉल्टरों पर जुर्माने की दर घटाने का फैसला किया है। एफएमसी के इस आदेश पर एनसीडीईएक्स ने जुर्माना कम करने की पहल भी कर दी है।
जबकि मंत्रालय का कहना है कि इससे इन कमोडिटीज में डिफॉल्टर बढ़ेंगे और सट्टेबाजी बढऩे से तेजी को बल मिलेगा। मंत्रालय ने आयोग को यह आदेश वापस लेने का निर्देश दिया है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एफएमसी ने अनिवार्य डिलीवरी में डिफॉल्टरों पर जुर्माना तीन फीसदी से घटाकर डेढ़ फीसदी करने का फैसला किया है।
अनिवार्य डिलीवरी चना, काली मिर्च और सरसों के अनुबंधों में लागू है। मंत्रालय का मानना है कि इससे वायदा बाजार में एक तो डिलीवरी डिफॉल्टरों की संख्या बढ़ सकती है, साथ ही इन जिंसों की कीमतों में तेजी आने का भी अनुमान है। इसीलिए मंत्रालय ने एफएमसी से इस फैसले को वापस लेने का निर्देश दिया है।
एफएमसी के आदेश के बाद एनसीडीईएक्स ने अनिवार्य डिलीवरी वाली कमोडिटी चना, काली मिर्च और सरसों के वायदा अनुबंधों में डिफॉल्टरों पर जुर्माना तीन फीसदी से घटाकर डेढ़ फीसदी कर दिया है। डिफॉल्ट जुर्माने की घटी दर मई अनुबंधों से ही लागू होगी। इसका आशय है कि इस महीने इन कमोडिटी के सेटलमेंट पर डिफॉल्टरों पर कम जुर्माना लगेगा।
अधिकारी ने बताया कि चालू फसल सीजन में चना और सरसों के उत्पादन में कमी आई है, जिससे घरेलू बाजार में इनकी कीमतों में पहले ही तेजी आ रही है। वायदा कारोबार में चना और सरसों की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए ही एफएमसी ने इन कमोडिटी के वायदा सौदों पर अतिरिक्त मार्जिन लगाने और निवेशकों की पोजिशन लिमिट घटाने का एक्सचेंजों को आदेश दिया था। इस आदेश पर एनसीडीईएक्स ने चना, सरसों, काली मिर्च और सोया के वायदा सौदों पर अप्रैल में अतिरिक्त मार्जिन लगाया।
ग्वार सीड और ग्वार गम के वायदा सौदों में हुई गड़बड़ी के बाद उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने एफएमसी से इस तरह का कोई कदम न उठाने का आदेश दिया है जिससे वायदा बाजार में इन जिंसों की कीमतों को बढ़ावा मिले। मालूम हो कि ग्वार सीड और ग्वार गम में कई कंपनियों ने आपसी मिलीभगत करके कीमतों में बनावटी उतार-चढ़ाव किया था। (Business Bhaskar......R S Rana)
एफएमसी का आदेश
अनिवार्य डिलीवरी में डिफॉल्टरों पर जुर्माना तीन फीसदी के बजाय डेढ़ फीसदी लगेगा। अनिवार्य डिलीवरी चना, काली मिर्च और सरसों के अनुबंधों में लागू है। जुर्माने की घटी दर मई अनुबंधों से ही लागू होगी। इस महीने इन कमोडिटी के सेटलमेंट पर डिफॉल्टरों पर कम जुर्माना लगेगा।
बाजार पर संभावित असर
इस आदेश से वायदा बाजार में एक तो डिलीवरी डिफॉल्टरों की संख्या बढ़ सकती है, साथ ही इन जिंसों की कीमतों में तेजी आने का भी अनुमान है। ग्वार सीड और ग्वार गम के वायदा सौदों में गड़बड़ी सामने आने के बाद मंत्रालय ने एफएमसी को आदेश दिया था कि तेजी को बढ़ावा देने वाला कोई कदम न उठाया जाए।
एग्री कमोडिटी में तेजी को लेकर पहले से ही परेशान उपभोक्ता मामले मंत्रालय की मुश्किल वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के एक फैसले से बढ़ गई है। मंत्रालय चना, काली मिर्च और सरसों में तेजी रोकने के लिए उपाय करने की सोच रहा है जबकि एफएमसी के एक फैसले से तेजी आने का रास्ता खुल गया है। दरअसल एफएमसी ने अनिवार्य डिलीवरी वाले अनुबंधों के डिलीवरी डिफॉल्टरों पर जुर्माने की दर घटाने का फैसला किया है। एफएमसी के इस आदेश पर एनसीडीईएक्स ने जुर्माना कम करने की पहल भी कर दी है।
जबकि मंत्रालय का कहना है कि इससे इन कमोडिटीज में डिफॉल्टर बढ़ेंगे और सट्टेबाजी बढऩे से तेजी को बल मिलेगा। मंत्रालय ने आयोग को यह आदेश वापस लेने का निर्देश दिया है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एफएमसी ने अनिवार्य डिलीवरी में डिफॉल्टरों पर जुर्माना तीन फीसदी से घटाकर डेढ़ फीसदी करने का फैसला किया है।
अनिवार्य डिलीवरी चना, काली मिर्च और सरसों के अनुबंधों में लागू है। मंत्रालय का मानना है कि इससे वायदा बाजार में एक तो डिलीवरी डिफॉल्टरों की संख्या बढ़ सकती है, साथ ही इन जिंसों की कीमतों में तेजी आने का भी अनुमान है। इसीलिए मंत्रालय ने एफएमसी से इस फैसले को वापस लेने का निर्देश दिया है।
एफएमसी के आदेश के बाद एनसीडीईएक्स ने अनिवार्य डिलीवरी वाली कमोडिटी चना, काली मिर्च और सरसों के वायदा अनुबंधों में डिफॉल्टरों पर जुर्माना तीन फीसदी से घटाकर डेढ़ फीसदी कर दिया है। डिफॉल्ट जुर्माने की घटी दर मई अनुबंधों से ही लागू होगी। इसका आशय है कि इस महीने इन कमोडिटी के सेटलमेंट पर डिफॉल्टरों पर कम जुर्माना लगेगा।
अधिकारी ने बताया कि चालू फसल सीजन में चना और सरसों के उत्पादन में कमी आई है, जिससे घरेलू बाजार में इनकी कीमतों में पहले ही तेजी आ रही है। वायदा कारोबार में चना और सरसों की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए ही एफएमसी ने इन कमोडिटी के वायदा सौदों पर अतिरिक्त मार्जिन लगाने और निवेशकों की पोजिशन लिमिट घटाने का एक्सचेंजों को आदेश दिया था। इस आदेश पर एनसीडीईएक्स ने चना, सरसों, काली मिर्च और सोया के वायदा सौदों पर अप्रैल में अतिरिक्त मार्जिन लगाया।
ग्वार सीड और ग्वार गम के वायदा सौदों में हुई गड़बड़ी के बाद उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने एफएमसी से इस तरह का कोई कदम न उठाने का आदेश दिया है जिससे वायदा बाजार में इन जिंसों की कीमतों को बढ़ावा मिले। मालूम हो कि ग्वार सीड और ग्वार गम में कई कंपनियों ने आपसी मिलीभगत करके कीमतों में बनावटी उतार-चढ़ाव किया था। (Business Bhaskar......R S Rana)
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