हाल ही में उपभोक्ता मामलों पर संसदीय स्थाई समिति ने कमोडिटी वायदा बाजार में बैंक और घरेलू वित्तीय संस्थाओं को कारोबार करने के लिए अनुमति देने की सिफारिश की है। समिति का तर्क है कि इससे जिंस वायदा कारोबार में तो बढ़ोतरी होगी ही, साथ में बैंकों के शामिल होने से किसानों की भागीदारी बढ़ सकेगी। हालांकि इस पर फैसला वित्त मंत्रालय ही करेगा। वित्त मंत्रालय की अनुमति मिलने के बाद ही बैंकों और वित्तीय संस्थाएं जिंस वायदा में कारोबार कर सकेंगी।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उपभोक्ता मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने बैंकों तथा घरेलू वित्तीय संस्थाओं को जिंस वायदा में कारोबार करने की मंजूरी देने की सिफारिश कर दी है। हालांकि स्थायी समिति ने जिंस वायदा कारोबार में विदेशी निवेश को मंजूरी देने से इंकार कर दिया है। स्थायी समिति के अनुसार विदेशी निवेश को मंजूरी देने से जिंसों की मांग और सप्लाई पर अंतर पड़ सकता है।
उन्होंने बताया कि बैंक और वित्तीय संस्थाओं के शामिल होने से जिंस वायदा के कारोबार में भारी बढ़ोतरी होने की संभावना है। साथ ही इसमें किसानों की भागीदारी भी बढ़ेगी। जिंस वायदा का कारोबार लगातार बढ़ रहा है तथा इसमें भागीदारी भी लगातार बढ़ रही है लेकिन किसानों की भागीदारी अभी भी नगण्य है। बैंक छोटे-छोटे किसानों को एक सामूहिक मंच उपलब्ध करा सकते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में किसान बैंकों पर सबसे ज्यादा विश्वास भी करते हैं। बैंकों के सहयोग से किसान जिंसों का वायदा कारोबार करेंगे तो उन्हें अपनी उपज का सही दाम मिलने में भी आसानी होगी। इसके अलावा वेयर हाउस में रखी जिंसों के बदले में बैंक किसानों को तात्कालिक ऋण भी प्रदान कर सकते हैं। इससे बाजार में धन की उपलब्धता के साथ ही प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी। (Business Bhaskar.....R S Rana)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें