वायदा बाजार आयोग ने जिंस बाजार के सटोरिया सौदों पर नियंत्रण के लिए अपने नियामक प्रावधानों की समीक्षा शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि जल्द ही जिंसों पर मार्जिन में इजाफा किया जा सकता है।
सूत्रों ने बताया, 'अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुकाबले घरेलू ग्राहकों को काफी कम मार्जिन देना पड़ता है। आम तौर पर कारोबार के दौरान यह 6 से 10 फीसदी के बीच रहता है और कुछ मामलों में 5 फीसदी की विशेष मार्जिन की व्यवस्था होती है। सिर्फ अस्थिरता के दौर में मार्जिन बढ़कर 20 से 40 फीसदी और कभी-कभी तो नकदी मार्जिन 60 फीसदी तक हो जाती है। सामान्य तौर पर यह 10 फीसदी से कम नहीं हो सकता है और अस्थिरता के दौर में ही बढ़ाया जा सकता है। इसलिए मार्जिन बढ़ाकर इसे स्तर में लाना जरूरी है।'
आयोग किसी एक पक्ष पर मार्जिन थोपने के बजाय दोनों पक्षों पर लगाने के बारे में भी विचार कर रहा है। फिलहाल कीमतों पर आधारित मार्जिन कीमतें बढऩे
की दशा में खरीदने वाले और कीमतें कम होने पर बेचने वाले पर लगाया जाता है।
दरअसल, ग्वार गम में पहली बार बेचने वाले पर 10 फीसदी के मार्जिन के साथ-साथ लॉन्ग पोजीशन वाले पर भी 60 फीसदी का विशेष मार्जिन भी लगाया गया। इसी तरह आयोग आगे जिंसों के लिए ओपन पोजीशन लिमिट बढ़ा सकता है। क्योंकि पिछले साल सीमा बढ़ाकर 10 से 15 फीसदी के बीच किये जाने के बावजूद यह काफी कम है। सूत्रों का कहना है कि आयोग कारोबार की ओपन पोजीशन पर नजर रखे हुए है। बाजार में उचित कारोबार के लिए ज्यादा व्यापक ओपन पोजीशन लिमिट होना जरूरी है।
फिलहाल एक सदस्य के लिए ओपन इंटरेस्ट लिमिट का स्तर आयोग द्वारा तय की गई संख्या या बाजार का कुल ओपन पोजीशन का 15 फीसदी होता है। इन दोनों में से जो भी अधिक हो, उसे ही एक सदस्य के लिए ओपन इंटरेस्ट लिमिट तय किया जाता है। मार्जिन वह धन है जिसका भुगतान ग्राहक एक्सचेंज में निर्धारित ओपन पोजीशन के एक निश्चित फीसदी हिस्से के रूप में करता है। यह प्रतिभूति, नकदी या अन्य किसी भी रूप में हो सकता है। इसका मकसद कारोबारी की गंभीरता के अलावा समय सीमा खत्म होने के बाद भुगतान की क्षमता की जांच करना होता है। (BS Hindi)
30 जनवरी 2012
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