खाद्य तेल के बढ़ते आयात बिल पर लगाम कसने की खातिर सरकार ने पाम तेल व जेट्रोफा के लिए औपचारिक संकेतक के रूप में बेंचमार्क कीमतें तय करने का फैसला किया है। इसके लिए कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) कवायद शुरू कर चुका है। अगर हम घरेलू उपभोग के लिए आयात करते हैं तो भी इस पर विचार होना चाहिए कि आयात कीमतों के समतुल्य घरेलू बाजार में उचित कीमतें क्या हो। सीएसीपी ने पहले ही नारियल तेल के लिए ऐसी कवायद शुरू कर दी है।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि संकेतक के रूप में बेंचमार्क कीमतें एमएसपी की तरह काम नहीं करेंगी क्योंकि सरकार ने किसी और फसल को एमएसपी के दायरे में शामिल नहीं करने का फैसला किया है क्योंकि अगर इन जिंसों की कीमतें एमएसपी से नीचे आती हैं तो उसे खरीदने की जिम्मेदारी सरकार की होती है। चूंकि पीडीएस के तहत सरकार पर खाद्य तेल की सब्सिडी का बोझ है और खाद्य तेल का आयात बिल बढ़ रहा है, ऐसे में इसकी बेंचमार्क कीमतों की दरकार है। सूत्रों ने कहा कि ज्यादातर कच्चे तेल का आयात होता है और फिर घरेलू बाजार में इसे बेचने से पहले शोधित किया जाता है। बेंचमार्क कीमतों से इसका विश्लेषण करने में मदद मिलेगी कि क्या आयात बिल ज्यादा है या फिर विक्रय मूल्य लागत से ज्यादा है, साथ ही खाद्य महंगाई में यह कितना योगदान दे रहा है।
खाद्य तेल का आयात बिल साल 2011-12 में यह करीब 30,000 करोड़ रुपये हो सकता है, जो ऊर्जा व यूरिया के बाद तीसरा सबसे बड़ा बिल होगा। भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा खाद्य तेल उपभोक्ता है और अपनी जरूरतों का आधा हिस्सा आयात के जरिए पूरा करता है।
देश में उत्पादन बढऩे और रुपये में कमजोरी के चलते आयात लागत बढ़ी है। इससे 2010-11 में भारत का खाद्य तेल आयात पिछले साल के 92.4 लाख टन के मुकाबले 6.2 फीसदी घटकर 86.7 लाख टन रह गया। मौजूदा समय में सरकार की बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) है। वानिकी व उन कृषि जिंसों की कीमतों के लिए यह अस्थायी फॉर्मूला है, जो जल्द खराब हो सकते हैं और जो न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में नहीं है।
कृषि मंत्रालय ने राज्यों व कृषि विश्वविद्यालयों को दलहन व तिलहन की हाइब्रिड किस्में विकसित करने की सलाह दी है। हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि देश में उपलब्ध मौजूदा किस्मों की हाइब्रिड किस्में विकसित की जानी चाहिए, न कि जीएम बीज। ये चीजें घरेलू कीमत का फॉर्मूला, आयात शुल्क और पाम तेल व अन्य तिलहनों के लिए एमआईएस पर मंत्रालय की कवायद का हिस्सा है। पाम तेल का उत्पादन अभी काफी कम होता है। दूसरी ओर बायोफ्यूल का बड़ा स्रोत जेट्रोफा है। फिलहाल फिलिपींस व ब्राजील में जेट्रोफा तेल का इस्तेमाल बायोडीजल के उत्पादन में होता है, जहां यह अपने आप उगता है। ब्राजील के दक्षिण पूर्वी, उत्तरी व उत्तर पूर्वी इलाके में इसकी खेती होती है। भारत में भी इस तेल को प्रोत्साहित किया गया है। कई शोध संस्थाओं व महिला स्वसहायता समूहों ने भी देश में बड़े पैमाने पर जेट्रोफा की खेती शुरू की है। (BS Hindi)
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