चीनी की राजनीति
विस चुनावों को देखकर ज्यादा चीनी निर्यात
किसानों को खुश करने की कवायद में केंद्र
ईजीओएम को अगले सप्ताह प्रस्ताव भेज सकता है खाद्य मंत्रालय
केंद्र सरकार अगले कुछ दिनों में चीनी के अतिरिक्त निर्यात की अनुमति दे सकती है। यूपीए की केंद्र सरकार का यह फैसला आर्थिक से कहीं ज्यादा राजनीतिक महत्व का होगा। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सरकार किसानों खासकर उत्तर प्रदेश में उन्हें रिझाने के लिए यह कदम उठा सकती है। अतिरिक्त चीनी का निर्यात होने से घरेलू बाजार में चीनी के दाम सुधरेंगे, तो किसानों को गन्ने का अच्छा मूल्य मिलने की संभावना बनेगी। उत्तर प्रदेश देश का प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य है।
केंद्र सरकार की ओर से शीघ्र ही चीनी के अतिरिक्त निर्यात पर मुहर लगाई जा सकती है। हालांकि चुनाव आचार संहिता लागू हो जाने के कारण केंद्र सरकार को इसके लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होगी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस संबंध में अगले सप्ताह तक वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले खाद्य मामलों के उच्चाधिकार प्राप्त मंत्री समूह (ईजीओएम) के पास इस संबंध में प्रस्ताव भेजा जा सकता है।
सूत्रों का कहना है कि चीनी का उत्पादन घरेलू मांग से अधिक रहने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों में तेजी आना भी शुरू हो गई है। इन दोनों कारणों से फिलहाल चीनी के निर्यात की काफी संभावनाएं हैं। पिछले नवंबर में सरकार ने चालू विपणन वर्ष 2011-12 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए 10 लाख टन चीनी के निर्यात की मंजूरी दी थी।
चीनी के अतिरिक्त निर्यात की मंजूरी दिए जाने से उत्तर प्रदेश चुनावों में कांग्रेस को फायदा मिल सकता है क्योंकि यूपी में करीब 130 मिलें हैं और गन्ना उत्पादन के दो सबसे बड़े राज्यों में से एक है। उत्तर प्रदेश में करीब 25-30% चीनी का उत्पादन होता है। राज्य में गन्ना किसानों को सालाना 16,000 करोड़ रुपये की आमदनी होती है। खाद्य मंत्रालय का मानना है कि अतिरिक्त निर्यात की अनुमति से चीनी मिलों की वित्तीय हालत में सुधार होगा, जिससे गन्ना किसानों को समय पर पैसा मिलना सुनिश्चित हो सकेगा।
मुख्यमंत्री मायावती ने भी राज्य स्तर पर गन्ने की कीमतें (एसएपी) विपणन वर्ष 2011-12 के लिए 40 रुपये बढ़ाकर 240-250 रुपये प्रति क्विंटल तय की थीं। केंद्र की ओर से चालू सीजन के लिए गन्ने का एफआरपी 145 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। यूपी समेत ५ राज्यों में गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य केंद्र के एफआरपी से अधिक है। (Business Bhaskar)
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