बजट की तारीख का ऐलान अभी नहीं हुआ है लेकिन बजट कि तैयारियां जोरों पर शुरू हैं। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने किसानों के साथ बजट से पहले बैठक की है। इस बैठक में वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र की जरूरतों को समझने की कोशिश भी की है।
वित्त मंत्री के मुताबिक कृषि उत्पादों की कीमतें तय करने के लिए रणनीति बनाना बेहद जरूरी है। साथ ही उन्होंने कृषि क्षेत्र में सब्सिडी के तौर-तरीकों में सुधार करने की जरूरत को अहम बताया है। को-ऑपरेटिव सोसायटी पर चर्चा करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि कोऑपरेटिव सोसायटी को टैक्स छूट मिलनी चाहिए।
वित्त मंत्री के साथ बैठक में कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों ने बजट से जुड़ी अपनी मांगों और जरूरतों को सामने रखा। वहीं अगले 10 दिनों तक यह सिलसिला जारी रहेगा, जहां हर क्षेत्र के प्रतिनिधी अपनी-अपनी मांगे रखेंगे। लेकिन माना जा रहा है 2 महीने बाद जब बजट पेश किया जाएगा तो लोगों के हाथों में निराशा ही लगने वाली है। क्योंकि सरकारी खजाने पर बढ़ते बोझ से परेशान सरकार इस बार बजट मे कोई ऐसा ऐलान नही करने वाली है जिसे सरकारी खर्च बढ़े।
इस साल बजट में सरकार से किसी बड़े ऐलान की उम्मीद लगाना उचित नहीं होगा। कयोंकि आमदानी के मुकाबले सरकार का खर्च ज्यादा है और सरकार का वित्त घाटा 4.5 फीसदी के लक्ष्य को पार करता दिखाई दे रहा है।
वहीं कर वसूली के लक्ष्य को हासिल कर पाना भी सरकार के लिए मुश्किल लग रहा है। डिसइंवेस्टमेंट से सरकार का 40 हजार करोड़ रूपये जुटाने का लक्ष्य था। लेकिन अब तक सरकार सिर्फ करीब 1100 करोड़ रुपये ही जुटा पायी हैं। ऐसे में बजट में बड़े ऐलान करके सरकार सकरारी खजाने के बोझ को और बढ़ाना नहीं चाहेगी।
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