रैपसीड की खली में मैलासाइट जैसे हरे दूषित तत्व मिलने के मामले में चीन की एक टीम अगले महीने भारतीय तेल प्रसंस्करण इकाइयों का दौरा करने आ सकती है। छह सदस्यों की यह टीम इस मामसे में भारतीय अधिकारियों के जवाब से संतुष्ट नहीं हुई है। लिहाजा, चीनी अधिकारियों की टीम गुणवत्ता की जांच के लिए भारत आ सकती है।
पिछले छह महीने के दौरान चीनी अधिकारियों ने खली में हरे रंग का दूषित तत्व देखा है और भारतीय निर्यातकों से कहा है कि वे चीन के नियमों का पालन करें। लेकिन भारत से खली की खेप में लगातार ऐसे तत्व मिले हैं।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने बताया, चीनी अधिकारियों की शिकायत के बाद हमने पाया कि जूट की बोरियों पर निशान लगाने के लिए हरे रंग का इस्तेमाल किया गया था और शायद इसी से खली दूषित हुई होगी। तब हमने उद्योग से जुड़े लोगों से जूट की बोरियों का इस्तेमाल न करने और हरी स्याही वाले पार्सल स्वीकार करने से मना किया था।
इस साल जनवरी में चीन द्वारा रैपसीड खली और सोया खली की खेप रोक देने से देश को करीब 600 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की क्षति हुई है। जापान, कजाकस्तान, पाकिस्तान, रूस, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश खली के निर्यात में भारतीय हिस्सेदारी छीनने में जुट गए हैं। चीन के अधिकारियों के दौरे का मकसद दूषित तत्वों केस्रोत की जांच करना है। इस कृत्रिम रंग का इस्तेमाल सिल्क, ऊन, जूट, चमड़े आदि को रंगने में होता है और सीधे उपभोग किए जाने वाली जिंसों में इसके इस्तेमाल की अनुमति नहीं है। चीन को भारत से आयातित खली की कई खेपों में ऐसे तत्व मिले हैं। पहले चीनी अधिकारी सिर्फ हजार्ड एनालिसिस ऐंड कंट्रोल पाइंट्स (एचएसीसीपी) प्रमाणित इकाइयों का दौरा करते थे, बाद में उन्होंने बड़े संयंत्रों का भी दौरा करना शुरू किया ताकि भारतीय इकाइयों के मानकों की जांच की जा सके। एचएसीसीपी दुनिया में प्रमाणपत्र देने वाला सबसे बड़ा संस्थान है। (BS Hindi)
30 जनवरी 2012
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