कड़ाके की ठंड और जनवरी के पहले सप्ताह में हुई बारिश के चलते उत्तर प्रदेश की फल पट्टी मलिहाबाद में इस बार दशहरी की बंपर फसल की उम्मीद है। तापमान बढऩे के साथ ही आम के पेड़ों पर अच्छी बौर नजर आने लगी है जो बढिय़ा सीजन का संकेत दे रही है। हालांकि साल दर साल पेड़ कटने, नई रिहायशी कॉलोनियां बनने और फल पट्टी में चल रहे ईंट भट्ठों के धुएं से आम के पेड़ घट रहे हैं। दशकों पहले फल पट्टी क्षेत्र का दर्जा पा चुके मलिहाबाद में आज तक एक भी खाद्य प्रसंस्करण इकाई नही लगी है। हर साल सीजन में यहां पैदा होने वाले दशहरी आम का लगभग आधा या तो सड़ जाता है या खराब होने की आशंका में औने पौने दाम पर बिकता है।
उत्तर प्रदेश नर्सरी संघ के अध्यक्ष शिवसरन सिंह का कहना है कि विदेशों में भी अपनी खुशबू और मिठास के चलते पहचान बनाने वाले दशहरी आम के लिए मलिहाबाद में आज तक किसी ने प्रसंस्करण इकाई नही लगाई है। न ही दशहरी के भंडारण या बाहर भेजने के लिए कोल्ड चेन का कोई इंतजाम किया गया है। सिंह बताते हैं कि आम उत्पादकों को सीजन के समय सिंचाई के लिए बिजली उपलब्ध कराने का वादा जरूर किया जाता है, पर तैयार फसल का भंडारण कैसे हो इस बारे में कोई माकूल इंतजाम नहीं किए जाते हैं। पिछले साल की कमजोर फसल के बाद इस साल मलिहाबाद के बागवानों के चहरे बंपर फसल की उम्मीद से खिले हुए हैं। आम उत्पादकों को आशा है कि इस साल दशहरी का बंपर उत्पादन होगा। पांच दशक से ज्यादा से आम की खेती में जुटे पदमश्री कलीमुल्लाह बताते हैं - 'बौर ने भरोसा दिलाया है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल उत्पादन कम से 70 से 80 फीसदी ज्यादा होगी। जनवरी के पहले सप्ताह में हुई बारिश के चलते आम के पेड़ों से कीट, जाला जैसे हानिकारक कीड़े खत्म हो गए हैं। इस बार बौर छोटी है, जो इस बात का संकेत है कि फसल बेहतर होगी।'
दशहरी के जानकार माल इलाके के अखिलेश सिंह बताते हैं - आम निर्यात के मामले में मलिहाबाद की हालात बहुत अच्छी नहीं है। अभी तक मुंबई के कारोबारियों के भरोसे ही आम का निर्यात होता है, जो पिछले सीजन में 1000 टन से ज्यादा नहीं रहा था।
शिवसरन सिंह के मुताबिक बरसों पहले यहां स्थानीय आम उत्पादक राजा भूंपेंद्र सिंह ने एक प्रसंस्करण इकाई लगाई थी, पर पिछले 20 साल से यह इकाई बंद पड़ी है। हाल ही में लखनऊ की निजी कंपनी ऑर्गेनिक इंडिया ने जरूर इस इलाके में एक मैंगो फ्लेक बनाने की इकाई लगाने का वादा किया है। (BS Hindi)
31 जनवरी 2012
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