टनजलवायु के अनुकूल फसल के लिए राष्ट्रीय प्रयास की शुरूआत |
वार्षिक समीक्षा कृषि देश के कुछ भागों में अनुकूल मौसम न होने के बावजूद वर्ष 2011-12 में रबी फसल की अच्छी संभानाएं हैं। इस वर्ष के अनाज उत्पादन के लक्ष्य 245 लाख मीट्रिक टन को प्राप्त करने के सभी प्रयास किये जा रहे हैं। देश के मौजूदा क्षेत्र और फसल की अच्छी स्थिति को देखते हुए लगता है कि एक बार और अनाज का रिकॉर्ड उत्पादन होगा। 2011-12 में अनाज उत्पादन का परिदृश्य · पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार 2011-12 में अनाज का उत्पादन (केवल ख़रीफ़ फसल) 12.395 करोड़ टन होगा, जो अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड होगा। इसका मुख्य कारण देश में चावल के उत्पादन में बढ़ोतरी होना है। · ख़रीफ़ फसल में नौ तिलहनों का 208.86 लाख टन का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है, जो 2010-11 के मुकाबले लगभग 0.2 प्रतिशत ज्यादा होगा। इसका कारण अरंडी (कैस्टर) के बीज का अधिक उत्पादन होना है। · इस वर्ष गन्ने का उत्पादन लगभग 34.22 करोड़ टन होने का अनुमान है, जबकि 2010-11 में गन्ने का उत्पादन लगभग 33.92 करोड़ टन था। · कपास का उत्पादन 361.02 लाख गांठें (170 किलोग्राम प्रति गांठ) होने का अनुमान है, जबकि 2010-11 में यह उत्पादन 334.25 लाख गांठें (चौथा अग्रिम अनुमान) था। धन का आबंटन · वर्ष 2011 में पूर्वी भारत के गैर-राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन जिलों में हरित क्रांति जारी रखने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत चार सौ करोड़ रुपये आवंटित किये गए। · 2011-12 के बजट में सरकार ने रागी का उत्पादन बढ़ाकर पौष्टिकता सुरक्षा के लिए पहल के अंतर्गत पौष्टिक अनाजों के संवर्धन के लिए 300 करोड़ रुपये की राशि रखी। यह योजना राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की उप-योजना है। · राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत चालू वर्ष के लिए 7810.87 करोड़ रुपये रखे गए हैं, जिसमें से 5221.11 करोड़ रुपये की राशि 25.12.2011 तक जारी कर दी गई है। · वर्षा सिंचित क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक 132.50 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है, जो 0.66 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के लिए है। · राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत 60 हजार हेक्टेयर भूमि में ताड़ (पाम) की खेती के लिए 2011-12 में आबंटित 300 करोड़ रुपये की राशि में से राज्यों को 248.79 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है। फसल क्षेत्र के विस्तार, नई फसलों की बुआई, सहायता के नमूने, अनुसंधान और विकास, संस्थागत सम्पर्क, निगरानी और जरूरत वाले राज्यों में प्रोसेसिंग सुविधाएं शुरू करने के लिए कृषि मंत्रालय द्वारा राज्यों के लिए अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित करने की नीति अपनाई जा रही है। · गुणवत्तापूर्ण बीजों के उत्पादन और वितरण के लिए बुनियादी ढांचों के विकास और सुदृढ़ीकरण की योजना के विभिन्न हिस्सों के अंतर्गत 1936.53 करोड़ रुपये की राशि (30.11.11 तक) अनुदान सहायता के रूप में जारी की गई। अन्य नीतियां और उपलब्धियां · 2011-12 के दौरान लगभग पाँच लाख हेक्टेयर कम उन्नत भूमि के विकास का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से विभिन्न जलसंभरण विकास कार्यक्रमों के अंतर्गत अब तक 3.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का विकास किया जा चुका है। · कपास के निर्यात को 01.10.2011 से मुक्त सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के अंतर्गत कर दिया गया है। · गेहूं और चावल के भंडार की अच्छी स्थिति को देखते हुए मंत्रालय ने इनके निर्यात पर से प्रतिबंध हटाने की सिफारिश की है। · सितम्बर 2011 से मुक्त सामान्य लाइसेंस के अंतर्गत गेहूं के निर्यात की अनुमति दी गई है। इस पर अक्तूबर 2007 से प्रतिबंध था। · प्याज का निर्यात इसकी घरेलू उपलब्धता और मूल्य पर निर्भर करता है। फिलहाल न्यूनतम निर्यात मूल्य 250 डॉलर प्रति टन की दर से प्याज के निर्यात की अनुमति है। · बीज के विकास के स्वत: मार्ग के अंतर्गत कृषि के लिए विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की नीति में संशोधन करके 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दे दी गई है। डेरी विकास क्षेत्रक) सघन डेरी विकास कार्यक्रम - इस कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न राज्यों के 28,350 गांवों में प्रति दिन के हिसाब से 21.64 लाख लीटर से अधिक दूध की खरीद की गई है और लगभग 17.81 लीटर प्रति दिन के हिसाब से बिक्री की गई है। इससे लगभग 19.14 लाख किसानों को लाभ पहुंचा है। 2010-11 में इस योजना के अंतर्गत 21.65 लाख प्रति दिन की दूध शीतन क्षमता और 26.70 लाख लीटर प्रति दिन की प्रोसेसिंग क्षमता विकसित की गई है। ख) गुणवत्तापूर्ण और स्वच्छ दूध उत्पादन के लिए बुनियादी सुविधाओं का विकास - यह योजना 235 जिलों में लागू है। इसके अंतर्गत 6.06 लाख किसानों को प्रशिक्षित किया गया है। 37.85 लाख लीटर प्रति दिन की शीतन क्षमता के साथ 1286 विशाल दूध शीतलक (कूलर) स्थापित किये गए हैं और मौजूदा 1910 प्रयोगशालाओं को और मजबूत किया गया है। ग) डेरी उद्यम विकास योजना – यह योजना कृषि और ग्रामीण विकास राष्ट्रीय बैंक के माध्यम से लागू की जा रही है। 2010-11 के दौरान 1978 डेरी यूनिटों को वापसी समाप्ति (बैक एंडेड) की पूंजी सब्सिडी के लिए मंजूर किया गया। इन स्वीकृत डेरी यूनिटों को 969.17 लाख रुपये की सब्सिडी दी गई। पशुधन स्वास्थ्य और रोग निदान कार्यक्रम पशुधन स्वास्थ्य और रोग निदान कार्यक्रम के अधीन सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इसके अधीन बीमारियों की रोकथाम के लिए 8.10 करोड़ टीके दिए गए हैं। देश को रिंडरपेस्ट रोग और प्लूरो-निमोनिया (सीबीपीपी) रोगों से मुक्त रखा गया है। रोगों की रोकथाम के लिए 5.50 करोड़ एफएमडी टीके लगाए गए और एंटीबॉडी की जांच के लिए 40,000 सीरम सैम्पल इकट्ठा किए गए। बीमारियों पर आधारित रिपोर्ट के लिए कंम्प्यूटरीकृत प्रणाली के लिए उपयोग के अनुसार सॉफ्टवेयर का विकास किया जा रहा है। ब्रूसिलोसिस के नियंत्रण के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 11.23 करोड़ रूपये उपलब्ध कराए गए हैं। कुक्कुट विकास पशुपालन विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस समय भारत में कुक्कुट की संख्या 64.88 करोड़ है और देश में लगभग 59.84 अरब अंडे का उत्पादन होता है। इस समय देश में प्रति वर्ष और प्रति व्यक्ति लगभग 51 अंडे उपलब्ध होते हैं। एक अनुमान के अनुसार देश में 20.30 लाख टन कुक्कुट के मांस का उत्पादन होता है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) के अनुसार वर्ष 2010-11 में लगभग 301 करोड़ रूपये मूल्य के कुक्कुट उत्पादों का निर्यात किया गया। पशुधन बीमा पशुधन बीमा योजना के अधीन नवंबर 2010 तक 2.19 लाख पशुओं का बीमा किया गया है। मछली पालन क्षेत्र भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन में 5.54 प्रतिशत का योगदान करता है। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2010-11 के दौरान कुल मछली उत्पादन 82.90 लाख टन है, जिसमें अंतर्देशीय क्षेत्र से 50.70 लाख टन और समुद्री क्षेत्र से 32.20 लाख टन का योगदान है। कृषि अनुसंधान और शिक्षा सरकार ने कृषि अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जिसमें अरहर के जीनोम को डिकोड करना, बोरलौग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (बीआईएसए) स्थापित करना तथा जलवायु आधारित कृषि पर राष्ट्रीय पहल (एनआईसीआरए) की शुरूआत करना शामिल है। (PIB) |
04 जनवरी 2012
रबी फसल की अच्छी संभावनाएं, 2011-12 के लिए अनाज उत्पादन का लक्ष्य 245 लाख मीट्रिक
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